उत्तर प्रदेश के संभल जिले में रविवार (24 नंवबर 2024) को हुई हिंसा की जाँच अब शुरू हो चुकी है। इसके लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग बनाया गया है। यह टीम रविवार (1 दिसंबर 2024) को संभल पहुँची और सबसे पहले जामा मस्जिद में जाँच की। इलाके में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। आयोग को दो महीने में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपनी है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयोग की टीम मुरादाबाद से रवाना होकर सुबह संभल पहुँची। जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक के साथ इस 3 सदस्यीय टीम ने उन जगहों का दौरा किया, जहाँ 24 नवंबर को हिंसा हुई थी। टीम ने पैदल ही बाजार और गलियों में जाकर घटनास्थल की गहराई से पड़ताल की। इसी दौरान टीम जामा मस्जिद भी पहुँची और जरूरी सबूत जुटाए।
#WATCH | Uttar Pradesh | Amid heightened security, members of the 3-member judicial inquiry committee enter Shahi Jama Masjid for inspection.
— ANI (@ANI) December 1, 2024
Supreme Court on November 29, asked the Sambhal trial court not to proceed in the suit against the Shahi Jama Masjid, till the petition… pic.twitter.com/3xH9WEBQT9
जाँच के दौरान सुरक्षा के सख्त इंतजाम थे। हर जगह पुलिस तैनात थी। जाँच दल में इलाहाबाद हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा, पूर्व डीजीपी अमित मोहन प्रसाद और रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी अरविंद कुमार जैन शामिल हैं। इनके साथ मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय सिंह और डीआईजी मुनिराज भी थे। स्थानीय डीएम और एसपी ने टीम को हिंसा के दिन की घटनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
न्यायिक आयोग की जाँच कुछ खास बिंदुओं पर केंद्रित है। न्यायिक आयोग पड़ताल कर रहा है कि 24 नवंबर की हिंसा अचानक भड़की या इसके पीछे कोई सोची समझी साजिश थी? इसी के साथ आयोग यह भी जानने का प्रयास करेगा कि घटना के समय प्रशासनिक स्तर पर तो कोई लापरवाही नहीं हुई। हिंसा की असल वजह के साथ आयोग यह भी जाँचेगा कि दोबारा ऐसा न हो उसके लिए प्रशासनिक स्तर पर क्या तैयारियाँ की गईं हैं।
जाँच फिलहाल जारी है और चश्मदीदों के बयान दर्ज किए जा रहे हैं। इसमें प्रशासनिक अधिकारियों से भी पूछताछ हो रही है। आयोग दो महीने में अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा, जिसे सरकार को सौंपा जाएगा। इस रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।