जिनकी ट्रेनिंग ही लाठी वाले चरवाहा विद्यालय में हुई हो वे संसद में कूदने वाले लौंडे को झोंटा पकड़कर खींचने, मुक्का मारने, जूतियाने... को तो 'स्वागत' नहीं ही मानेंगे।
खालिस्तानियों के दंगे की समर्थक मीना हैरिस इस बात से नाराज हैं कि भारत में उनके खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से प्रदर्शन क्यों हो रहा है। उनके पोस्टर्स क्यों जलाए जा रहे हैं?