सेनगुप्ता ने कहा कि उस जगह से हिंसा की ख़बरें आई थीं, जिसका पता लगाने वो लोग वहाँ गए थे लेकिन तभी तृणमूल कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता उग्र हो गए और हमला बोल दिया। बंगाल पुलिस सामने के सामने ही यह सब हुआ लेकिन वो लोग मूकदर्शन बनें रहे।
ऐसा पहली बार नहीं है कि टीएमसी के गुंडों ने खुलेआम अपनी गुंडागर्दी दिखाई हो, इससे पहले इन्हीं हिंसाओं के बारे में सुनने के कारण पिछले चरण में ग्रामीणों ने मतदान बहिष्कार करने का फैसला कर लिया था।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth Science) के सचिव माधवन राजीवन ने कहा कि यह IMD के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने इस बड़े संकट से निपटने के लिए इसके महानिदेशक के जे रमेश को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि विभाग ने अन्य मौजूदा मॉडलों के अलावा अपने क्षेत्रीय तूफान मॉडल का सफलतापूर्वक उपयोग किया है।
PM मोदी ने जनसभा को सम्बोधित करते हुए सेरामपुर की जनता से भाजपा के पक्ष में मतदान करने की अपील की। लेकिन, इन सब से ज्यादा चर्चा का विषय देबजीत सरकार द्वारा इस जनसभा के बाद की तस्वीरें बन गई हैं।
ऐसे मौकों पर एडिटर्स गिल्ड उसी 'गुप्त' रोग से ग्रसित हो जाता है, जिसमें नियम है कि भाजपा-विरोधी शासित राज्यों में पत्रकारों पर ज़ुल्म भी हो तो उस पर कुछ नहीं बोलना है और भाजपा शासित राज्य में किसी पत्रकार की सीढ़ियों से गिरकर ऊँगली में चोट भी लगती है तो एक 'Condemnation Letter' जारी कर दिया जाता है।
पीड़ित भाजपा कार्यकर्ता के बेटे प्रतीक ने अपने पिता का फोटो शेयर कर अपने परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई। प्रतीक ने ट्विटर के माध्यम से पूरे देश का सहयोग माँगा और कहा कि अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो उनके पूरे परिवार को इसका खामियाज़ा भुगतना पड़ेगा।
TMC के गुंडों ने मीडियाकर्मियों को गालियाँ दीं और जब उन्हें रिपोर्ट करने की कोशिश की गई तो उनका पीछा किया गया। इससे पहले, TMC कार्यकर्ताओं ने आसनसोल में सुप्रियो की कार पर हमला किया था। महिला पत्रकार के साथ...
जब मुनमुमन सेन से पिछले साल आसनसोल में रामनवमी के दौरान हुई हिंसा के बारे में पूछा गया कि क्या उन्होंने दंगे के शिकार हुए पीड़ितों से मुलाकात की थी तो उन्होंने कहा कि उस दौरान वो काफी व्यस्त थीं। उस समय काफी रैलियाँ और बैठकें थी, जिसकी वजह से वो उनसे नहीं मिल पाईं।
2016 में भी, पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के दौरान, अनुब्रत मंडल को चुनाव आयोग ने 24 घंटे निगरानी में रखा था। जुलाई 2013 में, उन्होंने बीरभूम में एक सार्वजनिक बैठक में अपने समर्थकों से पुलिस पर बम फेंकने और पंचायत चुनावों में TMC विद्रोही उम्मीदवारों के घर जलाने को कहा था।