रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जिस महिला ने उनपर आरोप लगाया है वो कुछ समय पहले तक जेल में थी और अब वे बाहर है, इसके पीछे कोई एक शख्स नहीं, बल्कि कई लोगों का हाथ है।
संगठन के महासचिव अलीक्कूटी मुसलियर ने इस मामले पर कहा, “हम धार्मिक मामलों में कोर्ट के हस्तक्षेप को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। हमें अपने धार्मिक नेताओं के निर्देशों को मानना चाहिए।”
दंपति की याचिका में कहा गया है कि जमात-ए-इस्लामी और मुजाहिद वर्ग के लोग महिलाओं को मस्जिदों में नमाज पढ़ने की अनुमति देते हैं जबकि सुन्नी समुदाय में महिलाओं के मस्जिद में जाने पर प्रतिबंध है।
टिक टॉक ने अपने बचाव में कहा कि उसे ‘अश्लील और अनुचित सामग्री’ के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है, जो प्लेटफ़ॉर्म पर थर्ड-पार्टीज अपलोड करती है। टिक टॉक ने इस आदेश को भेदभावपूर्ण और मनमाना बताया है।
21 विपक्षी दल आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट जाएँगे, जहाँ कोर्ट से आग्रह किया जाएगा कि चुनाव आयोग हर विधानसभा में कम से कम 50% मतों का ईवीएम-वीवीपैट से मिलान करे। इस बात को लेकर विपक्ष ने पूरे देश में अभियान चलाने की भी बात कही है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट राफ़ेल मसले पर केंद्र सरकार को क्लीन चिट दे चुकी है। कोर्ट ने राफ़ेल विमान की ख़रीद प्रक्रिया को सही ठहराया था। वहीं प्रशांत भूषण, अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने कोर्ट के फ़ैसले पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था
अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप लोग इस देश को शांति से नहीं रहने देंगे, कोई न कोई हमेशा उकसाता रहता है। इलाहाबाद HC ने याचिकाकर्ता पर ₹5 लाख का जुर्माना लगाया था। सुप्रीम कोर्ट ने उस जुर्माने को भी हटाने से इनकार किया।
NGO की याचिका पर अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि केंद्र की इस योजना का उद्देश्य चुनावी माहौल में ब्लैक मनी के इस्तेमाल को रोकना है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शादी का वादा करके किसी महिला से यौन संबंध बनाना और फिर उससे शादी न करना रेप माना जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में यौन संबंध के लिए महिला की सहमति के कोई मायने नहीं हैं, क्योंकि यह धोखा देकर किया गया है।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने फ़िल्म निर्माता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि उत्पादकों और सिनेमा हॉल के मालिकों को 20 लाख रुपए का जुर्माना दिया जाएगा, जो बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के उल्लंघन के लिए होगा।