दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया में गैर-मुसलमानों के साथ होने वाले भेदभाव और उनपर डाले जाने वाले धर्मांतरण के दबाव को लेकर एक 65 पेज की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट सामने आई है। ये रिपोर्ट ‘कॉल फॉर जस्टिस’ ट्रस्ट की छह सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम द्वारा तैयार की गई है जिसमें गैर मुस्लिम फैकल्टी, छात्र, पूर्व छात्र और कर्मचारी से बात करके निष्कर्ष दिए गए हैं।
इस रिपोर्ट के अनुसार एक गैर मुस्लिम महिला सहायक प्रोफेसर ने बताया कि उन्होंने यूनिवर्सिटी में शुरू से ही भेदभाव महसूस किया जहाँ मुस्लिम कर्मचारी गैर मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार और भेदभाव करते थे। उन्होंने बताया कि पीएचडी थीसिस प्रस्तुत करते समय मुस्लिम क्लर्क ने उन पर अपमानजनक टिप्पणियाँ कीं और कहा कि वह कुछ भी हासिल नहीं कर पाएँगी।
Fact-finding committee releases the report on discrimination of non-Muslims and conversion of Non-Muslims to Islam in Jamia Millia Islamia University, Delhi
— DD News (@DDNewslive) November 14, 2024
The fact-finding committee in its report found that almost every witness deposed about the discrimination of non-muslims… pic.twitter.com/99TThJt76F
इसी तरह दलित समुदाय से संबंध रखने वाले फैकल्टी सदस्य ने बताया कि जब उनको कॉलेज में अपना केबिन अलॉट हुआ तो उन्हें मुस्लिम कर्मचारियों ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि प्रशासन ने एक काफिर को केबिन दे दिया।
अगले मामले में एक अनुसूचित जनजाति के एक पूर्व छात्र ने बताया था कि कैसे Med पूरा करने के दौरान एक मुस्लिम शिक्षक ने उनसे क्लास में कहा था कि जब तक वह इस्लाम का पालन नहीं करते, उसकी MED पूरी नहीं होगी। उसके सामने ऐसे छात्रों का उदाहरण रखा गया जिनके मतांतरण करने के बाद अच्छा व्यवहार होने लगा।
बता दें कि कॉल ऑफ जस्टिस ट्रस्ट की फैक्ट फाइंडिंग टीम द्वारा तैयार की गई इस रिपोर्ट को निष्कर्ष तक पहुँचने में 3 महीने से ज्यादा का समय लगा। वहीं इसे तैयार दिल्ली हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति एसएन ढींगरा के नेतृत्व में किया गया। छह सदस्यीय इस फैक्ट फाइंडिंग टीम में दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त एसएन श्रीवास्तव भी शामिल थे। रिपोर्ट तैयार होने के बाद टीम सदस्यों ने इसकी सूचना गृह मंत्री (राज्य) नित्यानंद राय को दी।