दंगाइयों के पथराव से सड़कें ईंट-पत्थरों से पट गई। हालात पर नियंत्रण पाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज, आँसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। इस दौरान गलियों और छतों से भी पुलिस पर पथराव किया गया।
दंगाईयों द्वारा सरकारी संपत्ति को नुकसान, पुलिस पर हुए जानलेवा हमलों को देखते हुए उत्तर प्रदेश में अब अधिक सतर्कता बरती जा रही है। राज्य के 42 जिलों में सुरक्षा लिहाज से इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गईं हैं और पूरे प्रदेश में 31 जनवरी तक धारा 144 लागू हो चुकी है।
प्रदर्शनकारियों से दंगाईयों में तब्दील हुई इस भीड़ ने इस दौरान पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की। जिसमें करीब 26 पुलिस वाले घायल हो गए। इसके अलावा पुलिस जीप को भी निशाना बनाया गया। इस पूरे मामले में पुलिस ने 5000 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर ली है। जिसमें से कुछ लोगों की पहचान होने का भी दावा किया जा रहा है
हाई कोर्ट ने अदालत परिसर में नारेबाजी के प्रकरण की जाँच के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। समिति गहराई से जाँच के बाद दोषी वकीलों के खिलाफ कार्रवाई पर उचित दिशा-निर्देश देगी।
बम फटने के कारण रईस के हाथ में काफी गंभीर चोट आई है, इसलिए पुलिस की ओर से उसे अभी कुछ नहीं कहा गया है। पुलिस का कहना है कि रईस को फिलहाल ईलाज मुहैया करवाया जा रहा है और ईलाज के बाद उस पर एक्शन लिया जाएगा।
"बड़ी संख्या में भीड़ दरगाह में इकट्ठी हुई और फिर बाद में भीड़ ने पुलिसकर्मियों पर भारी मात्रा में पथराव करना शुरू कर दिया। इंस्पेक्टर जेएम सोलंकी भी घायल हो गए। दरगाह में नमाज के बाद दो से तीन हजार उपद्रवियों की भीड़ सड़क पर आई और..."
एबीवीपी के छात्रों द्वारा आयोजित सेमिनार के दौरान पहले एसएफआई के गुंडों ने उन्हें (ABVP के कार्यकर्ताओं को) उनकी क्लास से खींचकर बाहर निकाला और बाद में उनकी पिटाई की। इस बीच शिक्षकों के एक समूह ने बीच-बचाव करके किसी तरह छात्रों की जान बचाई।
"मुर्शिदाबाद जाते हुए मुझे नवग्राम के पास मुस्लिमों की बड़ी भीड़ ने घेर लिया है। मेरी गाडी के दोनों तरफ भीड़ जमा है। प्रशासन कोई सुनवाई नहीं कर रहा। SP और DG भी फ़ोन नहीं उठा रहे।"
जामा मस्जिद का शाही इमाम होने के नाते अहमद बुखारी का ये फर्ज था कि वो अपने समुदाय के लोगों को समझाएँ। नए कानून पर उनके भ्रम को दूर करें। लेकिन जैसे ही उन्होंने ऐसा किया, कौमी ठेकेदार उन पर टूट पड़े। उन्हें 'जमीरफरोश' करार दिया।