राजदीप सरदेसाई की 1 मई को ऑन टीवी फिर फजीहत हुई। इस बार उन्हें पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालस्वामी ने लताड़ा। सरदेसाई, पूर्व चुनाव आयुक्त को ये कहकर घेरने की कोशिश कर रहे थे कि दो चरण के चुनाव होने के बावजूद चुनाव आयोग ने फेज-1 और फेज-2 का डेटा जारी करने में देरी की।
सरदेसाई ने ये सवाल विपक्ष पार्टियों के कंधे पर रखकर पूछा था ताकि इसे कुछ सनसनीखेज बनाकर पेश कर सकें। उन्होंने कहा वोट शेयर 11 दिन बाद प्रकाशित होना चिंताजनक है, विपक्षी दल इसे लेकर सवाल कर रहे हैं। हालाँकि पूर्व सीईसी ने मुस्कुराते हुए सरदेसाई को समझाया कि अगर सरदेसाई ने डेटा को चेक नहीं किया है इसका मतलब ये बिलकुल भी नहीं है कि ईसीआई ने ही देरी कर दी है।
उन्होंने सरदेसाई को साफ कहा, “ग्यारह और चार दिन के बाद डेटा प्रकाशित हुआ… ये सिर्फ आपकी कल्पना है। दूसरे दिन ही जानकारी मिल जाती है। यह ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध भी है। हर कोई इसे देख सकते है। अगर आप इसे देखना नहीं चाहते तो कोई बात बात नहीं। वो लोग डेट जारी करने के बाद भी बदनाम हो रहे हैं।”
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— IndiaToday (@IndiaToday) May 1, 2024
Official data is available on the website on the third day: Former CEC N Gopalaswami #NewsToday with @sardesairajdeep | Full show: https://t.co/KZx9SArMzc#ITVideo #EC #LokSabhaelections2024 #ElectionCommission pic.twitter.com/aECsRMMA9S
सरदेसाई को एन गोपालस्वामी ने टीवी पर उनकी बकवास बातें बंद करने की सलाह दी और सुझाव दिया कि वो इस तरह की हरकत करके विपक्ष की मदद करने की कोशिश करना बंद कर दें।
इतनी फजीहत होने के बावजूद राजदीप सरदेसाई शांत नहीं हुए। इसपर पूर्व सीईसी ने तंग होकर उन्हें समझाया कि मतदान समाप्त होने के बाद ईसीआई अधिकारी वास्तव में काम कैसे करते हैं।
उन्होंने कहा, “हर पोलिंग स्टेशन पर मतदान खत्म होने के बाद फॉर्म 17सी भरा जा रहा है जिसमें मतदान का आँकड़ा लिखते हैं। प्रतियों पर पोलिंग एजेंट के हस्ताक्षर किए जाते हैं, जो कि सभी के पास होती है। उसी रात तक अनुमानित आँकड़े सामने आ जाते हैं। इसके बाद जब ये सभी 17सी फॉर्म रिटर्निंग के पास जाते हैं तो वह इसे इकट्ठा कर लेते हैं तो सारा डेटा वहाँ रख दिया जाता है।”
गोपालस्वामी ने सारी बात सरदेसाई को समझाते हुए दावा किया कि इन कामों में कोई लापरवाही नहीं होती है, लेकिन सरदेसाई अपनी धूर्तता का प्रमाण देते हुए इस बात पर अड़े रहे कि सीईसी ने डेटा पब्लिश करने 11 दिन लेट किया। इतने के बावजूद संयम के साथ एन गोपालस्वामी उन्हें समझाते रहे कि अंतिम आधिकारिक डेटा साइट पर वोटिंग फेज के तीसरे दिन आ जाता है, जो 30 अप्रैल को आया वो संकलन मात्र था।
उन्होंने कहा कि ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि एक तो चुनाव आयोग अतिरिक्त जानकारियाँ दे रहा है ऊपर से विपक्षी दल और उनके समर्थन में मीडिया उसमें भी गलतियाँ निकालने पर तुली हैं। उन्होंने बताया कि अगर किसी पर डेटा निकालने का समय नहीं है या देखने का समय नहीं है तो चुनाव आयोग सिर्फ ऐसे डेटा जारी करके सबकी मदद करने का प्रयास कर रहा है, ताकि अखबार या प्रेस सीधे उस हैंडआउट का इस्तेमाल कर सकें। बाकी डेटा पहले से उपलब्ध हैं।
राजदीप सरदेसाई इसके बाद भी नहीं मानें। उन्होंने ये साबित करने की कोशिश की कि 30 अप्रैल को ईसीआई ने डेट रिवाइज किया है जिसे 2-3 दिन में होना चाहिए। इसके बाद गोपालस्वामी ने उन्हें फटकारते गुए इस पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि डेटा तीसरे दिन की उपलब्ध था और उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ।
अजीब बात ये है कि इतनी फजीहत होने के बाद भी राजदीप सरदेसाई शांत नहीं हुए और पूछते रहे कि क्या पूर्व सीईसी इन बातों को विपक्ष को समझा सकते हैं। इस पर भी उन्हें पूर्व सीईसी से फटकार लगी। एन गोपालस्वामी ने कहा कि ये कहा कि वो ये बातें विपक्ष को क्यों समझाएँगे, उनका काम है ये समझाना कि डेटा कैसे कलेक्ट होता है और पब्लिश होता है इसके अलावा वो कुछ नहीं करेंगे।
विपक्ष ने फैलाया भ्रम
बता दें कि ये सारा मामला विपक्ष द्वारा उठाया गया है। कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश और सीएम ममता बनर्जी समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने दावा किया था कि डेटा आने में देर हुई। हालाँकि, ईसीआई ने इन दावों को कारिज किया। उन्होंने विपक्ष और मीडिया द्वारा पैलाए जा रहे झूठ पर बताया कि डेटा समय पर रिलीज हुए हैं।
राजदीप सरदेसाई की फजीहत होने की हिस्ट्री
वहीं राजदीप सरदेसाई की बात करें तो उनकी समय-समय पर फजीहत होती रही है। 2017 में मुकेश अंबानी ने उन्हें इंडिया कॉन्क्लेव पर कह दिया था कि वो उसे सीरियसली नहीं लेते। दिसंबर 2021 में सुनील गावस्कर ने उन्हें कह दिया था कि उन्हें मतलब नहीं है कि सरदेसाई उनसे सहमत हो या नहीं। जनवरी 2022 में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम फडणवीस का पद बदले जाने पर सवाल उठाया था, तब उन्होंने सरदेसाई को कह दिया था कि पहले वो भी इंडिया टुडे में एडिटर-इन-चीफ थे, अब कंसल्टिंग एंटिर हैं।