नॉर्थ ब्लॉक और साउथ ब्लॉक भारतीय सत्ता के दो सबसे महत्वपूर्ण केंद्र हैं। राष्ट्रपति भवन के दोनों ओर स्थित इन इमारतों में बैठे लोगों के पास सत्ता के तमाम सूत्र होते हैं। नॉर्थ ब्लॉक में ही गृह मंत्रालय है, जिसके मुखिया आजकल अमित शाह हैं। इसी साल मई में मंत्री पद की शपथ लेने वाले शाह ने जब से गृह मंत्रालय का कामकाज सॅंभाला है, यह महकमा लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।
इसकी वजह है, उन मुद्दों पर फैसला लेना जो सालों से लंबित पड़े थे। मसलन, जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करना। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक शरणार्थियों को नागरिकता देने का रास्ता प्रशस्त करना। रोहिंग्या या एनआरसी के मुद्दे पर स्टैंड लेना। वगैरह…।
इन फैसलों ने शाह को आजाद भारत का दूसरा सबसे चर्चित गृह मंत्री बना दिया है। रियासतों का विलय कराने के कारण देश के पहले गृह मंत्री सरदार पटेल आज तक याद किए जाते हैं। पटेल से शाह के बीच दो दर्जन से ज्यादा लोग नॉर्थ ब्लॉक के इस दफ्तर में बैठ चुके हैं, पर शायद ही आपको उनका नाम याद हो। मेरी इस मान्यता की एक बड़ी वजह एक हालिया घटना है। हाल ही में जब मनमोहन सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के गृह मंत्री के कार्यकाल का हवाला देकर 1984 में हुए सिखों के नरसंहार का दोष उनके मत्थे मढ़ा तो कई लोग यह जानकर ही भौंचक रह गए थे कि राव कभी देश के गृह मंत्री भी हुआ करते थे। वैसे यह जिम्मेदारी शास्त्री, इंदिरा, चरण सिंह, मोराराजी जैसे कद्दावर नेता भी सॅंभाल चुके हैं।
शिवराज पाटिल जैसे कुछ लोगों के कार्यकाल की चर्चा भी कभी-कभार होती है। लेकिन, उसका कारण मुंबई हमले के वक्त हर घंटे सूट बदलकर नजर आने का पाटिल का कारनामा रहा है। वीपी सिंह की सरकार में यह मकहमा जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे मुफ्ती मोहम्मद सईद के पास था। लेकिन, यह कार्यकाल उनके दामन पर ऐसे दाग लगा गया जो कभी नहीं धुला।
हुआ कुछ यूॅं था कि दो दिसंबर 1989 को प्रधानमंत्री बनते ही वीपी सिंह ने सईद को गृह मंत्रालय की बागडोर सौंपी। इसके 6 दिन बाद (8 दिसंबर 1989) को जेकेएलफ ने सईद की बेटी रूबिया को अगवा कर लिया। 122 घंटे बाद रूबिया रिहा की गईं। बदले में सरकार ने 13 दिसंबर को 5 आतंकियों को आजाद कर दिया। उसी रात विशेष विमान से रूबिया सईद को दिल्ली लाया गया था। इसके बाद सईद ने कहा था- एक पिता के रूप में मै खुश हूॅं, लेकिन एक राजनेता के रूप में मैं समझता हूॅं कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।
पर उस वक्त अंदरखाने क्या चल रहा था इसके संकेत सईद के साथ वीपी सिंह की कैबिनेट में रहे आरिफ मोहम्मद खान के एक इंटरव्यू से लगाया जा सकता है। खान फिलहाल केरल के राज्यपाल हैं। उन्होंने इसी साल अगस्त में संडे गार्डियन को एक इंटरव्यू दिया था। इस साक्षात्कार में खान ने सईद की भूमिका पर सवाल उठाए थे।
इससे संकेत मिलते हैं कि सईद ने न केवल अपनी बेटी रूबिया को अगवा करने वाले आतंकियों को बचाया था, बल्कि उनके दबाव में ही सरकार को पॉंच आतंकी छोड़ने पड़े थे। बकौल खान रूबिया को अगवा करने की खबर मिलने के बाद उन्हें और उस सरकार के एक और मंत्री इंद्र कुमार गुजराल (जो बाद में पीएम भी बने) को श्रीनगर भेजा गया। खान ने बताया कि उस समय जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला आतंकियों को छोड़े जाने के पक्ष में नहीं थे। उन्होंने केंद्र सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि यह भारी भूल साबित होगी। खान के अनुसार अपहरणकर्ताओं में से एक के पिता ने अब्दुल्ला को यकीन दिलाया था कि रूबिया को कुछ नहीं होगा। लेकिन, सईद ने जस्टिस एमएल भट्ट के मार्फत अपहरणकर्ताओं तक संदेशा भिजवाया कि केंद्र सरकार उनकी मॉंग मानकर पॉंच आतंकियों को रिहा करने के लिए तैयार है।
खान ने इंटरव्यू में बताया है, “मुफ्ती ने जस्टिस भट्ट के मार्फत सूचना क्यों लीक की? मुझे नहीं पता कि इसके पीछे उनका क्या मकसद था। लेकिन जब मैं कश्मीर से लौटा तो भट्ट को मुफ्ती के घर पर देखा। मुझे बताया गया कि वे यहॉं 5-6 दिन से हैं। रूबिया के अगवा होने के अगले दिन वे दिल्ली पहुॅंचे थे और अपहरणकर्ताओं के साथ लगातार संपर्क में थे।”
खान के अनुसार उन्होंने सईद को इस घटना के बाद इस्तीफा देने की भी सलाह दी थी। साथ ही उन्होंने बताया कि रूबिया के छोड़े जाने से पहले ही पॉंचों आतंकी रिहा कर दिए गए थे। खान के अनुसार कश्मीर में हर किसी का मानना था कि अपहरणकर्ता रूबिया के साथ कुछ गलत नहीं करेंगे। ऐसा करने पर जनभावनाएँ उनके खिलाफ हो सकती थी। ऐसे में यह मानना है मुश्किल है कि सईद जो खुद कश्मीरी थे और युवावस्था से ही वहॉं की राजनीति में सक्रिय थे उन्हें इस बात का अंदाजा न रहा हो।
‘Home Minister Mufti Sayeed protected terrorists in Kashmir’ – Truth about Kashmir in the words of the wonderful @arifmohammadk who I respect immensely. Had the opportunity to address the India Today Conclave in 2011 in his presence to show mirror to Islamist radical Geelani. pic.twitter.com/uW7WntXMhm
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 1, 2019
इन आतंकियों की रिहाई के बाद कश्मीर के आतंकवाद का कैसा दौर देखा, कश्मीर पंडितों को किस तरीके से पलायन करना पड़ा ये सब आप जानते ही हैं।