टोंक में एक रैली के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने पाक पीएम इमरान ख़ान को आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करने को कहा था। ख़ान ने प्रत्युत्तर में कहा है कि अगर भारत 'कार्रवाई करने योग्य' सबूत देता है तो वह उपयुक्त क़दम उठाएँगे।
पाकिस्तान को अब आर्थिक रूप से नुक़सान उठाना पड़ेगा, क्योंकि पाक कारोबारियों के लिए वाघा (पाकिस्तान) में खड़े ट्रकों को वापस मँगवाना आसान नहीं है, क्योंकि इसके लिए कारोबारियों को अपने देश में कई आवश्यक औपचारिकताओं से गुज़रना पड़ता है।
पठानकोट और उरी हमला भी उसकी ही देन है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान पर की कड़ी आलोचना करते हुए ओवैसी ने कहा कि वो टीवी के सामने बैठकर भारत को संदेश देना बंद करें और अपने बनावटीपन से बाहर आएँ।
भारत को इसके लिए आमंत्रित करना सम्मान की बात तो है ही साथ में यह पाकिस्तान के लिए तगड़े झटका देने का काम भी करेगा। यह पहला अवसर होगा जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस कार्यक्रम में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी।
जैसे-जैसे भारत एक-एक कर कड़े क़दम उठाते हुए पाकिस्तान को घेर रहा है- चाहे पहले पाकिस्तान से ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन‘ का दर्जा वापस ले लेना हो या अब सरकार ने अपने हिस्से का रावी, ब्यास और सतलुज के पानी को पाकिस्तान को देने की बजाय उस से यमुना को सींचने की योजना या उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में घुटने टेकने को मजबूर करना।
भारत अगर इस प्रस्ताव को पारित करवाने में क़ामयाब होता है तो इससे पाकिस्तान को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग कर, पाकिस्तान और उसकी आतंक की फैक्ट्री पर रोकथाम लगाने के लिए उठाए गए कठोर कदमों को वैश्विक समर्थन हासिल होगा।
ढाबा चलाने वाले अंजल सिंह ने कहा- "पाकिस्तान न तो कभी मानवता को महत्व देता है और न कभी देगा। इसलिए सभी को दिल से पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने चाहिए।" यूपी में पाकिस्तान के झंडे पर लोगों ने लात-जूते बरसाए।
बता दें कि FATF की सूची में पाकिस्तान पहले से ही ग्रे लिस्ट में शामिल है और उसके पास अब अक्टूबर तक का समय है। अगर पाकिस्तान अक्टूबर तक कोई कदम उठाकर सुधार नहीं करता है तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
FWICE के अलावा फ़िल्म डिविजन बोर्ड ने भी पाकिस्तानी कलाकारों को बैन करने का निर्णय लिया है। फ़िल्म सिटी और फ़िल्म बोर्ड के उपाध्यक्ष और राज्यमंत्री अमरजीत मिश्रा ने पाकिस्तानी कलाकारों को भारतीय फ़िल्मों में लेने पर कड़ी आपत्ति जताई।
पाक सेना ने जिलानी अस्पताल को पत्र लिख कर कहा है कि भारत से संभावित युद्ध के मद्देनज़र मेडिकल सपोर्ट की व्यवस्था और योजना तैयार करें। इसके अलावा सिविल अस्पतालों को भी तैयार रहने को कहा गया है। सीमा पर नागरिकों को एडवाइजरी भी जारी की गई है।