Sunday, September 8, 2024
Homeदेश-समाजकटहल के वृक्ष के नीचे प्रकट हुए गुरु ने दिया था ज्ञान, योगी मुमताज़...

कटहल के वृक्ष के नीचे प्रकट हुए गुरु ने दिया था ज्ञान, योगी मुमताज़ अली ख़ान को पद्म भूषण

शिक्षाविद् और समाज सुधारक श्री एम की अपने गुरु से मुलाक़ात की कहानी भी दिलचस्प है। जब वो तिरुवनंतपुरम के हॉस्टल में रहते थे, तब अचानक से एक दिन उसके कंपाउंड में कटहल के वृक्ष के नीचे एक साधु बैठे हुए मिले। वो कहाँ से आए थे, कहाँ चले गए और कैसे आए थे- किसी को नहीं पता।

इस बार के पद्म अवॉर्ड्स में कई चौंकाने वाले नाम भी हैं। वैसे नाम, जो मुख्यधारा की मीडिया में न तो चर्चा का विषय बनते हैं और न ही ग्लैमरस हैं। ऐसे ही एक योगी को पद्म भूषण मिला है। श्री एम मुमताज़ अली खान को ये अवॉर्ड मिला है, जिन्हें श्री एम के नाम से जाना जाता है। वे एक योगी हैं। वे महेश्वरनाथ बाबाजी के शिष्य हैं। महेश्वरनाथ भी योगी थे और वे विख्यात योगी महावतार बाबाजी के शिष्य थे। केरल के एक मुस्लिम परिवार में जन्मे 72 वर्षीय श्री एम को आध्यात्मिक विरासत अपने परिवार से ही मिली।

उनकी दादी का झुकाव सूफी संस्कृति की तरफ़ था। इसलिए बचपन में उन्हें अपनी दादी से कई सूफी कहानियाँ सुनने को मिलीं। वो सत्संग फाउंडेशन के संस्थापक हैं। एक शिक्षाविद् और समाज सुधारक श्री एम की अपने गुरु से मुलाक़ात की कहानी भी दिलचस्प है। जब वो तिरुवनंतपुरम के हॉस्टल में रहते थे, तब अचानक से एक दिन उसके कंपाउंड में कटहल के वृक्ष के नीचे एक साधु बैठे हुए मिले। वो कहाँ से आए थे, कहाँ चले गए और कैसे आए थे- किसी को नहीं पता। उन्हीं महेश्वर बाबाजी ने श्री एम के अंदर योग के प्रति जिज्ञासा जगा दी। मात्र 19 वर्ष की उम्र में हिमालय उनका घर बना।

गुरु से उनकी पहली मुलाक़ात संक्षिप्त थी। हिमालय पर वो अपने लिए एक गुरु खोजने ही निकले थे। हरिद्वार और ऋषिकेश होते हुए उन्होंने ये यात्रा शुरू की। इस दौरान उन्होंने योग और उपनिषद के ज्ञान में ख़ुद को दक्ष बनाया। रास्ते में वो कई ऋषियों से मिलते चले। वो कुल मिला कर 220 किलोमीटर पैदल ही चले। वहाँ निराश होकर उन्होंने अलकनंदा नदी में कूद कर प्राण त्याग करने का निश्चय लिया, लेकिन अचानक से महेश्वर बाबाजी वहाँ आए और उन्हें अपने साथ ले गए। उनकी कुण्डलिनी जागृत करने के लिए महेश्वर बाबाजी ने उन्हें योग सिखाया और अंत में उनकी मुलाक़ात महावतार बाबाजी से भी हुई।

इसके बाद उन्हें आदेश दिया गया कि वो वापस लौटें और गृहस्थ जीवन शुरू करें। उन्होंने कई तीर्थों का दौरा किया और हर धर्म के आध्यात्मिक गुरुओं से मिल कर प्रत्येक संस्कृति को समझा और जाना। श्री एम मानते हैं कि सत्संग जात-पात से लोगों को ऊपर उठा देता है। हालाँकि, वो ख़ुद क्रिया योग में अभ्यस्त हैं लेकिन वो कहते हैं कि ये सभी के लिए सूटेबल नहीं है। उन्होंने 2011 में अपनी आत्मकथा भी लिखी, जिसका नाम “Apprenticed to a Himalayan Master – A Yogi’s Autobiography“ है। ये किताब बेस्टसेलर बनी।

श्री एम अभी भी सादी ज़िंदगी जीते थे। उनकी पत्नी व दो बच्चे हैं। वो बंगलुरु से 126 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मंदापल्ले में रहते हैं। हालाँकि, वो अधिकतर समय सत्संगियों को देश भ्रमण कराने में लगाते हैं, जो 7500 किलोमीटर की यात्रा होती है और 11 राज्यों से गुजरती है। उन्होंने रामकृष्ण मिशन और कृष्णमूर्ति फाउंडेशन में भी अच्छा-ख़ासा समय व्यतीत किया है।

जॉर्ज, जेटली और सुषमा सहित 7 को पद्म विभूषण: 16 को पद्म भूषण, लंगर बाबा समेत 118 को पद्म श्री

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

शेख हसीना का घर अब बनेगा ‘जुलाई क्रांति’ का स्मारक: उपद्रव के संग्रहण में क्या ब्रा-ब्लाउज लहराने वाली तस्वीरें भी लगेंगी?

यूनुस की अगुवाई में 5 सितंबर 2024 को सलाहकार परिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि इसे "जुलाई क्रांति स्मारक संग्रहालय" के रूप में परिवर्तित किया जाएगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -