ये सब बोर्ड के अधिकारियों की मौजूदगी में किया जाएगा। दिक्कत ये है कि इससे भक्तों की भावनाएँ आहत होंगी क्योंकि उनके द्वारा दान की गई चीजों के बदले में सोना लेकर उसे रिजर्व बैंक में डाल दिया जाएगा और श्रद्धालुओं को पता ही नहीं चलेगा कि उन्होंने जो चीजें दान दी हैं, वो कहाँ हैं और किस हालत में हैं।
इस यात्रा को हज़ारों लोग 83 किलोमीटर पैदल चल कर तय करते हैं। कुछ शरारती तत्वों ने इस पवित्र प्रक्रिया में विघ्न डालने के लिए यात्रा के रास्ते में जानवरों के माँस व कंकाल फेंक दिए ताकि हिन्दुओं की भावनाएँ आहत की जा सके। श्रद्धालुओं ने इसे लेकर गुस्सा जताया।
'कुछ मुद्दे ऐसे हैं जिनसे देश में हालात विस्फोटक हो सकते है, यह मुद्दा भी ऐसा ही है। हम कोई हिंसा नहीं चाहते, मंदिर में पुलिस की तैनाती बहुत अच्छी बात नहीं है। यह बेहद भावनात्मक मुद्दा है। हजार साल से वहाँ परम्परा जारी है।''
वामपंथी मंत्री ने एक्टिविस्ट बिंदु अम्मिणी पर हुए हमले को नाटक करार दिया। उन्होंने कहा कि ये सब पूर्व-नियोजित ड्रामा था। बता दें कि बिंदु सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के लिए जा रही थीं, तभी किसी व्यक्ति ने उनपर मिर्ची स्प्रे से हमला कर दिया था।
“एर्नाकुलम शहर के पुलिस आयुक्त कार्यालय के बाहर एक आदमी ने मेरे चेहरे पर मिर्च पाउडर छिड़क दी। पुलिस बहुत गैर जिम्मेदार है और उन्होंने उस बदमाश को गिरफ्तार करने की कोशिश नहीं की, जिसने उन पर हमला किया।”
पुलिस ने बताया कि उन महिलाओं को मंदिर की परंपरा के बारे में पता नहीं था और उन्हें जैसे ही इसका भान हुआ, वो ख़ुद वापस चली गईं। पुलिस ने बताया कि उन महिलाओं को समझाने की कोई ज़रूरत ही नहीं पड़ी।
युवती छगनलाल के विरोध पर चीखी, "द्वार खोलिए, अन्यथा तोड़ना पड़ेगा। डाऊन विद पेट्रियारकी। हमें जल्दी है, आप अपना मग्गा ले कर कोने मे बैठ जाएँ। जब एक महिला अंतरिक्ष में जा सकती है, एवरेस्ट पर जा सकती है तो आपके स्नानागार में क्यों नहीं आ सकती है।"
“राज्य सरकार सबरीमाला मंदिर जाने वाली किसी भी महिला को सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी। तृप्ति देसाई जैसी कार्यकर्ताओं को सबरीमाला को अपनी शक्ति प्रदर्शन के स्थान के रूप में नहीं देखना चाहिए। अगर उन्हें पुलिस सुरक्षा की जरूरत है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर आना होगा।”
"सबरीमाला में घुसने का प्रयास करने वाली 10 से 50 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं को राज्य सरकार कोई सहायता मुहैया नहीं कराएगी। हमें अभी इस बात पर विचार करना है कि आगे क्या किया जा सकता है अगर..."