उत्तर प्रदेश में अल्पसंख्यक कोटे से MBBS में एडमिशन लेने के लिए नियम विरुद्ध धर्मांतरण करने का मामला सामने आया है। अभ्यर्थियों ने हिंदू से बौद्ध धर्म अपना लिया और उसका सर्टिफिकेट बनवाकर मेरठ के सुभारती यूनिवर्सिटी में जमा करवा है। ऐसे 20 मामले सामने आए हैं। इस संबंध में शिकायत मिलने के बाद सर्टिफिकेट को रद्द करके जाँच के आदेश दे दिए गए हैं।
दरअसल, गुरुवार (12 सितंबर 2024) को उत्तर प्रदेश चिकित्सा शिक्षा विभाग ने अपनी वेबसाइट पर एक नोटिफिकेशन डाला। इसमें कहा गया है कि फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण-पत्र लगाने वाले अभ्यर्थियों पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही इन लोगों के नामांकन रद्द किए जाएँगे। इस घटना के बाद चार छात्रों ने अपना नामांकन वापस ले लिया।
इन अभ्यर्थियों ने बौद्ध धर्म अपनाने के लिए उत्तर प्रदेश के विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन एक्ट 2021 का पालन नहीं किया। इसके सेक्शन 8 और 9 में लिखा है कि अपना धर्म परिवर्तन करने की इच्छा वाले व्यक्ति को कम-से-कम 60 दिन पहले अपने जिले के जिला मजिस्ट्रेट या अपर जिला मजिस्ट्रेट के सामने लिखित में घोषणा करनी होगी। उन्हें बताना होगा कि वह बिना किसी बल, प्रताड़ना या प्रलोभन के अपना धर्म स्वेच्छा से परिवर्तित करना चाहता है।
जिन अभ्यर्थियों ने फर्जी अल्पसंख्यक प्रमाण पत्र लगाए थे, उनमें यूपी के प्रयागराज, वाराणसी, बिजनौर, मेरठ, हापुड़, मुजफ्फरनगर के अलावा दिल्ली और महाराष्ट्र के भी अभ्यर्थी शामिल हैं। आरोप है कि इन अभ्यर्थियों ने मैनेजमेंट कोटा के तहत अल्पसंख्यक सीटों पर नामांकन के लिए यूनिवर्सिटी को 40 लाख से लेकर 50 लाख रुपए तक दिए थे।
दरअसल, उत्तर प्रदेश में MBBS में नामांकन की काउंसिलिंग चल रही है। इसी दौरान किसी इन प्रमाण पत्रों के संंबंध में किसी ने यूपी चिकित्सा शिक्षा विभाग के महानिदेशक किंजल सिंह से इसकी शिकायत कर दी। किंजल सिंह ने जाँच कराई तो शिकायत पाई गई। उन्होंने पाया कि सुभारती मेडिकल यूनिवर्सिटी में हिंदुओं ने अल्पसंख्यक कोटे से नामांकन लिया है।
अपने व्हाट्सऐप मैसेज में शिकायतकर्ता ने लिखा था, “उत्तर प्रदेश में मेडिकल के छात्रों की काउंसिलिंग में अल्पसंख्यक दर्जे के नाम पर बड़ा घोटाला चल रहा है। मेरठ के सुभारती विश्वविद्यालय में बौद्ध अल्पसंख्यक के नाम पर ट्यूशन फीस और अन्य शुल्क के अलावा लाखों रुपए लेकर सामान्य उम्मीदवारों को सीट दी जा रही है। इसमें कौर और मित्तल सरनेम वाले उम्मीदवारों को अल्पसंख्यक कोटे से एडमिशन दिए जा रहे हैं। 40 से 50 लाख रुपए डोनेशन लिए गए हैं।”
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक किंजल सिंह ने सभी अभ्यर्थियों के सर्टिफिकेट मँगवाकर जाँच कराए तो पता चला कि सभी सर्टिफिकेट हाल ही में जारी किए गए हैं। जिन उम्मीदवारों ने बौद्ध धर्म का सर्टिफिकेट लगाए हैं, वे सभी हिंदू हैं और संपन्न परिवारों से हैं। ये सर्टिफिकेट मेरठ, बिजनौर, सहारनपुर, गौतमबुद्ध नगर, प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, मुजफ्फरनगर और हापुड़ जिले से जारी किए गए थे। कुछ उम्मीदवारों के सर्टिफिकेट दूसरे जिलों से जारी किए थे।
महानिदेशक किंजल सिंह ने इन जिले के डीएम को सर्टिफिकेट की जाँच के लिए आदेश किया। आदेश की एक कॉपी अल्पसंख्यक विभाग के डायरेक्टर को भी भेजी गई है। आदेश के बाद सभी जिलों के डीएम ने माना है कि सर्टिफिकेट गलत तरीके से जारी किए गए हैं। इनमें नियमों का पालन नहीं किया गया। वाराणसी को छोड़कर सभी डीएम ने इन प्रमाण पत्रों को रद्द करने का आदेश दे दिया है।
दरअसल, वाराणसी के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के अधिकारी छुट्टी पर हैं। इसलिए वहाँ से जारी किया गया एक सर्टिफिकेट कैंसिल नहीं किया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, ये सभी सर्टिफिकेट डीएम, एसडीएम और अल्पसंख्यक अधिकारी के यहाँ से जारी हुए हैं। अब इसकी भी जाँच की जाएगी कि ये सर्टिफिकेट जारी कैसे हुए।
बता दें कि मेरठ स्थित सुभारती यूनिर्वर्सिटी एक बौद्ध अल्पसंख्यक प्राइवेट यूनिवर्सिटी है। अल्पसंख्यक कोटे को लेकर सुभारती यूनिवर्सिटी और चिकित्सा शिक्षा विभाग के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस भी चला। कोर्ट ने सुभारती विश्वविद्यालय को 50% अल्पसंख्यक कोटे की सीट भरने का आदेश दिया। इसी तहत यह नामांकन हो रहा था। सुभारती विश्वविद्यालय में MBBS की 200 सीट हैं, जिनमें से 100 सीटें अल्पसंख्यक कोटे के लिए है।