बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने हाई कोर्ट में हिन्दुओं के संगठन ISKCON को ‘कट्टरपंथी’ बताया है। उन्होंने कोर्ट में बताया है कि ISKCON को बैन करने की कार्रवाई पहले से चल रही है। यूनुस सरकार ने यह बातें ISKCON के एक संत की गिरफ्तारी के बाद कही हैं। हाई कोर्ट में एक मुस्लिम वकील ने ISKCON को बैन करने की माँग को लेकर याचिका लगाई है।
बांग्लादेश हाई कोर्ट में वकील ने याचिका दायर करके कहा है कि ISKCON को बैन कर दिया जाए क्योंकि यह देशद्रोही गतिविधियों में लिप्त है। वकील ने इस मामले में हाई कोर्ट में ISKCON को लेकर कथित मीडिया रिपोर्ट्स दी हैं।
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए बांग्लादेश के हाई कोर्ट ने देश के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्ज्माँ से जवाब माँगा। असदुज्ज्माँ ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस ‘कट्टरपंथी’ संगठन पर कार्रवाई को लेकर पहले ही विचार कर रही है। असदुज्ज्माँ ने बताया कि इसको बैन करने को लेकर काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि ISKCON की जाँच की जा रही है।
गौरतलब है कि ISKCON के संत चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की सुरक्षा एजेंसियों ने सोमवार (25 नवम्बर, 2024) को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद मंगलवार को उन्हें जमानत भी देने से इनकार कर दिया गया। जज काजी नजरुल इस्लाम ने इस दौरान उन्हें देशद्रोह का प्रथम दृष्टया दोषी पाया।
चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के बाद चटगाँव कोर्ट परिसर में हंगामा हुआ। हिन्दुओं ने यहाँ प्रदर्शन किया और चिन्मय कृष्ण दास को छोड़ने की माँग की। इन हिन्दुओं पर बांग्लादेश की पुलिस और इस्लामी कट्टरपंथियों ने ईंट और पत्थर बरसाए और लाठियाँ चलाई। इस दौरान गोली चलाने की बात भी सामने आई।
प्रदर्शन के दौरान हुए हमले में एक सरकारी वकील की मौत हो गई। बांग्लादेश की पुलिस ने इस हत्या का दोष पीड़ित हिन्दुओं पर ही मढ़ दिया है। हालाँकि, बांग्लादेश की सम्मिलित हिन्दू जागरण जोत समिति ने स्पष्ट किया है कि हिन्दू इस घटना में शामिल नहीं थे बल्कि दूसरी तरफ मस्जिद से हमला हुआ था।
वकील की हत्या के मामले में पुलिस ने बुधवार (27 नवम्बर, 2024) को 33 लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें से 6 को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। इनकी पहचान घटनास्थल के CCTV कैमरे से की गई है। यह नहीं स्पष्ट है कि यह लोग कौन है।