उमर अब्दुल्ला हों या फिर शेहला रशीद, सोशल मीडिया पर अफवाहों और मनगढ़ंत मुद्दों पर अपने प्रलापों की वजह से अक्सर चर्चा में बने रहने वाले इन सभी का कारगिल विजय की वर्षगाँठ पर सन्नाटे में चले जाना तो यही दर्शाता है कि इनकी खुशियाँ और प्राथमिकताएँ अन्य नागरिकों से भिन्न हैं।
महबूबा मुफ़्ती ने अमरनाथ यात्रा के इंतजामों को कश्मीरी जनता के ख़िलाफ़ बताया। उमर अब्दुल्ला ने यात्रियों के लिए हाइवे बंद करने के आरोप लगाए। सांसद मसूदी ने कहा कि इससे राज्य की इकॉनमी पर ख़राब प्रभाव पड़ रहा। सांसद अकबर लोन ने कहा कि व्यापारियों को दिक्कतें आ रही हैं।
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मारे गए आतंकी बुरहान वानी को 'साहब' कह कर संबोधित किया है। आतंकी को इज्ज़त देने के लिए उमर अब्दुल्ला की ख़ासी आलोचना हो रही है। अब्दुल्ला ने एक ब्रिटिश मीडिया एजेंसी से बात करते हुए...
कड़ी प्रतिक्रया देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष से पूछा कि क्या वे उमर अब्दुल्ला के बयानों से सहमत हैं? उन्होंने विपक्ष को बेशर्म बताते हुए कहा कि जब तक मोदी यहाँ पर है, तब तक कोई भी भारत को विभाजित नहीं कर सकता।
आज देश में उन लोगों के लिए सख्ती न करने की बात की जा रही है जो देश की भावनाओं को न केवल आहत कर रहे हैं बल्कि देश के ख़िलाफ़ खड़े होकर देशद्रोही होने का सबूत भी दे रहे हैं।
कभी भारत को रेपिस्तान कहने वाले विवादित IAS टॉपर शाह फैसल उमर अब्दुल्ला की पार्टी NCP में शामिल हो सकते हैं। उनके कुपवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीद है।