शिव सेना ने भी भाजपा की तर्ज पर अपने विधायक दल के नेता का चुनाव कर लिया है। एक बड़ा उलटफेर करते हुए इस पद पर एकनाथ शिंदे का चुनाव हुआ है, जबकि अधिकांश कयास यह पद आदित्य ठाकरे को मिलने के लग रहे थे।
भाजपा महाराष्ट्र में अल्पमत की सरकार चला सकती है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि 15 निर्दलीय विधायकों का समर्थन पार्टी के साथ है। ऐसे में एनसीपी के वॉकआउट के बाद भाजपा विश्वासमत साबित कर देगी।
मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के विशेष कार्याधिकारी श्रीकांत भारतीय के घर पर हमला किया गया। एक अधिकारी ने बताया कि इस घटना को महाराष्ट्र चुनाव के परिणामों और सत्ता-समीकरणों के बनते-बिगड़ते खेल से भी जोड़कर देखा जा रहा है।
"शिवसेना के 45 विधायक भाजपा के सम्पर्क में हैं और भाजपा के नेतृत्व में सरकार गठन को समर्थन देने के लिए तैयार हैं। 56 में से 45 शिवसेना विधायक भाजपा के संपर्क में हैं।" - भाजपा के राज्यसभा सांसद संजय काकडे ने बताया कि...
बीजेपी अल्पमत की सरकार बना सकती है, जैसा उसने 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद किया था। पिछले दिनों जिस तरह कर्नाटक और गोवा में कॉन्ग्रेस विधायक दल में टूट हुई थी, वैसा ही कुछ महाराष्ट्र में होने के भी कयास लगाए जा रहे हैं।
30 अक्टूबर को बीजेपी विधायक दल के नेता का चुनाव होना है। इसके लिए भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मुंबई जाएँगे। कयास हैं कि विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद वे शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिल सकते हैं।
“बीजेपी रोटेशन आधारित सीएम पद के लिए सहमत नहीं होगी। उपमुख्यमंत्री का पद शिवसेना को दिया जा सकता है। आदित्य ठाकरे के लिए उपमुख्यमंत्री पद पर शिवसेना को मान जाना चाहिए। फडणवीस मुख्यमंत्री का पद सँभाले।”
क्षेत्र विशेष तक सीमित शिव सेना को एहसास है कि हालिया उभार मोदी की लोकप्रियता की बदौलत है। भाजपा से अलग होने का नतीजा भी वह 2014 के विधानसभा और 2017 के बीएमसी चुनाव में भुगत चुकी है। देर-सबेर उसका लौटना तय है। तब तक उसके राजनीतिक फुफकार के मजे लीजिए!
यूॅं ही नहीं कहते बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। 44 सीटें जीत चौथे पायदान पर रही कॉन्ग्रेस भी शिव सेना के साथ मिल सरकार बनाने के ख्वाब बुन रही है। जबकि 54 सीटें जीतने वाली उसकी साझेदार एनसीपी बार-बार कह रही कि हम विपक्ष में बैठेंगे।
समीकरण कि अगर भाजपा को सत्ता से बाहर रखना ही ध्येय है तो शिव सेना के 56, कॉन्ग्रेस के 44 और एनसीपी के 54 की सरकार आराम से बहुमत के लिए ज़रूरी 145 विधायकों के सामने 154 खड़े कर सकती थी। लेकिन.....