पत्र में कहा गया है कि अल्पसंख्यक क्षेत्रों में महिला मतदाताएँ सामान्य तौर पर बुर्का पहनकर वोट देने आती हैं। ऐसे में उन्हें बूथ में प्रवेश की अनुमति देने से पहले उनकी पहचान कर पाना सीपीएफ जवानों के लिए संभव नहीं होता।
अधिकारी जल्द ही बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। शुभेंदु का यह इस्तीफा आने वाले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव को मद्देनजर ममता सरकार के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
"हम जनता के प्रति जवाबदेह है। हमने जो वादे किए उसे लेकर हमें कहा गया कि हम उसे पूरा नहीं कर सकते। अगर हम अपने अधिकारों के बारे में बात करते हैं तो हमें पार्टी छोड़ने के लिए कहा जाता है।"
"पाकिस्तान और बांग्लादेश से प्रताड़ित होकर आने के बाद मटुआ समुदाय के लोग भारत में शरणार्थी की तरह रह रहे हैं। हम उन्हें किसी भी सूरत में नागरिकता देकर रहेंगे और ऐसा करने से हमें कोई नहीं रोक सकता है।"