मदरसे के नाम पर हुए लाखों के घोटाले के कारण जिला प्रशासन में हलचल मची हुई है। इस मामले में डीएम का कहना है कि रिपोर्ट सरकार के पास भेज दी गई है। जाँच में जो भी विभागीय अधिकारी संलिप्त पाया जाएँगे उन पर सख्त कार्रवाई होगी।
सीबीआई ने इस मामले में गाजियाबाद के इंदिरापुरम निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, दिल्ली के रोहिणी निवासी राकेश शर्मा, सुमन शर्मा, बेहट के निवासी मोहम्मद नसीम अहमद और मोहम्मद वाजिद का नाम दर्ज़ किया है।
राजीव सक्सेना वो शख़्स है, जो स्विट्ज़रलैंड में अलग-अलग बैंक एकाउंट्स को चलाता है। इन बैंक अकाउंट्स में अगस्ता वेस्टलैंड से आई किक बैक्स की रकम डाली गई थी।
जब सक्सेना के वकीलों ने संयुक्त अरब अमीरात की सुरक्षा एजेंसी से बात करने की कोशिश की कि पूरा मामला क्या था तो, वकीलों के शब्दों में, उन्हें कहा गया, “भारत सरकार से पूछो।”
दो महीने से कर्ज़माफ़ी का इंतजार कर रहे कुछ किसानों के पैरों तले जमीन तब खिसक गई, जब कर्ज़माफ़ी की सूची में उन्होंने देखा कि सिर्फ़ 25 और 300 रुपए माफ़ होना दर्शाया गया है।
कर्ज़ माफ़ी के नाम पर यह घोटाला कितने बड़े स्तर का है, इसका पैमाना है अकेले डूंगरपुर जिले से लाभार्थियों की सूची। यहां के 1700 से अधिक किसानों के नाम उस सूची में हैं लेकिन आश्चर्य की बात है कि किसी ने भी लोन नहीं लिया था।