नेशनल हेराल्ड ने मोदी की जीत को 'Pyrrhic Victory' कहा है। इसका अर्थ हुआ कि ऐसी जीत, जो हार के बराबर हो (सम्राट अशोक के कलिंग विजय की तुलना इससे कर सकते हैं, इसका अर्थ हुआ कि ऐसी जीत जिसमें विजेता को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा हो)। नेशनल हेराल्ड को उम्मीद है कि...
तैयार रहिए। एग्जिट पोल्स सही साबित हुए तो भाजपा की जीत के लिए तमाम ऐसे अजीबोगरीब कारण गिनाए जाएँगे, जिससे राहुल की इमेज पर आँच न आए और पीएम की लोकप्रियता की बात न हो। ठीकरा कहीं और फोड़ा जाएगा, ईवीएम को गालियाँ पड़ेंगी।
जो लोग रवीश की पिछले पाँच साल की पत्रकारिता टीवी और सोशल मीडिया पर देख रहे हैं, वो भी यह बात आसानी से मान लेंगे कि रवीश जी को पत्रकारिता के कॉलेजों को सिलेबस में केस स्टडी के तौर पर पढ़ाया जाना चाहिए।
अगले 5 साल गुफा में बिताने की चॉइस रखने वालों की अर्जी में एक नाम बेहद चौंकाने वाला था। यह नाम एक मशहूर व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी के कुलपति का था। अपने विवरण में इस कुलपति ने स्पष्ट किया है कि पिछले 5 साल वो दर्शकों से TV ना देखने की अपील करते करते थक चुके हैं और अब अगले 5 साल भी वही काम दोबारा नहीं कर पाएँगे।
स्वरा भास्कर ने स्वीकार करते हुए बताया कि उन्हें प्रचार के लिए बुलाया गया क्योंकि वो हीरोइन हैं और इस वजह से ही उन्हें एक इमेज बनाना आवश्यक था। इसी छवि को बनाने के लिए उन्होंने 20 साड़ियाँ खरीदीं और और कुछ जूलरी खरीदी ताकि ‘बड़े मुद्दों पर’ बात की जा सके।
पद की भी कुछ मर्यादाएँ होती हैं और कुछ चीजें व्यक्तिगत सोच पर निर्भर करती है, यही तो हिन्दू धर्म की विशेषता है। वरना, कल होकर यह भी पूछा जा सकता है कि जब तक मोदी ख़ुद को बेल्ट से पीटते हुए नहीं घूमेंगे, उनका आध्यात्मिक दौरा अधूरा रहेगा।
आशुतोष को जज्बातों में बहता देखरक एंकर ने कहा, “मैं उस सोच की बात कर रहा, जो कत्ल करती है। चाहे वह सोच राजस्थान के शंभू रैगर की हो या दिल्ली में सिखों की हत्या की हो।” इस पर आशुतोष ने कहा, “जिनकी वो सोच है, वो श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1942 में चिट्ठी लिखते हैं, भारत छोड़ो आंदोलन को कुचल दिया जाए।”
पिछले दिनों की कुछ खबरों पर चर्चा जिसमें आज हुए BJP प्रेस कॉन्फ्रेंस, राहुल गाँधी की प्रेस कॉन्फ्रेंस, मीडिया के समुदाय विशेष के लोगों के ट्रोल बन कर सिमट जाने की बात और सोनिया गाँधी के मिशन 272 की बात शामिल है।
राहुल के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर यह बहस छिड़ गई कि देखिए कॉन्ग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी खुद स्वीकार रहे हैं कि पार्टी के 'पाले हुए' कुछ पत्रकार है जो कॉन्ग्रेस के लिए काम करते हैं।