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Tuesday, April 15, 2025
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RSS पर प्रोपेगेंडा पढ़ेंगे कॉन्ग्रेसी, सोनिया और प्रियंका गाँधी की मौजूदगी में बँटी किताब

कॉन्ग्रेस अब नेताओं को अपने हिसाब से इतिहास पढ़ाएगी और बताएगी कि कौन क्या था? संघ और भाजपा के बारे में लोगों को क्या बताना है, इसके लिए नेताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।

सियासी मैदान में भाजपा का मुकाबला करने में नाकाम रही कॉन्ग्रेस अब अपने कार्यकर्ताओं को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रोपेगेंडा पढ़ाएगी। इसके लिए बकायदा कार्यकर्ताओं को पोथी थमाई गई है। इसे ‘कैप्सूल’ नाम दिया गया है, जो ‘दुश्मन को समझो, और उसका हथियार को जानो’ वाली नीति के तहत आता है। रायरबरेली में कॉन्ग्रेस के जिला और शहर अध्यक्षों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में यह किताब बॉंटी गई। कार्यक्रम में पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गॉंधी और महासचिव प्रियंका गॉंधी भी मौजूद थीं।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक ये किताब देखकर ​कॉन्ग्रेस नेता भी भौंचक रह गए। कॉन्ग्रेस का कहना है कि इससे उनके नेता प्रतिद्वंद्वियों पर वार करने में सिद्धहस्त हो जाएँगे। कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि इसे अलग तरह से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे इतिहास की दोबारा पढ़ाई के रूप में देखा जाना चाहिए। नेताओं ने कहा कि चीन की एक कहावत से प्रेरित होकर ये क़दम उठाया गया है। उस कहावत के अनुसार, अगर आप ख़ुद को और अपने दुश्मन को अच्छी तरह समझते हैं तो आप 100 युद्ध भी जीत सकते हैं। इस ‘कैप्सूल’ में सावरकर, गोलवरकर, एबीवीपी, दुर्गा वाहिनी और भारतीय विचार केंद्र जैसी हस्तियों व संगठनों के बारे में जानकारी है।

बुधवार (जनवरी 22, 2020) को हुए सेशन में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी और पार्टी अध्यक्ष प्रियंका गाँधी भी मौजूद थीं। दोनों नेताओं ने पार्टी कैडर को ‘मिशन 2022’ के लिए तैयारी करने को कहा। उसी वर्ष यूपी में विधानसभा चुनाव भी होने हैं। प्रियंका गाँधी ने सम्मलेन में कहा, “कॉन्ग्रेस के समर्थन में आवाज़ उठने लगी है। हमें इस आवाज़ को और मजबूत बनाना है। इसे भावना में तब्दील करना है। इससे 2022 में हमें जनसमर्थन मिलेगा।

2022 विधानसभा चुनाव में कॉन्ग्रेस राज्य में अपने कैडर को पुनर्जीवित करने में लगी हुई है। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के गढ़ में भाजपा ने सबको मात देकर प्रचंड बहुमत से सरकार बनाई और लोकसभा चुनाव में भी इस करिश्मे को दोहराया। ऐसे में, राज्य में चौथे नंबर पर फिसली देश की सबसे पुरानी पार्टी अब ‘दुश्मन को जानने’ में लगी हुई है। अब वह शाह की रणनीति की तर्ज पर ‘माइक्रो मैनेजमेंट’ करने में लगी हुई है। सभी सदस्यों को एक डायरी दी जा रही है, जिसमें वो अपने-अपने बूथ क्षेत्र के बारे में रोज लिखेंगे। बता दें कि अमित शाह ने भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद ‘बूथ स्तर मैनेजमेंट’ परंपरा को आगे बढ़ाया था।

नेताओं को अपने-अपने बूथ क्षेत्र में होने वाले अपराधों का भी ब्यौरा नोट करने को कहा गया है, ख़ासकर वो अपराध जो महिलाओं के ख़िलाफ़ होते हैं। पार्टी का कहना है कि राजमर्रा की घटनाओं से नेता जितने अवगत रहेंगे, वो उन मामलों को उठाने में उतना ही सक्षम होंगे। कॉन्ग्रेस नेताओं को नए-नए संपर्क बनाने और पार्टी की विचारधारा को फैलाने का भी टास्क दिया गया है। इन डायरियों में लिखी गई चीजों के आधार पर समय-समय पर तय किया जाएगा कि देश की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य में कॉन्ग्रेस पार्टी को कैसे ज़्यादा से ज़्यादा मजबूत किया जाए।

कॉन्ग्रेस नेताओं से कहा गया है कि वो सीएए और एनआरसी को लेकर लोगों को कॉन्ग्रेस का पक्ष समझाएँ। साथ ही पहली बार वोट डालने वाले वोटरों को लुभाने का टास्क भी दिया गया। नेताओं को सोशल मीडिया पर सेशन आयोजित करा कर तकनीकी रूप से सक्षम बनाने की पहल की गई।

जो दो किताबें कॉन्ग्रेस नेताओं में बाँटी गई हैं, उनमें से एक का नाम है ‘गंगो जमन के खिलाफ आरएसएस और भाजपा के लोग’ और दूसरी किताब का नाम ‘हम कॉन्ग्रेस के लोग : दुष्प्रचार और सच’ है। पहली पुस्तक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वेशभूषा में एक व्यक्ति को दिखाया गया है और इसमें भगवा ध्वज भी दिख रहा है। इसमें बताया गया है कि स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा न लेने वाला और तिरंगे का विरोध करने वाला आरएसएस हिन्दू-मुस्लिम एकता के ख़िलाफ़ काम कर रहा है।

इस किताब में स्वतंत्रता संग्राम और आरएसएस की भूमिका, आजादी के प्रतीकों का विरोध, संविधान विरोधी आरएसएस-भाजपा, आरएसएस के प्रति नेताओं के विचार, भाजपा-आरएसएस के स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति विचार, भाजपा गरीब विरोधी है, भाजपा सामाजिक न्याय को पसंद नहीं करती, भाजपा के भ्रष्टाचार के किस्से, महिलाओं के प्रति आरएसएस-भाजपा के विचार, भाजपा की आर्थिक नीति और वर्तमान आर्थिक हालात, भाजपा की विदेश नीति दब्बू है- ये सारे चैप्टर हैं। इनके नाम से ही साफ़ हो जाता है कि इसके अंदर क्या होगा।

वहीं, दूसरी पुस्तक के कवर पेज पर पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की तस्वीर लगी हुई है। इस पुस्तक में निम्नलिखित 12 आरोपों के सिलसिलेवार तरीके से जवाब दिए गए हैं:

  • गाँधी जी ने पाकिस्तान को भारता का रुपया देकर उसकी सहायता की थी।
  • पाकिस्तान पर कॉन्ग्रेस का रुख नरम है।
  • कॉन्ग्रेस ने आतंकवादियों को बिरयानी खिलाई है।
  • भाजपा राष्ट्रवादी पार्टी है और कॉन्ग्रेस देशद्रोहियों का समर्थन करती है।
  • कॉन्ग्रेस सेना के भले के बारे में कुछ नहीं सोचती।
  • नेहरू ने पटेल को प्रधानमंत्री नहीं बनने दिया। अगर नेहरू की जगह पटेल देश के प्रधानमंत्री होते तो देश में कोई समस्या नहीं होती।
  • कॉन्ग्रेस ने सुभाष चंद्र बोस, सरदार पटेल और स्वतंत्रता आंदोलन के अन्य नेताओं को तरजीह नहीं दी।
  • कॉन्ग्रेस केवल नेहरू-गाँधी परिवार के इर्द-गिर्द घूमती है।
  • कॉन्ग्रेस ने वंशवाद की राजनीति को आगे बढ़ाया है।
  • कॉन्ग्रेस ने देश में 70 वर्षों में कुछ नहीं किया।
  • कॉन्ग्रेस ने देश में मुफ्तखोरी वाली लत लगाई है।
  • कॉन्ग्रेस मुस्लिम परस्त है। पार्टी तुष्टिकरण की राजनीति करती है और हिंदू आस्था का सम्मान नहीं करती है।

कुल मिला कर देखें तो अब पार्टी का पूरा ध्यान स्थानीय स्तर के नेताओं को प्रशिक्षित करने पर है, वो भी अपने हिसाब से। कॉन्ग्रेस अब नेताओं को अपने हिसाब से इतिहास पढ़ाएगी और बताएगी कि कौन क्या था? संघ और भाजपा के बारे में लोगों को क्या बताना है, इसके लिए नेताओं को प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वो जनता के बीच जाकर सवालों के जवाब दे सकें और ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी तर्कशक्ति से कॉन्ग्रेस के पाले में ला सकें। सोशल मीडिया और बूथ स्तर पर भाजपा की लगातार बढ़ती ताक़त से बेचैन कॉन्ग्रेस ने ये क़दम उठाया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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