वो कुल मिला कर 220 किलोमीटर पैदल ही चले। वहाँ निराश होकर उन्होंने अलकनंदा नदी में कूद कर प्राण त्याग करने का निश्चय लिया, लेकिन अचानक से महेश्वर बाबाजी वहाँ आए और उन्हें अपने साथ ले गए।
संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम किरदार निभाने वाली उन महिलाओं ने क्या सपना देखा था और शाहीन बाग की औरतें कैसी मिसाल पेश कर रही हैं। यह जानने के लिए 26 जनवरी से बेहतर दिन नहीं हो सकता।
19 जनवरी 1990 की भयावह घटनाएँ बस शुरुआत थी। अंतिम प्रहार 26 जनवरी को होना था, जो उस साल जुमे के दिन थी। 10 लाख लोग जुटते। आजादी के नारे लगते। गोलियॉं चलती। तिरंगा जलता और इस्लामिक झंडा लहराता। लेकिन...
जनता की भागीदारी के कारण ‘स्वच्छ भारत अभियान’ ने बहुत ही कम समय में प्रभावशाली सफलता हासिल की है। यही भावना अन्य क्षेत्रों में किए जा रहे प्रयासों में भी दिखाई देती है। चाहे रसोई गैस की सब्सिडी को छोड़ना हो, या फिर डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना।
प्रधानमंत्री मोदी गणतंत्र दिवस से पहले गणतंत्र दिवस के परेड में शामिल होने वाले करीब 1730 आदिवासी कलाकारों, NCC कैडेटों, NSS वोलियंटर और झाँकी में शामिल होने वाले कलाकारों से ‘ऐट होम’ कार्यक्रम में मुलाकात कर रहे हैं।
सम्मानित बच्चों में जम्मू के सौम्यदीप जाना भी शामिल है। सौम्यदीप ने आतंकवादियों के हमले से अपनी माँ और बहन को बचाया था। इस दौरान सौम्यदीप को कई गोलियाँ लगीं। वह कोमा में रहा और करीब 6 महीने से ज्यादा तक समय तक अस्पताल में रहा।
बीटिंग रिट्रीट का आयोजन राजधानी दिल्ली में रायसीना हिल स्थित विजय चौक पर मिलिट्री बैंड द्वारा गणतंत्र दिवस समारोह के तीसरे दिन 29 जनवरी की शाम को आयोजित किया जाता है। यह 26 जनवरी को शुरू हुए समारोह के समाप्त होने का सूचक है।
प्रकाश के बारे में सबसे ख़ास बात यह है वह कभी स्कूल न जाने के बाद भी हिंदी और इंग्लिश दोनों भाषा अच्छे से बोल लेते हैं। यही कारण है कि वह स्कूल के बच्चों के पसंदीदा अध्यापक हैं।
अशोक चक्र से सम्मानित हुए शहीद लांस नायक नज़ीर अहमद वानी की पत्नी महज़बीं ने कहा कि उनके पति के पराक्रम का ही असर था, जिसने उनकी शहादत की ख़बर सुनकर भी आँखों से आँसू नहीं बहने दिए।