Thursday, September 19, 2024
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केजरीवाल के ‘शीशमहल’ मामले में 3 इंजीनियरों समेत कुल 7 सस्पेंड: जब कोरोना में मर रहे थे दिल्ली के लोग, CM के सरकारी घर में लगाई जा रही थी करोड़ों की टाइल्स-टोंटी-टट्टी शीट

अरविंद केजरीवाल के बंगले के पुनर्निर्माण पर 45 करोड़ से अधिक रुपए खर्च किए गए, जिसमें विदेश से टाइल्स मंगाई गई, पर्दे मंगाए गए।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर ‘शीश महल’ मामले में मुसीबत में पड़ सकते हैं। अभी तो पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों पर लगातार गाज गिर रही है। पीडब्ल्यूडी ने अरविंद केजरीवाल के बंगले के पुनर्निर्माण के समय हेर-फेर करने वाले 3 बड़े इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया है। वो दिल्ली में तैनाती का काम पूरा करके दूसरी जगहों पर तैनात थे, लेकिन उन पर गड़बड़ी के चलते गाज गिराई गई है। बता दें कि सीएम केजरीवाल के आधिकारिक निवास 6 फ्लैग स्टाफ रोड के निर्माण पर काफी हल्ला मच चुका है। इस घर और दफ्तर में बदलाव के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए गए, यही नहीं, इस बंगले में लाखों के परदे लगाए गए।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने अपने जिन इंजीनियरों को सस्पेंड किया है, उनके नाम एडीजी (सिविल) सीपीडब्ल्यूडी अशोक कुमार राजदेव, चीफ इंजीनियर प्रदीप कुमार परमार और सुपरिटेंडेंट इंजीनियर अभिषेक राज हैं। इन तीनों की तैनाती उस समय दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग में थी। इन तीनों के अलावा अन्य पाँच और इंजीनियर बंगले के निर्माण के दौरान की गई अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार पाए गए हैं।

मौजूदा समय में अशोक कुमार राजदेव और प्रदीप कुमार परमार की पोस्टिंग केंद्रीय लोक निर्माण विभाग में गुवाहाटी और अभिषेक राज की पोस्टिंग भी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत खड़गपुर में है। तीनों इंजीनियरों के दिल्ली से बाहर तैनात होने के चलते सतर्कता विभाग ने महानिदेशक(सीपीडब्ल्यूडी) से इनको निलंबित करने और इनके खिलाफ बड़ा जुर्माना लगाने का अनुरोध किया था। बता दें कि इससे पहले चार इंजीनियरों में से दो को भी उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के निर्देश पर निलंबित किया जा चुका है। वहीं एक रिटायर्ड इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सीपीडब्ल्यूडी से सिफारिश की गई है।

इन बड़े इंजीनियरों पर क्या हैं आरोप?

सतर्कता विभाग के अनुसार, इन इंजीनियरों ने दिल्ली सरकार के तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री की मिलीभगत से एक अत्यावश्यक धारा का इस्तेमाल करते हुए मुख्यमंत्री के लिए नए बंगले के निर्माण की अनुमति दी, जबकि ऐसी कोई जरूरत नहीं थी। साल 2020 में कोरोना महामारी के दौरान एक तरफ वित्त विभाग पैसे कम खर्च कर रहा था, तो दूसरी तरफ परिस्थितियों के उलट जाते हुए इन अधिकारियों ने न सिर्फ घर को आपातकालीन स्थितियों की तरह बनवाया, बल्कि करोड़ों रुपए की गड़बड़ी की गई और लागत को कई गुना बढ़ा दिया गया।

सतर्कता विभाग ने बताया कि इंटीरियर्स में बदलाव, बेहतर कैटेगरी के पत्थर के फर्श, बेहतरीन लकड़ी के दरवाजे, ऑटोमेटिक स्लाइडिंग ग्लास दरवाजे आदि के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए। सीबीआई इस पूरे मामले की अब जाँच कर रही है। बता दें कि अरविंद केजरीवाल के बंगले के पुनर्निर्माण पर 45 करोड़ से अधिक रुपए खर्च किए गए, जिसमें विदेश से टाइल्स मंगाई गई, पर्दे मंगाए गए। वहीं, आरटीआई से ये भी खुलासा हुआ है कि 2015 से 2022 तक अरविंद केजरीवाल के बंगले की देख-रेख और छोटे-मोटे मरम्मत के नाम पर 29 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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