Sunday, December 22, 2024

विषय

इतिहास

29 साल की आयु में जिसने किया 84 दिन का अनशन और दी शहादत, गढ़वाल के ‘भगत सिंह’ श्रीदेव सुमन को नमन!

श्रीदेव सुमन के व्यक्तित्व में कई महापुरुषों की झलक थी। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। रियासत के खिलाफ श्रीदेव सुमन के विरोध में यदि भगत सिंह का जूनून नजर आता था, तो दूसरी ओर वे महात्मा गाँधी के विचारों से भी प्रभावित थे। सुमन एक श्रेष्ठ लेखक और साहित्यकार भी थे।

मुगलों ने हमें अमीर नहीं बनाया DailyO, भ्रामक तथ्यों के लेख लिखकर स्वरा भास्कर को मसाला मत दो

राणा सफ़वी ने अपने लेख में भारत की जीडीपी के आँकड़े दिखा कर मुग़लों को महान साबित करने की कोशिश की है लेकिन उनकी चालाकी पकड़ी गई। हमारे घर में घुस कर हमारे मंदिर तोड़ने वाले मुग़लों की चापलूसी करने वाले कल को जलियाँवाला नरसंहार को भी सही ठहरा सकते हैं।

परिवार न होना, सत्ता का लालच न होने की गारंटी नहीं, यकीन न हो तो पढ़े मलिक काफूर की कहानी

खम्भात पर हुए 1299 के आक्रमण में अलाउद्दीन खिलजी के एक सिपहसालार ने काफूर को पकड़ा था। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उसे 1000 दीनार की कीमत पर खरीदा गया था, इसीलिए काफूर का एक नाम 'हजार दिनारी' भी था।

हाँ, मुगलों ने हिन्दुओं का रेप किया, हजारों मंदिर तोड़े लेकिन बिरयानी बनानी भी तो सिखाई!

कत्थक का जन्म सुल्तानों के दौरान हुआ। अरबों ने सोमनाथ मंदिर की रक्षा की। अकबर लिबरल था। खिलजी ने भारत की रक्षा की। 'द वायर' के छद्म बुद्धिजीवी ने ग़लत ऐतिहासिक तथ्य पेश कर के इस्लामिक आक्रांताओं की पूजा करने की सलाह दी है।

कहानी राजर्षि की: जिसे बोस और पटेल की तरह कॉन्ग्रेस अध्यक्ष का पद त्यागना पड़ा, कारण- नेहरू

एक ऐसा राजर्षि, जिसने गाँव-गाँव में कॉन्ग्रेस को मजबूत करने में अपनी ज़िदगी खपा दी और लोकतान्त्रिक तरीके से जीत कर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बने। लेकिन, नेहरू के 'असहयोग' के कारण भारत रत्न टंडन को राजनीतिक वनवास पर जाना पड़ा। पटेल और बोस के बाद ऐसा त्याग करने वाले तीसरे नेता की कहानी।

कौन था SP मुखर्जी की मृत्यु के बाद उनके भाई को अब्दुल्ला की तरफ़ से कॉल करने वाला अनजान शख़्स?

जब डॉक्टर मुखर्जी का पार्थिव शरीर कश्मीर से कोलकाता लाया जा रहा था, उससे पहले शेख अब्दुल्ला ने उनके पार्थिव शरीर पर कश्मीरी शॉल डाला था। शेख अब्दुल्ला सहित उनकी कैबिनेट के अनेक मंत्रियों ने पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया था। अब्दुल्ला ने एक माला बेगम अब्दुल्ला की तरफ़ से भी पेश किया था।

मुग़ल भारत में अंगूर लेकर आए: ‘The Print’ और ‘इतिहासकार’ सलमा युसूफ के झूठ का पर्दाफाश

अगर मुगलों की बात करें तो बाबर ने 16वीं शताब्दी में दिल्ली में राज करना शुरू किया, जबकि चीनी यात्री ने उससे लगभग 900 वर्ष पूर्व भारत में अंगूरों और अंगूर के रस का जिक्र किया है। इससे पता चलता है कि 'द प्रिंट' के लेख में किया गया दावा बिलकुल ही ग़लत है।

कार्ल मार्क्स के जीवन का राज़: नौकरानी हेलेन, अवैध संबंध और बेटा फ्रेड्रिक – जिसे पूरी दुनिया से छिपाया गया

मार्क्स कभी उसे देखने भी नहीं जाते थे, जिस कारण फ्रेडिक देमुथ की शिक्षा-दीक्षा अच्छे से नहीं हो पाई। वो जिंदगी भर मजदूर और कल-पूर्जे बनाने वाला काम करता रहा। आखिरकार 1929 में 78 वर्ष की उम्र में फ्रेडिक देमुथ की मृत्यु हुई, लंदन की एक ग़रीब बस्ती में - वो भी इस विश्वास के साथ कि उसकी माँ...

हिन्दुओं पर Scroll एक कदम आगे, 3 कदम पीछे: आक्रांताओं को इस्लामी माना, लेकिन हिन्दुओं का दानवीकरण जारी

"हिन्दुओं पर इस्लामी आक्रांताओं के क्रूर अत्याचारों को रोमिला थापर जैसे इतिहासकारों ने निष्ठुरता से झुठला दिया, ताकि आधुनिक हिन्दुओं को अपने पूर्वजों के साथ हुए अत्याचारों की याद से दूर रख उन्हें हिन्दू राष्ट्र की (न्यायोचित, प्राकृतिक) माँग करने से रोका जा सके।" - लेखक ने यह माना लेकिन हिंदुओं के प्रति जहर...

बुर्क़े की तुलना घूँघट से करने से पहले जरा भारत का इतिहास भी देख लें जावेद ‘ट्रोल’ अख़्तर

घूँघट को नायिका की सुंदरता का पर्याय मानकर कई गीत लिखने वाले जावेद अख़्तर के लिए अब यह एक कुरीति हो गई है क्योंकि 'उनके' बुर्क़े पर आँच जो आ गई है। घूँघट को समझने के लिए जावेद अख़्तर को 'मृच्छकटिकम्' पढ़नी चाहिए, विजयनगर साम्राज्य पर इस्लामी आक्रांताओं की क्रूरता जाननी चाहिए।

ताज़ा ख़बरें

प्रचलित ख़बरें