गैंग का सरगना अलामिन बंगलादेश से आने वाले घुसपैठियों को कानपुर में ठिकाना दिलाता था। अलामिन ने बताया कि वह बांग्लादेशी व रोहिंग्याओं को पश्चिम बंगाल के रास्ते कानपुर लाता था और उन्हें अलग-अलग इलाकों की बस्तियों में किराए पर कमरा दिलाकर या झोपड़ियों में रुकवाता था। उन्हीं की मदद से गैंग बनाकर टप्पेबाजी का जाल फैलाकर रकम बटोर रहा था।
रिपोर्टों के मुताबिक रोहिंग्याओं को जमीन खरीद कर बसाने के लिए बड़े पैमाने पर फंडिंग की जा रही है। कुछ हज़ार रुपए खर्च करने पड़े इन्हें नेपाल की नागरिकता संबंधित दस्तावेज मुहैया कराए जा रहे हैं।
क्षमता से ज्यादा भरी हुई लकड़ी की नाव में रोहिंग्या समुदाय के लोग बांग्लादेश के तटवर्ती इलाके कॉक्स बाजार से मलेशिया की ओर जा रहे थे, तभी नाव बंगाल की खाड़ी में डूब गई। तटरक्षक बल, नौसेना के गोताखोरों और अन्य बचाव दल ने अभी तक 14 महिलाओं, एक बच्चे और एक आदमी के शव को बरामद किया।
रोहिंग्या संगठन ARSA ईसाइयों को प्रताड़ित कर रहा है। हालिया हमले में 12 रोहिंग्या ईसाई गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ के शरीर पर एसिड फेंक कर हमला किया गया। पीड़ितों में महिलाएँ एवं बच्चे भी शामिल हैं।
बंगाल की खाड़ी में स्थित यह द्वीप 20 साल पहले ही उभरकर सतह पर आया था। बरसात के मौसम में इसके डूबने का खतरा बना रहता है। पिछले दिनों 66 रोहिंग्या अंडमान में घुसते पकड़े गए थे।
हिन्दू कहीं भी हो, कट्टर नहीं है। वो सामाजिक अपराध कर सकता है, धार्मिक आतंकवादी नहीं बनता। लेकिन, बांग्लादेशी यहाँ दीमक की तरह फैल रहे हैं, और समाज को खोखला कर रहे हैं। इन्हें बाहर फेंकना समय की माँग है, इसलिए इन्हें नागरिकता देने का तो सवाल ही नहीं उठता।
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 24 मई, 2018 तक 9,00,000 से अधिक रोहिंग्याओं ने म्यांमार के रखाइन प्रांत से पलायन किया है। 2017 में सैन्य कार्रवाई के बाद बड़े पैमाने पर हुई हिंसा के कारण ये भागे हैं।