Thursday, May 22, 2025
Homeदेश-समाजसबरीमाला: पवित्र यात्रा के रास्ते में फेंके माँस के टुकड़े व जानवरों के कंकाल,...

सबरीमाला: पवित्र यात्रा के रास्ते में फेंके माँस के टुकड़े व जानवरों के कंकाल, श्रद्धालुओं में आक्रोश

पंचायत ने 6 जनवरी को ही आदेश पारित किया था कि 13-14 जनवरी को होने वाली इस पवित्र यात्रा के रास्ते में पड़ने वाली माँस की दुकानों को बंद किया जाए। स्थानीय इस्लामी और वामपंथी समूहों ने इस आदेश पर आपत्ति जताई थी। वामपंथियों ने दावा किया था कि ये सब केरल सरकार की 'प्रगतिशील सोच' के विरुद्ध है।

सबरीमाला मंदिर में हर वर्ष की तरह इस बार भी तिरुवाभरणम यात्रा की शुरुआत हुई लेकिन कुछ शरारती तत्वों ने यात्रा के रास्ते में जानवरों के माँस व कंकाल डाल कर सबरीमाला मंदिर के इस जुलूस में बाधा पहुँचाने का प्रयास किया। सबरीमाला के मुख्य देवता स्वामी अयप्पा अपने शरीर पर कई आभूषण धारण करते हैं। इन आभूषणों को प्रत्येक वर्ष पंडालम से लेकर सबरीमाला के मुख्य मंदिर तक ले जाया जाता है। ये यात्रा काफ़ी धूमधाम से होती है और इसमें कई लोग शिरकत करते हैं। इसी कार्यक्रम को तिरुवाभरणम कहा जाता है। पवित्र बक्सों में रख कर आभूषण को ले जाया जाता है।

इन आभूषणों को भगवान अयप्पा के पालक पिता और पंडालम के राजा राजशेखर ने इन गहनों को तैयार किया था। सो भगवान अयप्पा के पालक-पिता भी थे। इस यात्रा को हज़ारों लोग 83 किलोमीटर पैदल चल कर तय करते हैं। इन बक्सों को 12 लोगों द्वारा अपने सिर पर ढोया जाता है। ‘ऑर्गनाइजर’ में प्रकाशित एक ख़बर के अनुसार, कुछ शरारती तत्वों ने इस पवित्र प्रक्रिया में विघ्न डालने के लिए यात्रा के रास्ते में जानवरों के माँस व कंकाल फेंक दिए ताकि हिन्दुओं की भावनाएँ आहत की जा सके।

ग्रामीणों ने जब माँस के टुकड़ों व जानवरों के कंकाल को यात्रा के रास्ते में पड़ा हुआ देखा तो अफरातफरी मच गई। लोगों ने जल्दी-जल्दी किसी तरह रास्ते को साफ़ किया। जहाँ ये घटना हुई, वहाँ के रास्ते को धोया गया और सफाई की गई। पंचायत ने 6 जनवरी को ही आदेश पारित किया था कि 13-14 जनवरी को होने वाली इस पवित्र यात्रा के रास्ते में पड़ने वाली माँस की दुकानों को बंद किया जाए। स्थानीय इस्लामी और वामपंथी समूहों ने इस आदेश पर आपत्ति जताई थी। वामपंथियों ने दावा किया था कि ये सब केरल सरकार की ‘प्रगतिशील सोच’ के विरुद्ध है।

कई वामपंथियों ने सोशल मीडिया पर इस आदेश को ‘सेक्युलर विचारधारा’ के ख़िलाफ़ बताया था। वहीं श्रद्धालुओं का कहना है कि इस यात्रा से पहले माँस की दुकानों को बंद रखना एक पुरानी परंपरा है क्योंकि श्रद्धालुओं को शिकायत रहती थी कि रास्ते में ऐसे दुकानों के खुले रहने से कचरों के कारण रास्ता अपवित्र हो जाता था। पंचायत सचिव एस. ज्योति ने बताया कि ग्रामीण तन-मन-धन लगा कर रास्ते को साफ़ करते हैं लेकिन फिर भी माँस के टुकड़ों से इसे अपवित्र करने की कोशिश की गई।

पंचायत के डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि यात्रा शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए ये आदेश जारी किया गया लेकिन कुछ लोग बिना वजह इसे मुद्दा बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये आदेश एक ‘रूटीन अफेयर’ था और इसमें कुछ भी नया नहीं है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘मोहसिन सर आए… दबाने लगे सीना-जाँघ…’: निशानेबाजी सिखाने के बहाने इंदौर में लड़कियों का कर रहा था शिकार, हिंदू संगठन बोले- 100+ का किया...

इंदौर में शूटिंग के नाम पर यौन शोषण करने वाले मोहसिन खान के फोन से कई लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें करते हुए वीडियो मिले हैं।

कितनी सरकारें आईं, गईं, अबूझमाड़ में खत्म नहीं कर सकी नक्सली हुकूमत… पर मोदी सरकार ने यह भी कर दिखाया: जानिए कैसे 4000 वर्ग...

छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ इलाके से मोदी सरकार ने नक्सलियों को भागने पर मजबूर कर दिया है। यहाँ इससे पहले वह समानांतर सरकार चलाते थे।
- विज्ञापन -