Thursday, April 25, 2024
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मायावती की ₹1400 करोड़ के घोटाले से जुड़ी फ़ाइलों से हटेगी धूल!

बसपा प्रमुख मायावती के कार्यकाल के दौरान यूपी के लखनऊ और नोएडा में स्मारक निर्माण का कार्य हुआ था। इस निर्माण में क़रीब ₹1400 करोड़ का घोटाला सामना आया था।

लखनऊ में आज ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने स्मारक घोटाले मामले में कई जगहों पर छापेमारी की है। इस छानबीन में ईडी की टीम कई फर्म के साथ निर्माण निगम इंजीनियर्स के ठिकानों पर पहुँची। ईडी के सूत्रों की मानें तो स्मारक घोटाले में ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत मिले हैं।

बता दें कि बसपा प्रमुख मायावती के कार्यकाल के दौरान यूपी के लखनऊ और नोएडा में स्मारक निर्माण का कार्य हुआ था। इस निर्माण में क़रीब ₹1400 करोड़ का घोटाला सामना आया था। इस घोटाले की जाँच अब अंतिम पड़ाव पर है।

पाँच एजेंसियों से माँगी ईडी ने जाँच की सूची

इस पूरे मामले में ईडी ने यूपी की सभी जाँच एजेंसियों से पाँच करोड़ से ज्यादा के घोटालों से जुड़ी सूची माँगी है। सभी जाँच एजेंसियों को पत्र लिखे गए हैं।

सीबी सीआईडी, ईओडब्ल्यू, एसआईटी, विजिलेंस और ऐंटी करप्शन ऑर्गेनाइजेशन को लिखे पत्र में ईडी ने जानकारी माँगी है कि उनके यहाँ पाँच करोड़ से ज़्यादा के घोटाले के कौन-कौन से मामले हैं। साथ में पत्र में इन मामलों की क्या स्थिति है इसके बारे में भी पूछा है।

स्मारक घोटाले में ईडी के साथ विजिलेंस ने भी केस को दर्ज कर रखा है। पूरे मामले में अभी तक भी विजिलेंस की तरफ से कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया है। इसके कारण इन मामलों में कोई छापेमारी और गिरफ़्तारी नहीं हुई है। इसी वजह से ईडी की जाँच भी आगे नहीं बढ़ पा रही है। बता दें ईडी स्मारक घोटाले जैसे मामलों पर एजेंसियों को भेजे गए पत्रों से ब्यौरा जुटाएगी।

दिग्गज़ नेता और अधिकारियों के ख़िलाफ़ है ये पूरा मामला

अब विजिलेंस (जाँच सतर्कता आयोग) इस मामले पर जल्द ही जाँच पूरी करने जा रही है। जिसके चलते बसपा सरकार के दो दिग्गज़ मंत्रियों नसीमुद्दीन सिद्दीक़ी और बाबू सिंह कुशवाहा के साथ तीन दर्जन से ज़्यादा इंजीनियरों और अन्य विभागों के अधिकारियों का फंसना तय बताया जा रहा है।

कई मुश्किलों के बाद भी विजिलेंस इस मामले से जुड़ी रिपोर्टों को शासन को जल्द से जल्द सौंपने की तैयारी में है। सपा सरकार के लोकायुक्त की जाँच रिपोर्ट मिलने के बाद विजिलेंस को इस पूरे मामले की ज़िम्मेदारी सौंपी गई थी। इस मामले पर हुई जाँच के बाद विजिलेंस ने प्रदेश की राजधानी के गोमतीनगर थाने में क़रीब 100 आरोपितों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की थी।

लेकिन, मुक़दमा दर्ज होने के तीन साल तक इस मामले पर ध्यान नहीं दिया गया। यहाँ तक इस मामले से जुडे़ पूर्व मंत्रियों के बयान तक दर्ज नहीं किए गए थे। लेकिन अब सत्ता बदलने के बाद स्मारक घोटाले की फाइलों को दोबारा से खोला जा रहा है। इस मामले पर पुख़्ता जाँच के लिए सात इंस्पेक्टरों की एक एसआईटी टीम का भी गठन हुआ है। ये टीम पूरे मामले के अंतिम निष्कर्ष पर पहुँचकर अपनी रिपोर्ट को शासन को सौंपने की तैयारी में है।

स्मारक घोटाला

स्मारक घोटाले के बारे में आपको बता दें कि इस मामले में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर हुई थी। इसमें अंबेडकर स्मारक परिवर्तन स्थल लखनऊ, गौतमबुद्ध उपवन, मान्यवर कांशीराम स्मारक स्थल, इको पार्क, रामबाई आंबेडकर मैदान स्मृति उपवन, नोएडा आंबेडकर पार्क आदि के निर्माण में 14,10,83,43,000 रुपए के घोटाले का आरोप लगाया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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