Sunday, November 24, 2024
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शरद पवार के गढ़ में लहराया परचम: मिलिए BJP के उस विधायक से जिसके पिता ने मजदूरी कर इंजीनियरिंग पढ़ाई

अष्टी इलाके के निवासी सतपुते एबीवीपी में प्रदेश मंत्री के पद पर भी काम कर चुके हैं। बाद में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा में शामिल हो गए, तो वहाँ भी उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर आसीन कर दिया गया।

महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे न केवल सूबे के मौजूदा पीढ़ी के नेताओं, जैसे देवेंद्र फडणवीस, उद्धव ठाकरे, अजित पवार, राज ठाकरे, और शरद पवार जैसे पुराने क्षत्रपों का समर साबित हुआ, बल्कि इनमें कई नई पीढ़ी के नेता भी उभर कर आए हैं। सबसे चर्चित युवा प्रत्याशियों में ठाकरे खानदान के चश्मों-चिराग आदित्य ठाकरे हैं, जो न केवल शिव सेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के बेटे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के मुखिया राज ठाकरे के बेटे हैं, बल्कि अपने परिवार के पहले जनप्रतिनिधि भी। इसके अलावा शरद पवार के पोते रोहित पवार ने भी काफ़ी सुर्खियाँ बटोरीं।

लेकिन इस बीच एक चेहरा छिप गया- मिल मजदूर पिता के बेटे राम सतपुते का, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लिए अपना पहला ही चुनाव राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (राकांपा) के गढ़ मालशिरस में जीता है। सतपुते लम्बे अरसे तक संघ के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के भी सदस्य रहे हैं। उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।

अष्टी इलाके के निवासी सतपुते एबीवीपी में प्रदेश मंत्री के पद पर भी काम कर चुके हैं। बाद में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा में शामिल हो गए, तो वहाँ भी उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर आसीन कर दिया गया। माना जाता है कि वे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खासे करीबी हैं। उनके पिता विट्ठल सतपुते चीनी मिल में मजदूरी करते थे।

राम सतपुते को पहले ही विधानसभा चुनाव में टिकट मालशिरस का मिला, जिसे राकांपा का गढ़ और भगवा खेमे के लिए टेढ़ी खीर माना जाता है। और इन चुनावों में एनसीपी सबसे बड़ी विजेता बनकर उभरी भी है। उसने अपने विधायकों की संख्या में 13 की बढ़ोतरी की है, जबकि सत्तारूढ़ गठबंधन में भाजपा और शिवसेना को मिलाकर कुल 24 सीटों का घाटा हुआ है। ऐसे में सतपुते की इस जीत के मायने अहम हैं।

हालाँकि एनसीपी के उत्तमराव शिवदास जानकर ने सतपुते को कड़ी टक्कर दी- दोनों को ही एक लाख से ज्यादा वोट मिले और वोट % का अंतर महज़ 1% रहा, लेकिन अंततः सतपुते बाजी मारने में सफल रहे।

पहले यह सीट पर भाजपा की सहयोगी रामदास आठवले की पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) का उम्मीदवार उतरना था, लेकिन भाजपा प्रत्याशी राम सतपुते का नाम प्रस्तावित होने पर आरपीआई भी राज़ी हो गई। और राकांपा के गढ़ में सेंध लगाकर सतपुते ने भी साबित कर दिया कि उन पर दाँव लगाकर पार्टी नेतृत्व ने कोई भूल नहीं की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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