जहाँ एक तरफ लोग आईआईएम से निकलने के बाद महँगी मौकरी और ऐशो-आराम की ज़िन्दगी चुनते हैं, वहीं दूसरी तरफ एक ऐसा भी शख्स है जिसने यहॉं से निकलकर सब्जी बेचना पसंद किया। जी हाँ, कौशलेन्द्र कुमार ने किसी बड़ी कम्पनी को ज्वाइन करने की जगह बिहार जाकर अपने जड़ों को और मजबूत करने में ध्यान लगाया। वहाँ उन्होंने एक एग्री-बिजनेस कम्पनी खोली। आज उनकी कम्पनी का टर्नओवर 5 करोड़ है और वो 20 हज़ार किसानों के रोजगार का माध्यम भी बने हैं।
अब कौशलेन्द्र कोरोना वायरस की आपदा के बीच भी जनसेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने उन मजदूरों की और उनके परिवारों की मदद करने का निश्चय लिया है, जो इस महामारी के प्रकोप के बीच अपनी रोजमर्रा की ज़रूरतों को पूरा करने में भी विफल रहे हैं। इनमें से बहुतों को तो ठीक से पता भी नहीं है कि देश-दुनिया में क्या हो रहा है? ये वो लोग हैं जो अस्थायी टेंटों औ रफुटपाथ पर सोने को मजबूर हैं। लॉकडाउन के बीच उन्हें काम भी नहीं मिल पा रहा है और परिवार भी चलाना है। ऐसे में उनकी मदद के लिए कौशलेन्द्र का कौशल्या फाउंडेशन आगे आया है।
कौशल्या फाउंडेशन न सिर्फ़ उनलोगों को हाइजेनिक भोजन पहुँचा रहा है, बल्कि उन्हें कोरोना वायरस के ख़तरों के प्रति जागरूक भी कर रहा है। उन्हें सुरक्षा और बचाव के सामान भी दिए जा रहे हैं। इस काम में कई स्वयंसेवक लगाए गए हैं। उनके बचाव की भी व्यवस्था की गई है और उन्हें इसके लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है। कौशल्या फाउंडेशन इस दौरान लोगों के सहयोग का भी आकांक्षी है और आप इस लिंक पर जाकर अपनी क्षमतानुसार वित्तीय सहयोग कर सकते हैं। फाउंडेशन ने कहा है कि लोगों द्वारा सहयोग की गई राशि का उपयोग इन गरीबों की सहायता में किया जाएगा।
इस समय जब पूरा देश इस महामारी से जूझ रहा है, हमें कौशलेन्द्र जैसे लोगों का सहयोग करने की ज़रूरत है जो गरीबों के बारे में सोच रहे हैं और उनके भले के लिए काम कर रहे हैं। कौशलेन्द्र ने एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में स्नातक किया है। कौशलेन्द्र अपने भाई के साथ मिल कर कौशल्या फाउंडेशन का सञ्चालन करते हैं। उन्होंने इसकी स्थापना बिहार के किसानों के सशक्तिकरण के लिए की थी। उनकी कम्पनी में फ़िलहाल 700 लोग काम करते हैं।