Sunday, September 8, 2024
Homeदेश-समाजगैर-मुस्लिमों पर शरिया लागू होगा या नहीं? - अब सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला, याचिका...

गैर-मुस्लिमों पर शरिया लागू होगा या नहीं? – अब सुप्रीम कोर्ट करेगा फैसला, याचिका में बलि केरल की महिला – हमें भारत के सेक्युलर कानून के तहत आने का मौका मिले

"यहाँ एक समस्या है। क्योंकि, अगर आप घोषणा नहीं करते हैं तो तब भी यहाँ एक शून्य है क्योंकि सेक्युलर लॉ अप्लाई होगा ही नहीं। जब हमने पढ़ना शुरू किया तो कहा कि ये भला किस तरह की याचिका है। अब जब..."

पूर्व मुस्लिमों पर शरिया कानून लागू होना या नहीं? अब सुप्रीम कोर्ट इस बड़े मुद्दे पर सुनवाई करने वाला है। सवाल है कि या Ex Muslims 1937 के शरीयत कानून के तहत ही प्रशासित किए जाते रहेंगे या फिर उन पर भारत का धर्मनिरपेक्ष कानून लागू होगा? खासकर, संपत्ति और वसीयत के संबंध में। केरल की एक महिला द्वारा दायर रिट याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस भी जारी किया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस DY चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाले 3 सदस्यीय पीठ ने इस मामले पर सुनवाई की।

साफिया पीएम ने ये याचिका दायर की है। ‘एक्स मुस्लिम्स ऑफ केरल’ संगठन की जनरल सेक्रेटरी सफिया ने सुप्रीम कोर्ट से ये आदेश पारित करने का निवेदन किया है कि इस्लाम मजहब छोड़ चुके जो लोग शरीयत की जगह भारत के सेक्युलर कानून के अंतर्गत आना चाहें, उन्हें इसकी अनुमति दी जाए। यानी, संपत्ति एवं वसीयत के मामले में उन्हें इंडियन सक्सेशन एक्ट, 1925 के अंतर्गत आया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इसे महत्वपूर्ण मसला बताते हुए अटॉर्नी जनरल से कहा कि वो एक कानूनी अधिकारी को नियुक्त करे, जो सुप्रीम कोर्ट की सहायता करे।

पहले तो सुप्रीम कोर्ट की पीठ इस मामले को सुनने से हिचक रही थी, साथ ही ये भी कहा कि जब तक अपनी वसीयत बना रहा शख्स ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लिकेशन एक्ट’, 1937 के सेक्शन-3 के तहत खुद घोषणा न की हो तब तक ये कानून लागू होगा। एडॉप्शन में भी शरिया ही लागू होगा। अगर घोषणा नहीं की गई तो फिर पर्सनल लॉ के तहत ही चीजों का फैसला होगा। पीठ में जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस JB पार्डीवाला भी शामिल थे।

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने साफिया के वकील प्रशांत पद्मनाभन से सहमति जताते हुए कहा, “यहाँ एक समस्या है। क्योंकि, अगर आप घोषणा नहीं करते हैं तो तब भी यहाँ एक शून्य है क्योंकि सेक्युलर लॉ अप्लाई होगा ही नहीं। जब हमने पढ़ना शुरू किया तो कहा कि ये भला किस तरह की याचिका है। अब जब आप इसके भीतर घुस चुके हैं, ये एक महत्वपूर्ण बिंदु है। हमलोग नोटिस जारी करेंगे।” याचिकाकर्ता का कहना है कि उसका जन्म इस्लाम में हुआ था, उसके अब्बा एक नॉन-प्रैक्टिसिंग मुस्लिम हैं।

याचिका के मुताबिक, उसके मुस्लिम अब्बा ने आधिकारिक रूप से मजहब नहीं छोड़ा है, ऐसे में वो अपनी बेटी के अधिकारों को सुरक्षित रखने में समस्या का सामना कर रहे हैं। वो चाहती है कि उस पर शरिया न लागू हो, लेकिन कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है। यानी, एक शून्य है जिस पर न्यायपालिका ही कुछ कर सकती है। अगर वो नो-रिलिजन या नो-कास्ट सर्टिफिकेट ले ले, तब भी भारत के धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत विरासत और वसीयत का अधिकार उसे नहीं मिलेगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -