Tuesday, December 31, 2024
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दरवाजे पर लिखा ‘मकान बिकाऊ है’ तो जागी पुलिस, लेकिन जेल से बाहर आते ही फिर धमकाने लगा शादाब और उसक परिवार: पीड़ित दलित ने जताई अनहोनी की आशंका

पीड़ित दलित परिवार ने अपनी जान का खतरा बताया है। पीड़ितों ने पलायन या आत्महत्या को ही अब अपना अंतिम विकल्प बताया है। हालाँकि पुलिस ने राजेश और उनके परिवार को सुरक्षित बताया है।

मध्य प्रदेश के इंदौर की बगीचे कॉलोनी में रहने वाले एक दलित परिवार ने आरोप लगाया है कि मुस्लिम समुदाय के शादाब और कुछ लोग उन्हें लगातार धमका रहे हैं और उनकी जान को खतरा है। इस परिवार ने रविवार (17 नवंबर 2024) को अपने घर के बाहर पलायन का पोस्टर लगा दिया था। पहले पुलिस ने मामले में कार्रवाई करते हुए आरोपितों को जेल भेजा था, लेकिन अब उनकी जमानत के बाद पीड़ित परिवार बेहद डरा हुआ है। हालाँकि पुलिस ने राजेश और उनके परिवार को सुरक्षित बताया है।

दैनिक भास्कर के मुताबिक, पीड़ित परिवार के मुखिया राजेश कलमोइया ने बताया कि जमानत पर रिहा हुए आरोपित शादाब के परिवार के लोग उनके परिवार वालों को घूर-घूरकर देख रहे हैं। उन्होंने कहा, “जब से ये लोग जेल से बाहर आए हैं, हमें लग रहा है कि हमारे साथ कुछ भी अनहोनी हो सकती है। पुलिस ने पहले भरोसा दिया था कि आरोपितों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) लगाया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।”

परिवार ने दावा किया है कि उन्हें लगातार धमकियाँ मिल रही हैं। राजेश ने बताया कि पहले पुलिस उनके घर पर लगातार आती थी, लेकिन अब कई दिनों से उनकी गली में भी नजर नहीं आई। परिवार का कहना है कि ऐसे हालातों में उनके पास केवल दो विकल्प बचे हैं- या तो पलायन करें या आत्महत्या। हालाँकि पुलिस ने राजेश को सुरक्षित बताया है। स्थानीय SHO के मुताबिक राजेश की तरफ से अपनी नई शिकायतों के बारे में कोई तहरीर नहीं दी गई है।

17 नवंबर को लगाए थे पलायन के पोस्टर

राजेश ने 17 नवंबर को अपने घर के बाहर पलायन के पोस्टर लगाए थे। उनका आरोप था कि शादाब और अन्य आरोपितों ने उन्हें और उनके परिवार को परेशान किया। मामला तब बढ़ा, जब हिंदू संगठनों ने कार्रवाई की माँग की। इसके बाद पुलिस ने SC/ST एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मुख्य आरोपित शादाब समेत 7 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।

केस वापसी का दबाव बनाया और घर के बाहर किया धमाका

राजेश ने बताया कि शादाब और अन्य आरोपित लगातार उन पर केस वापसी का दबाव बना रहे थे। इसमें शादाब के परिवार की महिलाएँ भी शामिल थीं। राजेश के अनुसार, जब उन्होंने केस वापस लेने से मना कर दिया, तो उनके घर के बाहर विस्फोटक से धमाका किया गया। इस मामले में रईस नाम के एक अन्य व्यक्ति को भी नामजद किया गया था।

पुलिस की भूमिका पर उठ रहे सवाल

पीड़ित परिवार ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले तो पुलिस ने आश्वासन दिया था कि सख्त कदम उठाए जाएँगे, लेकिन अब पुलिस गायब है। परिवार ने पलायन को मजबूरी बताया और कहा कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की गई तो उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ सकता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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