#Watch: LG slams Omar Abdullah, legislators for boycotting UT Foundation Day event@OfficeOfLGJandK pic.twitter.com/hcSY7OpxUv
— Greater Kashmir (@GreaterKashmir) October 31, 2024
क्षेत्रीय नेताओं की इस प्रकार बयानबाजी सुनने और दूरी देखने के बाद केंद्र शासित प्रदेश के एलजी मनोज सिन्हा भड़क गए। उन्होंने इस तरह आधिकारिक कार्यक्रम के बहिष्कार को एनसी और कॉन्ग्रेस नेताओं का दोहरा चरित्र बताया। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने राज्य में चुनाव जीतने के बाद सबके सामने संविधान की शपथ ली है। वे ऑफिशियल इवेंट का बहिष्कार कैसे कर सकते हैं। एक तरफ वे शपथ लेकर विधायक बने, दूसरी तरफ आधिकारिक कार्यक्रम का बहिष्कार कर रहे हैं। यह इनका दोहरा चरित्र दर्शाता है।
"Not everyone attends, but I believe Jammu and Kashmir is a Union Territory today, and we should accept it," says LG Manoj Sinha in response to the NC's absence from the UT Foundation Day celebration. pic.twitter.com/TvkqXOgQ5j
— Rising Kashmir (@RisingKashmir) October 31, 2024
बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश की स्थापना दिवस का विरोध करते नेशनल कॉन्फ्रेंस या पीडीपी को देखना सवाल उठाने लायक जरूर है लेकिन चौंकाने वाला बिलकुल नहीं है। आर्टिकल 370 के रहते जिन लोगों को ‘भारतीय सेना’ दुश्मन लगती थी, हिंदुस्तानी सरकार फासीवादी लगती थी, वही आज केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता पर हैं… ऐसे में उन्हें अगर जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने से दिक्कत नहीं होगी तो किसे होगी।
जम्मू-कश्मीर में स्थानीय पार्टियों की समस्या शायद यही रही है कि जम्मू-कश्मीर में बिन उनके दखल और प्रचार के पत्ता भी न मिले। अगर लालचौक तिरंगे के रंग में दिखता है। घाटी का कोई इलाका आतंकवाद मुक्त घोषित होता है, किसी क्षेत्र में शांति लौटती है तो इन्हे लगता है कि ऐसा कैसे और क्यों हो रहा है।
इनके लिए प्रदेश का अर्थ उसी 10 साल पुराने कश्मीर से है जहाँ हर मुद्दे पर सरकार का विरोध करना ही उनकी ‘आजादी’ थी और पत्थर चलाना ही उनके ‘विशेषाधिकार’ थे। ये बदलता कश्मीर इनके लिए अब भी चुनौती है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद 5 सालों ने कश्मीर का रंग-रूप बदला है। जिस कश्मीर में कभी भारत से आजादी के नारे लगते थे वहाँ खुद सीएम अब्दुल्लाह तो ‘रन फॉर यूनिटी’ जैसे कार्यक्रम आयोजित कराने पड़ रहे हैं। जिन कश्मीर में विकास एक सपने जैसा हो गया था वहाँ ढेरों प्रोजेस्ट सफलतापूर्वक पूरे हो रहे हैं।
#WATCH | On "National Unity Day," @OmarAbdullah, the chief minister of Jammu & Kashmir, administers the unity pledge and launches the "Run for Unity" in @Srinagar.@JKNC_ pic.twitter.com/MLSd67QuMK
— Gulistan News (@GulistanNewsTV) October 29, 2024
जिस कश्मीर में आतंकी आए दिन सेना को निशाना बनाते थे और पत्थरबाज उनपर पत्थर चलाते थे वहाँ आतंकवाद को मिटाने के लिए त्वरित कार्रवाई हो रही है, युवाओं को सही रास्ते पर लाने के लिए मौके दिए जा रहे हैं…। वहाँ युवाओं को बरगलाने की तरह ‘मिशल यूथ’ के जरिए शिक्षा, कौशल विकास, वित्तीय सहायता और तकनीकी प्रशिक्षण मिल रहे हैं। रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं, चुनाव में भागीदारी बढ़ रही, राजनैतिक रूप से लोग जागरूक हो रहे हैं, मजहबी कट्टरपंथ की जगह आर्थिक विकास को चुन रहे हैं, सामुदायिक सहयोग देकर समाज में परिवर्तन लाने का कारण बन रहे हैं।
इस तरह के बदलते कश्मीर में उन लोगों को तो समस्या होनी जाहिर ही है जिनके पास अनुभव 10 साल पुराने कश्मीर को देखने का है। इसलिए सवाल ये नहीं है कि इन्होंने स्थापना दिवस का बहिष्कार क्यों किया। सवाल ये है कि जब संवैधानिक रूप से जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश में होने में नेशनल कॉन्फ्रेंस, कॉन्ग्रेस और पीडीपी को इतनी समस्या है तो फिर इन्होंने उस केंद्रशासित प्रदेश के विधायकों और मुख्यमंत्री पद के तौर पर शपथ क्यों ली।
जिस संविधान से उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने हैं उसी संविधान के तहत जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किया गया है। फिर इस मामले पर सरकारी कार्यक्रम का विरोध कितना उचित है? क्या ये रवैये ये नहीं दर्शाते कि जम्मू-कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टियाँ की सोच अब भी नहीं बदली है? उन्हें मजबूरन भारतीय संविधान का सम्मान करना पड़ रहा है।
राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कार्यक्रम में खुद कहा है कि सब चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिले और जब वो मिलेगा तब भी इसी तरह का जश्न होगा। मगर क्या, उमर अब्दुल्ला या उनकी पार्टी को उस वक्त तक प्रदेश में हुए विकास के नाम पर सरकारी कार्यक्रमों में शामिल नहीं होना चाहिए… ऐसे समय में जब जम्मू-कश्मीर में आतंकी दोबारा से गैर कश्मीरियों में भय भरने का काम कर रहे हैं, कभी सेना को निशाना बनाया जा रहा है तो कभी मजदूरों को परेशान कर रहे हैं तब सरकार बेरुखी दिखाना क्या उन तत्वों को मजबूती नहीं देंगे जो इस फिराक में है कि किस तरह केंद्र शासित प्रदेश की शांति को भंग किया जाए।