Thursday, August 22, 2024
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छात्र झारखंड के, राष्ट्रगान बांग्लादेश-पाकिस्तान का, जनजातीय लड़कियों से ‘लव जिहाद’, फिर ‘लैंड जिहाद’: HC चिंतित, मरांडी ने की NIA जाँच की माँग

हमने बिहार में भी इसका प्रभाव देखा है, जहाँ सीमांचल में मुस्लिम आबादी बढ़ने और घुसपैठियों को शरण मिलने के बाद रविवार की जगह शुक्रवार (जुमा) के दिन साप्ताहिक अवकाश दिया जाने लगा।

झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या पर पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आवाज़ उठाई है। बांग्लादेशी घुसपैठ के राज्य में क्या दुष्परिणाम हो रहे हैं, ये बताने के लिए उन्होंने 4 साल पुरानी एक खबर भी साझा की है। बता दें कि तब घाटशिला के एक स्कूल में बच्चों को बांग्लादेश और पाकिस्तान का राष्ट्रगान याद करने का होमवर्क दिया गया था। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का कहना है कि झारखंड को ‘मिनी बांग्लादेश’ बनाने की साजिश चरम पर है।

उन्होंने सोशल मीडिया पर इस तब अख़बार में छपी खबर की तस्वीर शेयर की। साथ ही उन्होंने लिखा, “LKG और UKG कक्षा के बच्चों को बांग्लादेश और पाकिस्तान का राष्ट्रगान रटवा कर नन्ही उम्र में ही ब्रेनवॉश किया जा रहा है। यह संयोग नहीं, बल्कि झारखंड की आदिवासी मूलवासी पहचान को मिटाने का खतरनाक प्रयोग है। देश विरोधी गतिविधि में संलिप्त इस स्कूल का संचालन और फंडिंग करने वाले गिरोह की सघनता से जाँच करने की आवश्यकता है।”

बाबूलाल मरांडी ने कहा कि अपने संरक्षण में बांग्लादेशी घुसपैठियों के फ़र्जी कागजात तैयार कर उन्हें झारखंड में बसाने वाली झामुमो-कॉन्ग्रेस गठबंधन सरकार से ऐसे संवेदनशील विषयों में कार्रवाई की उम्मीद नहीं की जा सकती। इस कारण उन्होंने NIA से अनुरोध किया है कि वो मामले का संज्ञान लेकर उचित कार्रवाई करें। बता दें कि जुलाई 2020 में जब ये मामला सामने आया था, तब भी ये काफी तूल पकड़ा था। उस समय भी आरोप लगाया गया था कि झारखंड में शिक्षा का इस्लामीकरण शुरू हो गया है।

हाल ही में झारखंड उच्च न्यायालय ने भी इस समस्या पर चिंता जताई है, जिसके बाद ये मामला फिर से गर्म हो गया है। झारखंड हाईकोर्ट ने बुधवार (3 जुलाई, 2024) को कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को चिह्नित कर उनके प्रत्यर्पण के लिए एक एक्शन प्लान बनाने के लिए कहा है। संथाल परगना क्षेत्र में ‘लैंड जिहाद’ के खिलाफ PIL पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने ऐसा कहा। राज्य सरकार को 2 हफ़्तों के भीतर एफिडेविट दायर करने के लिए कहा गया है।

झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के प्रभाव बढ़ने का सबसे अधिक खामियाजा जनजातीय समाज को भुगतना पड़ता है। मशरूम की तरह अवैध मदरसे उग रहे हैं। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहाँ जा जनजातीय समाज की लड़कियों को फाँस कर शादी कर ली जाती है, फिर उन लड़कियों को पंचायत चुनाव में खड़ा कर दिया जाता है। जनप्रतिनिधि का पद परिवार में आ जाने के बाद ये लोग उसकी आड़ में ड्रग्स तक का धंधा भी करते हैं। साथ ही अन्य घुसपैठियों को सरकारी फायदे दिलाने के लिए उनके दस्तावेज भी बना दिए जाते हैं।

बाबूलाल मरांडी ने जो खबर शेयर की है, वो ये बताता है कि कैसे शिक्षा व्यवस्था पर इस्लामी प्रभाव पड़ने के कारण बच्चे अपने देश की संस्कृति भूलते चले जाते हैं। ‘नंदलाल स्मृति विद्या मंदिर’ नामक स्कूल में छात्रों को भारत नहीं बल्कि पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान याद करने का होमवर्क दिया गया था। अभिभावकों का कहना था कि वो अपने बच्चों को पाकिस्तान और बांग्लादेश का राष्ट्रगान नहीं पढ़ने देंगे। विद्यालय प्रबंधन को ये टास्क विरोध के बाद वापस लेना पड़ा था।

हमने बिहार में भी इसका प्रभाव देखा है, जहाँ सीमांचल में मुस्लिम आबादी बढ़ने और घुसपैठियों को शरण मिलने के बाद रविवार की जगह शुक्रवार (जुमा) के दिन साप्ताहिक अवकाश दिया जाने लगा। बड़ी बात ये है कि झारखंड वाली समस्या पर भाजपा विरोधी राजनीतिक दल भी चुप रहते हैं, जबकि वो खुद को पिछड़ों का रहनुमा कहते नहीं थकते हैं। जनजातीय समाज की समस्याओं पर उनकी चुप्पी मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर उनके झुकाव को प्रदर्शित करती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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