Saturday, April 20, 2024
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चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर लगा यौन शोषण का आरोप: #MeTooAgain

चीफ़ जस्टिस गोगोई पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला फिलहाल जमानत पर बाहर है। महिला का दावा है कि रिश्वत का पूरा मामला मनगढ़ंत है। महिला पर लगे इस आरोप के केस को कुछ समय पहले क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था।

शुक्रवार (अप्रैल 19, 2019) को उच्चतम न्यायालय के 22 न्यायाधीशों को भेजे गए हलफनामे में कोर्ट की एक पूर्व जूनियर असिस्टेंट ने भारत के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर यौन शोषण का आरोप लगाया है। स्क्रॉल में छपी इस खबर के अनुसार पीड़िता 35 वर्षीय महिला है जिसके अनुसार रंजन गोगोई ने पिछले साल 2018 में 10 और 11 अक्टूबर को अपने निवास स्थान पर उस महिला का यौन शोषण करने का प्रयास किया।

कुछ मीडिया रिपोर्ट की मानें तो महिला द्वारा दिए हलफनामे के अनुसार पहले तो रंजन गोगोई ने महिला को कमर से पकड़ा, फिर अपने हाथ से उनके पूरे शरीर को छुआ, इसके बाद अपने शरीर से महिला के शरीर पर दबाव बनाया। इस दौरान चीफ जस्टिस की हरकत से महिला स्तब्ध हो गई थी। पीड़ित महिला का कहना है कि रंजन गोगोई की पकड़ उसपर इतनी कसी हुई थी कि वो वहाँ से हिल भी नहीं पा रही थी।

इस हलफनामे में महिला ने अपने साथ हुई कुछ बातों का जिक्र किया है। जैसे कि इस घटना के दो महीने बाद महिला को बर्खास्त कर दिया गया, महिला के पति और पति के भाई को दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल की नौकरी से निलंबित किया गया और कुछ महीने बाद ही पति के दूसरे भाई को भी सुप्रीम कोर्ट की नौकरी से निलंबित कर दिया गया। महिला के अनुसार 10-11 अक्टूबर को हुई घटना के बाद महिला का कई तरीकों से शोषण किया जाता रहा। महिला ने यह भी बताया कि उसके ऊपर शोषण की घटना से पहले मार्च 2018 में रिश्वत लेने का एक केस रजिस्टर किया गया था जिसमें उसे पद से बर्खास्त करने के बाद गिरफ्तार किया गया।

चीफ़ जस्टिस गोगोई पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली महिला फिलहाल जमानत पर बाहर है। महिला का दावा है कि रिश्वत का पूरा मामला मनगढ़ंत है। महिला पर लगे इस आरोप के केस को कुछ समय पहले क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया था जिसे अब पटियाला हाउस कोर्ट भेज दिया गया है। इस मामले में हैरान करने वाली बात ये है कि रिश्वत का आरोप उस महिला के पति के खिलाफ भी लगाया गया है, लेकिन रिश्वत देने वाले के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं।

इस मामले पर तीन जजों की पीठ ने आज सुबह 10:30 बजे एक विशेष बैठक की। इस दौरान अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार के साथ सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और सदस्य भी कोर्ट में मौजूद रहे। मुख्य न्यायधीश ने सुनवाई शुरु होने के साथ ही कुछ बातों पर विचार विमर्श करने को कहा।

मुख्य न्यायधीश ने सुनवाई के दौरान कहा, “मैं बस इतना ही कहना चाहूँगा कि निस्संदेह हर कर्मचारी के साथ उचित और शालीनता से व्यवहार किया जाता है। वह कर्मचारी डेढ़ महीने से नियुक्त थी।” गोगोई ने कहा, “जब ये आरोप लगाए गए तो उन्होंने उनका जवाब देना उचित नहीं समझा।”

रंजन गोगोई का मामले पर कहना है कि न्यायपालिका खतरे में है। गोगोई के अनुसार अगले महीने कई महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई होनी है, इसलिए उनपर इस तरह के आरोप लगाए गए हैं। मुख्य न्यायाधीश ने यौन शोषण के आरोप का जवाब देते हुए कहा कि जज रहते 20 सालों के कार्यकाल का उन्हें यह ईनाम मिला है? 20 सालों की सेवा के बाद उनके खाते में सिर्फ 6,80,000 रुपए हैं। कोई भी उनका खाता चेक कर सकता है। यहाँ तक कि उनके चपरासी के पास भी उनसे ज्यादा पैसे हैं।

महिला के आरोपों को खारिज करते हुए सीजीआई ने कहा कि लोग उनपर पैसों के मामले में उँगली नहीं उठा सकते हैं इसलिए इस तरह का आरोप लगाया गया है। रंजन गोगोई ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि जिस महिला ने उनपर आरोप लगाया है वो कुछ समय पहले तक जेल में थी और अब वे बाहर है, इसके पीछे कोई एक शख्स नहीं, बल्कि कई लोगों का हाथ है।

इस मामले पर फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने इस मामले पर कहा है कि हम कोई ज्यूडियशियल ऑर्डर नहीं पास नहीं कर रहे हैं, ये उन मीडिया संस्थानों के विवेक पर निर्भर करता है कि वो इसे छापें या नहीं। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई समेत जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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