"क्या हाल ही में मोदी सरकार द्वारा किए गए फैसले सीएए, ट्रिपल तालक, राम मंदिर ने तो कहीं नहीं भारतीय मुसलमानों को असुरक्षित महसूस करने के लिए मजबूर किया है।"
मोदी सरकार के बनने के बाद अपने कार्यकाल के आखिरी दिन हामिद अंसारी ने कहा था कि देश के मुस्लिम समुदाय में आज असुरक्षा का माहौल है, अपने आखिरी इंटरव्यू के जरिए हामिद अंसारी ने मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा था कि भारत का समाज सदियों से बहुलतावादी रहा है, लेकिन सबके लिए ये स्वीकार्यता का माहौल अब खतरे में है।
24 साल तक कानूनी लड़ाई के अलावा नाम्बी नारायणन की एक कहानी और भी है। कहानी राजनीति और साजिश वाली। उस कहानी के अनुसार पूर्व रॉ अधिकारी ने भारत के उप-राष्ट्रपति रहे हामिद अंसारी पर कई गंभीर आरोप लगाए। यह तब हुआ जब एक पत्रकार चिरंजीवी भट ने...
"यह उत्कृष्ट भावनाओं को प्रेरित करती है लेकिन जब यह सिर चढ़ कर बोलेगी तो ऐसी स्थिति में यह उन मूल्यों को कुचल डालेगी, जिसकी रक्षा देश करना चाहता है। राष्ट्रवाद और देशप्रेम के बीच में भ्रम की ऐसी स्थिति पैदा हो रही है कि यदि इसे इसे छूट मिलती रही तो इसके परिणाम विस्फोटक होंगे।"
भले ही सलमा अंसारी ने मंदिर निर्माण के लिए कागजी कार्रवाई शुरू कर दी हो, लेकिन AMU प्रशासन द्वारा मंदिर-मस्जिद निर्माण की अनुमति संभव नहीं है। इसकी वजह यह है कि साल 2017 के बाद शिक्षण संस्थानों में धार्मिक स्थल के निर्माण पर रोक लगा दी गई थी।
"वैज्ञानिक नाम्बी नारायणन पर जासूसी का आरोप लगा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उनके ख़िलाफ़ लगे सारे आरोपों को निराधार पाया था। वे निर्दोष बरी हुए। लेकिन, किसी को नहीं पता है कि उनके ख़िलाफ़ साज़िश किसने रची? ये सब रतन सहगल ने किया। सहगल हामिद अंसारी का क़रीबी है।"
एक कश्मीरी युवा पर रॉ की नजर थी। रॉ के स्टेशन चीफ, डीबी माथुर को साथी अधिकारियों ने इसके बारे में अंसारी को सूचना नहीं देने की सलाह दी। हालाँकि, माथुर ने अंसारी को इसकी जानकारी दे दी। कथित तौर पर अंसारी ने इसकी सूचना ईरान के विदेश विभाग को दी, जिससे एसएवीएके को इसकी भनक लग गई और फिर माथुर अगवा हो गए।
आज से छः साल पहले पकिस्तान में अवैध तरीके से घुसे भारतीय नागरिक हामिद निहाल अंसारी को मिली तीन साल की सजा 16 दिसम्बर को पूरी हो गई जिसके बाद उनकी रिहाई का रास्ता साफ़ हो गया है।