रिजवी ने अयोध्या भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सर्वश्रेष्ठ निर्णय बताया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और ओवैसी को छोड़कर सभी इस निर्णय से सभी संतुष्ट हैं। ऐसे में इन दोनों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
विधायक राजा सिंह ने 'ओवैसी, भारत छोड़ो' का नारा देते हुए कहा कि उनकी तरह मानसिकता रखने वाले सभी लोगों को देश से बाहर जाना चाहिए। कई अन्य लोगों ने भी उनका समर्थन किया। इसके बाद ट्विटर पर 'ओवैसी भारत छोड़ो' का ट्रेंड भी चलने लगा।
"अगर मस्जिद को (1992 में) ध्वस्त नहीं किया जाता, तब भी क्या यही फ़ैसला आता? हमारी लड़ाई ज़मीन के टुकड़े के लिए नहीं थी। यह सुनिश्चित करना था कि मेरे क़ानूनी अधिकारों का ध्यान रखा जाए। SC ने यह भी स्पष्ट कहा कि मस्जिद बनाने के लिए किसी मंदिर को नहीं गिराया गया। मुझे अपनी मस्जिद वापस चाहिए।"
वसीम रिजवी ने कहा कि ओवैसी जैसे नेता समाज में नफरत फैलाने का काम करते हैं। ओवैसी जैसे नेताओं के ऐसे बयानों का मतलब सिर्फ नफरत को बढ़ावा देना और देश के मुस्लिमों को इस देश में अलग-थलग करने की साजिश है।
AIMIM नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी एक बार फिर अपनी इसी आदत के चलते मुसीबत में फँस गए हैं। उनके खिलाफ भोपाल के जहाँगीराबाद पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया गया है।
"पूरा भारत, चाहे वह हिंदू हो या मुस्लिमों ने खुले दिल से निर्णय को स्वीकार किया। लेकिन ओवैसी एक अलग ही राग अलाप रहे हैं। वह फैसले को खैरात कह रहे हैं। इस तरह के बयानों से आप हिंदू और मुस्लिमों को एक-दूसरे से लड़वाते हैं।"
असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि बाबरी मस्जिद अवैध थी, तो इसे ढहाने को लेकर लालकृष्ण आडवाणी पर मुकदमा क्यों चल रहा है और अगर यह वैध थी, तो आडवाणी को जमीन क्यों दी जा रही है?
ओवैसी के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोहम्मद आमिर ने कहा कि मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को जो जमीन दी जा रही है, वो खैरात नहीं, बल्कि मुआवजा है।
“अगर ओवैसी का वश चले तो ये हैदराबाद में निजामी के समय की तरह ही दूसरा फसाद खड़ा कर दे, लेकिन इसकी औकात ही नहीं है इतनी कि हिन्दुस्तान का बँटवारा कर सके।”