भारत सरकार ने खालिस्तानी रेफरेंडम से जुड़ी 10,500 से अधिक URLs को ब्लॉक कर दिया है। यह कार्रवाई पिछले तीन वर्षों में की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने सोशल मीडिया और इंटरनेट पर फैलाए जा रहे खालिस्तानी प्रचार को रोकने के लिए यह सख्त कदम उठाया है।
खालिस्तानी रेफरेंडम और ब्लॉक की गई URLs
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन URLs को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69ए के तहत ब्लॉक किया गया। इस अधिनियम के तहत किसी भी ऑनलाइन सामग्री को राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या देश की संप्रभुता के लिए खतरा मानते हुए ब्लॉक किया जा सकता है।
खालिस्तानी रेफरेंडम की बात करें तो यह एक विवादित वोटिंग प्रक्रिया है, जिसे अमेरिका स्थित संगठन ‘सिख्स फॉर जस्टिस’ (SFJ) द्वारा आयोजित किया जाता है। इसका नेतृत्व गुरपतवंत सिंह पन्नू करता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य भारत से अलग होकर एक सिख राष्ट्र बनाना है।
सोशल मीडिया पर बढ़ती कार्रवाई
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार ने पिछले तीन वर्षों में 28079 URLs को ब्लॉक किया है। इनमें से सबसे अधिक 10,976 URLs फेसबुक से, जबकि 10,139 URLs ट्विटर (अब X) से थीं। इसके अलावा, 2,211 यूट्यूब अकाउंट्स, 2,198 इंस्टाग्राम हैंडल्स, 225 टेलीग्राम अकाउंट्स और 138 व्हाट्सऐप अकाउंट्स को भी ब्लॉक किया गया।
2022 में 6,775 सोशल मीडिया अकाउंट्स ब्लॉक किए गए, 2023 में यह संख्या बढ़कर 12,483 हो गई। वहीं, 2024 में अब तक 8,821 अकाउंट्स ब्लॉक हो चुके हैं।
मोबाइल ऐप्स पर भी कार्रवाई
खालिस्तान रेफरेंडम से जुड़ी मोबाइल ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया एजेंसियों ने सरकार को इन ऐप्स की जानकारी दी थी, जो खालिस्तानी विचारधारा को बढ़ावा देने और जनता को भड़काने के लिए उपयोग हो रही थीं।
फेसबुक URLs की जाँच में यह पाया गया कि इनमें से अधिकांश थर्ड-पार्टी वेबसाइट्स या ऐप स्टोर्स पर यूजर्स को रीडायरेक्ट कर रही थीं। इनसे धोखाधड़ी, निवेश, और वर्क-फ्रॉम-होम जैसे फर्जीवाड़े हो रहे थे।
PFI और अन्य कट्टरपंथी समूहों पर भी नजर
सरकार ने खालिस्तानी सामग्री के अलावा, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), लिट्टे (LTTE), जम्मू-कश्मीर के उग्रवादी, और ‘वारिस पंजाब दे’ जैसे संगठनों से जुड़े 2,100 URLs को भी ब्लॉक किया है। यह कार्रवाई केंद्रीय खुफिया एजेंसियों की सिफारिशों के आधार पर की गई।
सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और गृह मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के बीच हाल ही में इस विषय पर चर्चा हुई। इस दौरान यह तय किया गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ काम करने वाले किसी भी ऑनलाइन कंटेंट को तुरंत ब्लॉक किया जाएगा।
यह बात साफ है कि भारत सरकार खालिस्तान के विचार को बढ़ावा देने वाले किसी भी प्रयास को बर्दाश्त नहीं करेगी। सोशल मीडिया पर इस तरह के कंटेंट को रोकने की दिशा में यह कार्रवाई एक बड़ा कदम है। इस कदम से खालिस्तानी आंदोलन को झटका लगा है और यह संदेश दिया गया है कि भारत की एकता और संप्रभुता से समझौता करने की कोई गुंजाइश नहीं है।