"कांग्रेस दिशाहीन पार्टी है। यहॉं कोई नेतृत्व नहीं है, कोई सोच नहीं है। मैं भाजपा से अलग नहीं हुआ था। मैं मैहर को जिला बनाने के लिए सीएम कमलनाथ से संपर्क में था। मैं भाजपा का था और भाजपा में ही रहूँगा।"
डीके शिव कुमार के वकील ने कोर्ट में अर्जी देकर शिकायत की थी कि उनके मुवक्किल को जेल में बैठने के लिए कुर्सी तक नहीं उपलब्ध करवाई जा रही है, जिसकी वजह से वो पीठ दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं।
1996, 1999 और 2009 में संसद की सदस्य रहीं राजकुमारी रत्ना यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुईं। 21 अक्टूबर को प्रतापगढ़ में उपचुनाव होना है। ऐसे में उनका जाना कॉन्ग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
जय शाह को निशाना बनाते हुए कार्ति ने ट्वीट किया, "क्या होता अगर मेरे पिता के गृह मंत्री रहते हुए मुझे बीसीसीआई का सचिव चुना जाता। उस समय राष्ट्रवादी और भक्त इस पर कैसी प्रतिक्रिया देते?" लेकिन यह पैंतरा उन पर ही भारी पड़ गया।
इस तरह की टिप्पणी कर लोगों को उकसाते वक्त सिद्धरमैया शायद यह भूल जाते हैं कि संविधान में कई बार बदलाव और संशोधन किए गए हैं। इनमें से कई सारे विवादास्पद संवैधानिक संशोधनों के लिए उनकी खुद की पार्टी जिम्मेदार है।
वसुंधरा राजे ने मीसा बंदियों के लिए पेंशन शुरू किया था। राजे ने उन्हें लोकतंत्र सेनानी का दर्जा दिया था। मीसा बंदियों को 20 हजार रुपए मासिक पेंशन, निशुल्क बस यात्रा और निशुल्क चिकित्सा सुविधा देने की योजना लागू थी।
तीन तलाक को अपराध बनाने वाले कानून की आलोचना करते हुए ओवैसी ने कहा कि यह सभी मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ है। उन्होंने मराठों की तरह ही मुस्लिमों को भी आरक्षण देने की मॉंग रखी।
"इस साल के पुरस्कार विजेताओं का शोध वैश्विक स्तर पर ग़रीबी से लड़ने में हमारी क्षमता को बेहतर बनाता है। मात्र दो दशक में उनके नए प्रयोगधर्मी दृष्टिकोण ने विकास अर्थशास्त्र को पूरी तरह बदल दिया है। विकास अर्थशास्त्र वर्तमान में शोध का एक प्रमुख क्षेत्र है।''
".....जरूरी पारिवारिक समारोह की वजह से मैं पूरे दिन व्यस्त था और इसकी जानकारी मैंने राहुल गाँधी को पहले ही दे दी थी। वो (राहुल गाँधी) मेरे नेता हैं और मेरे लिए हमेशा रहेंगे। लेकिन निकम्मा क्यों अनुपस्थित था?”
जीएम डामोर के सांसद चुने जाने के कारण उपचुनाव हो रहा है। इससे पहले जून में विजयवर्गीय ने कहा था कि कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुरेश पचौरी ने उनसे कमलनाथ सरकार को गिराने के लिए सम्पर्क किया था।