"कॉन्ग्रेस पार्टी भले ही दस साल आगे की सोच रखने का दावा करती हो मगर सच्चाई यह है कि इस पार्टी के लोग अगले दस मिनट में क्या कर डालेंगे, इसका किसी को कोई अंदाज़ा नहीं। हकीकत यह है कि आप आने वाले समय में एक वेब सीरीज बना सकते हैं कि कैसे कॉन्ग्रेस पार्टी जनता से दूर होती चली गई।"
रीजनल कंप्रेहेंसिव इकनॉमिक पार्टनरशिप (आरसीईपी) और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट्स (एफटीए) पर सोनिया के बयान को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने मनमोहन सिंह का अपमान बताया है। साथ ही उन्होंने पूछा है कि क्या इसका जवाब पूर्व प्रधानमंत्री देंगे।
महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनावी नतीजों में कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है। गॉंधी परिवार प्रचार से दूर रहा। राहुल कम बोले। इसका असर दिखना लाजिमी था। सो, भाजपा की सीटें दोनों जगह घट गईं।
पिछले महीने सोनिया ने आईएनएक्स मीडिया केस में तिहाड़ में बंद रहे पी चिदंबरम से भी मुलाक़ात की थी। कॉन्ग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष का इस तरह अपनी पार्टी के दागी नेताओं से जेल जाकर मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है।
सिंघवी को कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता का फोन गया था और उनसे ट्वीट के कथ्य और इसकी टाइमिंग पर सवाल किए गए। कहा जा रहा है सिंघवी को ये कॉल सोनिया गाँधी के कहने पर किया गया, जो कि सिंघवी के ट्वीट से नाराज दिखीं।
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने हरियाणा चुनाव से हाथ खींच लिए हैं, इस चुनावी माहौल में हरियाणा के महेंद्रगढ़ में अपनी पहली चुनावी रैली से ठीक पहले ही आखिरी वक़्त पर जनसभा को संबोधित करने नहीं पहुँचीं।
खुर्शीद ने कहा, कॉन्ग्रेस बीजेपी की तरह नहीं है और न उसे कभी होना चाहिए। उन्होंने लिखा, “जब हमारे प्रवक्ता बीजेपी को काउंटर करने के हमारे दायित्वों की तरफ इशारा करते हैं तो उन्हें यह जरूर याद रखना चाहिए कि यह तभी संभव है जब हम बहुआयामी वैश्विक नजरिए और भयहीन अभिव्यक्ति पेश करेंगे।”
अब्दुल मन्नान ने राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा करने के लिए गुरुवार को दो बार सोनिया गाँधी से मुलाक़ात की थी। मन्नान पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता हैं। मन्नान ने मीडिया को बताया कि सोनिया ने राज्य में कॉन्ग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन के लिए हामी भर दी है।
अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि जब पार्टी चुनाव में उतरने वाली हो, तब इस तरह की टिप्पणियाँ कॉन्ग्रेस को फायदा पहुँचाने वाली नहीं हैं। बाहर बयानबाजी करने की बजाए खुर्शीद को अपनी राय पार्टी के भीतर ही जाहिर करनी चाहिए।
समय के फेर देखिए। जब सुनील दत्त को अनसुना कर संजय निरुपम को कॉन्ग्रेस में लाया गया तब सोनिया गॉंधी पार्टी की अध्यक्ष हुआ करती थीं। सुनील दत्त के जाने के 14 साल बाद जब वही निरुपम पार्टी को आँखें दिखा रहे हैं तो सोनिया ही पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं!