Wednesday, September 18, 2024
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सुरक्षा के लिए NTF गठन के बाद AIIMS के डॉक्टरों का हड़ताल खत्म, CJI बोले- हम भी सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोए हैं, मरीजों से सहानुभूति

सीजेआई ने कहा, "सार्वजनिक अस्पतालों में एक चलन बन गया है। जूनियर डॉक्टर सिर्फ़ यौन उत्पीड़न ही नहीं बल्कि कई तरह के उत्पीड़न के शिकार होते हैं। हमें बहुत सारे ईमेल मिले हैं... 48 या 36 घंटे की ड्यूटी अच्छी नहीं है।" इसके बाद सीजेआई ने सभी डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "डॉक्टर काम पर लौट आएँ। अगर आप काम पर नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढाँचा कैसे चलेगा?" 

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर की रेप-हत्या मामले में 13 दिनों से हड़ताल कर रहे AIIMS के डॉक्टरों ने गुरुवार (22 अगस्त 2024) को काम पर लौटने की घोषणा कर दी। इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों से काम पर लौटने के लिए कहा था। इसके साथ ही उनकी समस्याएँ सुनने के लिए कमिटी बनाने की बात भी कही।

सुनवाई के दौरान CJI ने कहा, “सरकारी अस्पतालों की स्थिति मैं जानता हूँ। जब मेरे परिवार का एक सदस्य बीमार था, तब मैं खुद एक सरकारी अस्पताल के फर्श पर सोया हूँ। मरीजों की स्थिति जानता हूँ। उनसे सहानुभूति है।” CJI ने कहा, “हम केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को निर्देश देते हैं कि वे राज्य के मुख्य सचिवों और DGP के साथ मिलकर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।”

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह काम एक सप्ताह में पूरी हो जानी चाहिए। इसके साथ ही राज्य सरकारें इसे दो हफ्तों के अंदर लागू करें। उन्होंने आगे कहा, “पहले निर्णय लिया गया था कि नेशनल टास्क फोर्स सभी पक्षकारों से परामर्श करेगा। इससे प्रभावित होने वाले सभी हितधारकों और चिकित्सा पेशेवरों के लिए सुरक्षित कार्यस्थल बनाए रखने के लिए जिम्मेदार लोगों की बात सुनी जाएगी।”

सीजेआई ने आगे कहा, “(1) संकट कॉल सिस्टम, (2) संस्थागत एफआईआर, (3) मुआवजा संकट निधि पर सुझाव देते हैं। इन पर एनटीएफ (NTF) द्वारा विचार किया जा सकता है। प्रतिनिधियों के सुझावों को एनटीएफ द्वारा लिया जाना चाहिए; हम एनटीएफ द्वारा सुझावों को लिए जाने के लिए मंत्रालय की वेबसाइट पर एक पोर्टल खोलने का निर्देश देते हैं।” 

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि टास्क फोर्स सभी हितधारकों की बात सुनेगा। इनमें इंटर्न, रेजिडेंट, सीनियर रेजिडेंट, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ शामिल हैं। सीजेआई ने कहा, “डॉक्टरों को के बारे में हमें चिंता है। उन्हें 36 घंटे काम करना पड़ता है। हम सभी के परिवार के सदस्य, रिश्तेदार हैं, जो सरकारी अस्पतालों में गए हैं। हमने डॉक्टरों को 36 घंटे काम करते देखा है।”

सीजेआई ने आगे कहा, “सार्वजनिक अस्पतालों में एक चलन बन गया है। जूनियर डॉक्टर सिर्फ़ यौन उत्पीड़न ही नहीं बल्कि कई तरह के उत्पीड़न के शिकार होते हैं। हमें बहुत सारे ईमेल मिले हैं… 48 या 36 घंटे की ड्यूटी अच्छी नहीं है।” इसके बाद सीजेआई ने सभी डॉक्टरों से काम पर लौटने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “डॉक्टर काम पर लौट आएँ। अगर आप काम पर नहीं लौटेंगे तो सार्वजनिक प्रशासनिक ढाँचा कैसे चलेगा?” 

डॉक्टरों ने भी कहा कि वे काम पर लौटने के इच्छुक हैं, लेकिन उन्हें कार्रवाई का डर है। इस पर सीजेआई ने उन्हें आश्वस्त किया और कहा कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। सीजेआई ने अधिकारियों से भी आग्रह किया कि वे डॉक्टरों के खिलाफ कोई भी कठोर कार्रवाई ना करें। इस तरह कोर्ट की कार्रवाई खत्म होने के बाद डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल खत्म करने की घोषणा कर दी। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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