एक नन ने बिशप फ्रैंको मुलक्कल पर रेप का आरोप लगाया था। सिस्टर लूसी ने उसका समर्थन किया था। बीते साल इसके कारण उन्हें FCC ने निष्कासित कर दिया था। हालॉंकि वायनाड की अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी।
पादरी को गिरफ़्तार किए जाने के बाद पुलिस को विदेश से कई फोन कॉल आए, जिनमें उसे छोड़ने को कहा गया। ये दिखाता है कि भारत में ईसाई पादरियों व चर्चों के नेक्सस की कितनी बड़ी पहुँच है। पादरी ने आधी रात के समय महिलाओं को अकेले देख कर छेड़खानी की।
जेसुइट पादरी डोनल्ड जे मग्वायर मदर टेरेसा का आध्यात्मिक सलाहकार था। उसने 11 साल के एक लड़के का यौन शोषण किया - एक बार नहीं, हजारों बार। उसके खिलाफ यौन संबंधों के बारे में जब रिपोर्ट आई थी, तब मदर टेरेसा ने सभी आरोपों को असत्य बताया था।
ऑपइंडिया ले कर आया है इस वर्ष की नृशंस अपराधों की टॉप-10 ख़बरें, जिन्हें वामपंथी मीडिया ने छिपाने की भरसक कोशिश की। ये ऐसी ख़बरें हैं, जिन्हें मीडिया के एक वर्ग ने छिपाना चाहा। साल की ऐसी सभी 10 ख़बरों को आप एक साथ यहाँ पढ़ सकते हैं।
ऐसे कई और यौन शोषण की घटनाएँ हैं जो चर्च में पादरियों द्वारा अंजाम दी गई हैं। भारत में केरल का मामला तो चल ही रहा है। कहा जाता है पूरे विश्व में ऐसे अनगिनत मामले हैं जहाँ पादरियों ने न सिर्फ बच्चों बल्कि नन को भी नहीं बख्शा है।
पीड़ित लड़कियों की शिकायत पर इन सभी आरोपितों को इसी साल 17 जून को आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। लेकिन एनजीओ की शिकायत पर सुनवाई के दौरान इन सभी आरोपितों को बरी कर दिया गया।
"कॉन्वेंट्स में जवान ननों को पादरियों के पास उनके 'यौन सुख' के लिए भेजा जाता है। वहाँ उन्हें घंटों नंगे खड़ा रखा जाता है। वो लगातार गिड़गिड़ाती रहती हैं लेकिन उन्हें जाने नहीं दिया जाता है। 'सेफ सेक्स' के लिए आयोजित 'प्रैक्टिकल क्लास' में पादरी और भी कई कुकर्म करते हैं।"
लड़की एक दिहाड़ी मजदूर की बेटी है। जो गाँव में अपनी दादी के पास रहती थी। 11वीं कक्षा में पढ़ने के दौरान पहले उसका यौन शोषण एक पादरी ने किया, फिर एक नाइजिरियन ने शादी का झाँसा देकर उसके साथ लगातार 4 दिन वही सब दोहराया।
दोनों पादरी ने 2005 से 2016 के बीच में अपने कुकर्मों को अंजाम दिया। 2016 में इसका खुलासा हुआ था। कहा जा रहा है कि पोप फ्रांसिस को 2014 की शुरुआत में ही इन पादरियों में से एक पर लगे आरोपों के बारे में जानकारी थी।
इसी साल की शुरुआत में कई नन महिलाओं द्वारा ईसाई मिशनरियों में होने वाले शारीरिक शोषण को लेकर कई खुलासे किए गए थे जिसके बाद खुद पोप फ्रांसिस ने भी इस बात को स्वीकार किया था कि बहुत से बिशप-पादरियों ने कई नन महिलाओं का यौन उत्पीड़न किया ।