कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं होने को लेकर संदीप दीक्षित ने बगावती सुर दिखाए हैं। उनका समर्थन करते हुए थरूर ने कहा है, “संदीप दीक्षित ने जो कहा है वह देश भर में पार्टी के दर्जनों नेता निजी तौर पर कह रहे हैं। इनमें से कई नेता पार्टी में जिम्मेदार पदों पर बैठे हैं।”
...अगर गृह मंत्रालय नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो के प्रस्ताव को स्वीकार करता है, तो गाँधी परिवार को हवाई अड्डे की सुरक्षा से आम नागरिक की तरह गुजरना होगा और घरेलू या अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में सवार होने के लिए अन्य यात्रियों के साथ कतार में खड़ा होना होगा।
संबित पात्रा ने कहा कि सोनिया गाँधी के पिता तो मुसोलिनी और हिटलर जैसे तानाशाहों से जुड़े हुए थे, फिर उन्हें भारत की नागरिकता क्यों दी गई? संबित पात्रा के इन आरोपों का अब तक कॉन्ग्रेस ने कोई जवाब नहीं दिया है।
सोनिया ने पार्टी नेताओं को स्पष्ट कह दिया था कि जब भी ऐसा लगे कि सरकार कॉन्ग्रेस के बनाए दिशानिर्देशों के अनुरूप काम नहीं कर रही है, पार्टी शिवसेना से अपना समर्थन वापस ले लेगी। सोनिया के आदेश के बाद उद्धव से लिखित आश्वासन लिया गया, तभी महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बन पाई।
‘गंगो जमन के खिलाफ आरएसएस और भाजपा के लोग’ और ‘हम कॉन्ग्रेस के लोग: दुष्प्रचार और सच' नामक दो किताबें कॉन्ग्रेस नेताओं को दी गई है। पहली किताब में बताया गया है कि तिरंगे का विरोध करने वाला RSS हिन्दू-मुस्लिम एकता के ख़िलाफ़ काम कर रहा है।
जब कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी सहित राजीव गाँधी के परिवार ने दोषियों को 'माफ' कर दिया और कहा कि हत्यारों को रिहा करने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, तो राजीव गाँधी के साथ मरने वालों के परिजन उनके इस कदम से खुश नहीं थे। राजीव गाँधी के साथ जान गँवाने वालों 13 लोगों के परिजनों की तरफ से सोनिया गाँधी या उनके बच्चे कैसे फैसला ले सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील हैं इंदिरा जय सिंह। उन्होंने निर्भया की माँ को सलाह दिया कि वो सोनिया गाँधी का अनुसरण करें। उन्होंने अपने पति के हत्यारों के लिए मौत की सज़ा नहीं माँगी। ठीक उसी तरह से निर्भया की माँ भी सब कुछ भुलाकर अपनी बेटी के बलात्कारियों को माफ कर दें।
पिछले दिनों राहुल गॉंधी ने कहा था कि उनका नाम राहुल सावरकर नहीं है। अब उन्हें नया नाम मिल गया। उमा भारती ने उन्हें और उनकी प्रियंका गॉंधी को जिन्ना बताते हुए कहा है कि दोनों CAA के नाम पर मुस्लिमों को डरा रहे हैं।
जेएनयू हिंसा को अंजाम देने की वास्तविक बातचीत का दिखावा तो खुद करते हैं और दोष ABVP पर डालते हैं। निश्चित रूप से इस हिंसा से एबीवीपी को तो कोई फायदा नहीं है। किसको है ये आप सभी को पता है? कौन है जो देश में अराजकता, हिंसा और दंगे की स्थिति पैदा करना चाहता है? अब देखना यह होगा कि भारत में अराजकता पैदा करने के लिए कॉन्ग्रेस और वामपंथियों का यह इकोसिस्टम कितनी दूर तक जाएगा?
झामुमो के साथ कॉन्ग्रेस पहले भी सरकार में साझेदार रही है। फिर भी हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में सोनिया गॉंधी नहीं पहुँचीं। क्या कर्नाटक के अनुभव और आम चुनावों के नतीजों से मारा विपक्ष अब मट्ठा भी फूॅंक-फूॅंक कर पी रहा है?