केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में देश को बताया कि वायनाड के हालातों पर कहा जा रहा है कि पहले चेतावनी दी जानी चाहिए थी, लेकिन हकीकत तो ये है कि केंद्र ने 23 जुलाई को ही केरल सरकार को चेतावनी जारी कर दी थी यानी 7 दिन पहले। इसके बाद 24 और 25 जुलाई को भी चेतावनी भेजी गई थी। हर बार बताया गया था कि राज्य में भारी वर्षा और भूस्खलन के अनुमान हैं जिसमें लोगों की जान जा सकती है।
#WATCH | Delhi: Union Home Minister Amit Shah says, "My condolences to the bereaved families… I want to clarify something for the country… They kept on talking about early warning. I want to clarify that on July 23, the government of India gave an early warning to the… pic.twitter.com/pyi8WCFPq2
— ANI (@ANI) July 31, 2024
गौरतलब है कि वायनाड वही जगह है जहाँ से राहुल गाँधी पिछले लोकसभा चुनाव में सांसद निर्वाचित हुए थे और इस बार भी वायनाड की जनता ने उनपर विश्वास दिखाया था। आज इतनी बड़ा हादसा वहाँ के ग्रामीणों के साथ हो गया, लेकिन राहुल वहाँ अब तक नहीं गए। उलटा आज उन्होंने एक ट्वीट करके जानकारी दी कि वो अभी वायनाड नहीं जा सकते क्योंकि बारिश, मौसम खराब है। उन्होंने वायनाड की जनता को आश्वासन दिया है कि वो जल्द उनसे मिलने आएँगे
अपने एक्स पोस्ट में राहुल गाँधी ने कहा, “प्रियंका और मैं, भूस्खलन से प्रभावित लोगों से मिलने कल वायनाड आने वाले थे ताकि स्थिति का जायजा लें। हालाँकि लगातार बारिश और खराब मौसम के कारण हमें प्रशासन ने बताया कि हम लैंड नहीं कर पाएँगे। मैं वायनाड के लोगों को सुनिश्चित करना चाहता हूँ कि हम लोग जल्द से जल्द आएँगे और स्थिति को गंभीरता से मॉनिटर करके हर जरूरी चीजें मुहैया कराएँगे। हम इस कठिन समय में वायनाड के लोगों के साथ हैं।”
इसी तरह राहुल गाँधी का संदेश साझा करते हुए प्रियंका वाडरा ने वायनाड के लोगों को बताया कि वो लोग कल मिलने नहीं आ पाएँगे लेकिन उनकी संवेदनाएँ उनके साथ हैं और वो लोग इसके लिए प्रार्थना भी कर रहे हैं।
बता दें कि दोनों कॉन्ग्रेस नेता एक तरफ जहाँ सोशल मीडिया पर पीड़ितों के साथ एकजुटता दिखा रहे हैं और मौसम देख वहाँ पहुँचने से पीछे हटे हैं उस समय में वहाँ कुछ लोग हैं जो लगातार पीड़ितों की मदद कर रहे हैं।
इन लोगों में सिर्फ सेना और एडीआरएफ की टीम नहीं हैं। इनके साथ आरएसएस और सेवा भारती के लोग भी हैं। इन संगठनों के कार्यकर्ता खाने के लिए कैंप लगा रहे हैं ताकि पीड़ितों की मदद कर सकें। इसके अलावा वो मृतकों के अंतिम संस्कार के भी व्यवस्था कर रहे हैं, घायलों को अस्पताल पहुँचा रहे हैं, उनका ख्याल रख रहे हैं, सबको सही समय पर मेडिकल केयर मिले उसे सुनिश्चित कर रहे हैं, सड़कों पर टूटे पेड़ों को हटा रहे हैं ताकि आवागमन सही हो।
जानकारी के मुताबिक, वायनाड में अब तक 150 के करीब लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच आरएसएस के स्वयंसेवक अपनी सेवा दे रहे हैं, लेकिन दुखद बात ये है कि वामपंथी हमेशा से इसी आरएसएस पर निशाना साधते हैं जबकि हकीकत यह है कि आरएसएस के लोग धर्म या जाति की पहचान की परवाह किए बिना मानव निर्मित आपदा में लोगों की मदद करते हैं और राहुल गाँधी जैसे लोग जाति-आधारित विभाजनकारी कहानी सुना रहे हैं।