सिंघु बॉर्डर पर किसान क्यों हैं अभी भी? एक भी अरेस्ट क्यों नहीं? मीटिंग तो एक रूटीन प्रक्रिया है, लेकिन असामान्य परिस्थिति में रूटीन से बाहर क्यों नहीं है सरकार? टिकैत, योगेन्द्र यादव समेत वो चालीस किसान नेता क्यों नहीं हैं कस्टडी में? सरकार जवाबदेही तक क्यों नहीं तय कर पाई है?
राष्ट्रवाद लाल किला देख कर चिंतित होना है: भाजपा सबसे बेहतर विकल्प है, उसकी अपनी सामाजिक और सांस्कृतिक विवशताएँ हैं लेकिन हम लगातार चल रहे उदाहरणों के होने के बाद भी सरकार की असफलता को मास्टरस्ट्रोक नहीं कह सकते।
सरकार ने सिख सुप्रीमेसिज्म को अपीज करने का खूब प्रयास किया। बजाय इसके कि पंजाब में 38% हिन्दू हैं और ये हमेशा किसी की बी टीम बन कर खेलते रहे। पंजाब में हिन्दुओं की स्थिति पर भी सोचता हूँ, लेकिन इन्हें किसान कह कर बातचीत के लिए आमंत्रित करने का सिलसिला तो बंद होना चाहिए।
दीप सिद्धू अचानक से दोबारा भाजपाई हो गया। बाकी बीस हजार उसके क्लोन थे? नीरव मोदी की तस्वीर दिखा कर भी यही कहा गया था। इस आतंकी घटना को एक व्यक्ति के फेक न्यूज से नहीं बचा सकते, ‘अराजक तत्व घुस आए’ कहना पुरानी दलीलें हैं जो नहीं चलेंगी।
बात आपके बातों के साख की है क्योंकि जो आपको वोट देते हैं वो आपसे पूछ रहे हैं कि कहाँ है छप्पन इंच: वो अनभिज्ञ हैं आपकी ऊपर बताई गई विवशताओं से लेकिन उन्हें सांकेतिक तौर पर भी एक्शन ले कर कौन समझाएगा? ये तो सरकार का ही कार्य है, हम तो सूचनाएँ दे सकते हैं।
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