Saturday, July 27, 2024
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मैं तो सबरीमाला जाऊँगी, सुरक्षा दो या न दो: केरल सरकार ने तृप्ति देसाई से कहा- SC से ऑर्डर ले कर आओ

“सबरीमाला में घुसने का प्रयास करने वाली 10 से 50 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं को राज्य सरकार कोई सहायता मुहैया नहीं कराएगी। हमें अभी इस बात पर विचार करना है कि आगे क्या किया जा सकता है....."

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुरुवार (नवंबर 12, 2019) को सबरीमाला मामले पर स्पष्ट फैसला न आने के दो दिन बाद केरल स्थित भगवान अयप्पा मंदिर के कपाट आज यानी शनिवार (नवंबर 16, 2019) को श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएँगे। मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी। हालाँकि, महिलाओं को कोई सुरक्षा नहीं दी जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केरल के कानून मंत्री एके बालन ने कहा, “सबरीमाला में घुसने का प्रयास करने वाली 10 से 50 वर्ष तक की उम्र की महिलाओं को राज्य सरकार कोई सहायता मुहैया नहीं कराएगी। हमें अभी इस बात पर विचार करना है कि आगे क्या किया जा सकता है अगर किसी ने मंदिर में घुसने की इच्छा व्यक्त की तो कोर्ट का आदेश बेहद उलझा हुआ है और उस पर अध्य्यन की आवश्यकता है।”

इस बीच महिला अधिकार कार्यकर्ता तृप्ति देसाई ने शुक्रवार (नवंबर 15, 2019) को कहा कि वह 20 नवंबर के बाद सबरीमाला मंदिर जाएँगी। चाहे उन्हें केरल सरकार द्वारा सुरक्षा प्रदान की जाए या नहीं। उन्होंने कहा, “मैं 20 नवंबर के बाद सबरीमाला जाऊँगी। हम केरल सरकार से सुरक्षा की माँग करेंगे। यह उन पर निर्भर करता है कि वो हमें सुरक्षा देंगे या नहीं। अगर हमें सुरक्षा प्रदान नहीं भी की जाती है, तो भी मैं दर्शन के लिए सबरीमाला मंदिर जाउँगी।”

केरल देवस्वोम बोर्ड के मंत्री के सुरेंद्रन ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार मंदिर जाने वाली किसी भी महिला को सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी और जिन्हें सुरक्षा की आवश्यकता है, उन्हें सर्वोच्च न्यायालय से एक आदेश लेकर आना होगा। के सुरेंद्रन ने तिरुवनंतपुरम में एक संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, “राज्य सरकार सबरीमाला मंदिर जाने वाली किसी भी महिला को सुरक्षा प्रदान नहीं करेगी। तृप्ति देसाई जैसी कार्यकर्ताओं को सबरीमाला को अपनी शक्ति प्रदर्शन के स्थान के रूप में नहीं देखना चाहिए। अगर उन्हें पुलिस सुरक्षा की जरूरत है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर आना होगा।”

गौरतलब है कि गुरुवार को सबरीमाला मामले पर सुप्रीम कोर्ट से निर्णायक फैसला नहीं आया है। क्योंकि 5 जजों की पीठ में से 3 जज इस मामले को बड़ी पीठ के पास भेजे जाने के पक्ष में रहे जबकि 2 जजों ने इससे संबंधित याचिका पर ही सवाल उठा दिए। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस खानविलकर और जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने इस मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने के पक्ष में अपना मत सुनाया। जबकि पीठ में मौजूद जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस नरीमन ने सबरीमाला समीक्षा याचिका पर असंतोष व्यक्त किया। अंततः पीठ ने सबरीमाला मामले में फैसला सुनाने के लिए बड़ी पीठ (7 जजों की बेंच) को प्रेषित कर दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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