"चारधाम श्राइन बोर्ड में मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे जबकि संस्कृति विभाग के मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। लेकिन इसमें शर्त यह है कि मुख्यमंत्री अगर हिन्दू हो तभी वे अध्यक्ष होंगे अन्यथा सरकार का एक वरिष्ठ मंत्री (जिसका हिंदू होना अनिवार्य होगा) बोर्ड का अध्यक्ष होगा।"
महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि जब राजनीति में भागीदारी की बात आती है तो सांसदों और विधायकों की पत्नियों को टिकट दे दिया जाता है। ज़मीन पर मेहनत करने वाली महिला कार्यकर्ताओं की पार्टी में कोई इज्जत नहीं है।
फलस्वाड़ी गाँव में मंदिर निर्माण के लिए जल्द ही यात्रा निकाली जाएगी। इसमें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और संत-महात्मा शामिल होंगे।
आरोपित को उसी जगह से गिरफ़्तार किया गया था, जहाँ से उसने घाट को बम से उड़ाने की धमकी दी थी। उत्तराखंड पुलिस ने कहा है कि जाँच जारी है। धमकी भरे कॉल के बाद, इलाके की सुरक्षा बढ़ा दी गई है।
"हाल में मैं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिला था। उन्होंने कहा कि चीन की सीमा से सटे इलाकों में एडवांस लैंडिंग के लिए एयरफील्ड का निर्माण किया जाना चाहिए। हम तेज़ी से इस पर काम कर रहे हैं।"
जब दीपावली के दिन हिन्दू पटाखे फोड़ रहे थे, तभी अचानक से लगभग 60 की संख्या में मुस्लिम भीड़ पहुँची और उन्होंने हिन्दुओं पर हमला कर दिया। भारी पथराव के कारण कई लोग घायल हो गए। जब मुस्लिमों ने पत्थरबाजी की तो कई लोगों ने इसका वीडियो भी बना लिया।
उत्तराखंड में दीपावली के 11 दिन या एक माह बाद माने जाने के पीछे एक और मान्यता बताई जाती है। कहा जाता है कि गढ़वाल क्षेत्र में भगवान राम के अयोध्या पहुँचने की खबर दीपावली के ग्यारह और कुछ स्थानों में एक माह बाद मिली और इसीलिए ग्रामीणों ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए बाद दीपावली का त्योहार मनाया था और इसी परंपरा को निभाते गए।
एक शख्स हाथ में पानी से भरे लौटे को पकड़ता है। दूसरे हाथ से उसमें नमक डालता है। इस दौरान वह अपनी जुबान से एक वादा या वचन देता है, जिसे पूरा करने की वो कसम खाता है। लौटे में नमक डालने के बाद वो किसी भी सूरत में अपने वचन को पूरा करने से पीछे नहीं हट सकता है। यही प्रथा कहलाती है- लूण लोटा। हिमाचल प्रदेश के कई भागों में यह प्रथा आज भी प्रचलित है।
रावत के वकीलों ने अदालत को बताया कि इस मामले की जॉंच का अधिकार सीबीआई को नहीं है। राज्य सरकार ने राष्ट्रपति शासन के दौरान जारी नोटिफिकेशन वापस लेकर SIT से जॉंच कराने का फैसला किया था।
अदालत ने यह भी कहा कि केवल मुस्लिमों के दो से अधिक बच्चे होने का आधार भी ग़लत है। अदालत ने कहा कि इस मामले में 21 याचिकाकर्ताओं में से सभी ने दो से अधिक बच्चे होने की बात स्वीकार की है। जबकि इनमें केवल एक मुस्लिम है, वह भी एक महिला।