Monday, December 23, 2024
Homeरिपोर्टमीडियाजोधपुर में पुलिस कार्रवाई को 'भारत का जॉर्ज फ्लॉयड मोमेंट' बता खतरनाक एजेंडे को...

जोधपुर में पुलिस कार्रवाई को ‘भारत का जॉर्ज फ्लॉयड मोमेंट’ बता खतरनाक एजेंडे को हवा दे रही मीडिया

भारतीय मीडिया जोधपुर में एक उपद्रवी के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को सनसनी बनाकर पेश कर रही। उसे जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या की घटना से जोड़ रही। जबकि दोनों घटना एकदम विपरीत है। बावजूद यह खतरनाक खेल खेला जा रहा।

अमेरिका के मिनियापोलिस में अफ्रीकी-अमेरिकी व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या ने हड़कंप मचा रखा है। अमेरिका के कई शहरों में प्रदर्शनकारियों ने नस्लीय भेदभाव के विरोध में सड़कों पर उतर प्रदर्शन किया।

अश्वेत अमेरिकी नागरिक फ्लॉयड की मौत के वीडियो ने दुनिया भर में कई हिंसक विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया। हालाँकि, आरोपित पुलिसउस अधिकारी, डेरेक चाउविन को थर्ड-डिग्री हत्या और दूसरी डिग्री की हत्या के आरोप में निकाल दिया गया है।

फ्लॉयड की दुर्भाग्यपूर्ण मौत ने न केवल अमेरिका में, बल्कि दुनिया भर में विरोध प्रदर्शनों को अंजाम दिया, जहाँ प्रदर्शनकारी या तो अमेरिका में नस्लीय भेदभाव के शिकार लोगों के साथ एकजुटता के साथ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं, या फिर अपने देशों में कथित असमानताओं का विरोध कर रहे हैं।

जॉर्ज फ़्लॉयड की मृत्यु की खबर से दुनियाभर में दहशत का माहौल है तो वहीं, भारतीय मीडिया राजस्थान की एक ऐसी घटना, जिसमें एक आरोपित ने पुलिसकर्मियों से मारपीट की, और अफ्रीकी-अमेरिकी की हत्या के बीच एक खतरनाक और बेहद अव्यवहारिक समानता को धरातल देने का काम कर रहा है।

पुलिसकर्मी की बर्बरता जॉर्ज फ्लॉयड की मौत की वजह बताई जा रही है

दरअसल एक उपद्रवी और पुलिस अधिकारियों के बीच हाथापाई का वीडियो, जिसमें पुलिसकर्मी ने इस आदमी को जमीन पर ऐंठ रखा है, इंटरनेट पर तेजी से शेयर किया जा रहा है। भारत के कई मीडिया संस्थानों ने इस घटना को अमेरिका की घटना के साथ तुलना कर पेश किया, जहाँ अफ्रीकी-अमेरिकी जॉर्ज फ्लॉयड को मिनियापोलिस के अधिकारियों द्वारा उनकी गर्दन सड़क पर घुटनों से दबाकर रखी, जिससे उनकी मौत हो गई।

‘टाइम्स नाउ’ चैनल ने इस घटना को ‘भारत के जॉर्ज फ्लॉयड क्षण’ के रूप में दिखाया, जिसमें दावा किया गया कि पुलिस ने एक व्यक्ति की गर्दन पर प्रहार करते हुए हमला किया।

टाइम्स नाउ से लिया गया स्क्रीनशॉट

ABP न्यूज चैनल ने भी पुलिस और इस व्यक्ति के बीच झड़प को भारत में ‘जॉर्ज फ्लॉयड जैसी घटना’ के रूप में दिखाकर पेश किया है।

ABP न्यूज़ ने इसे भारत का ‘जॉर्ज फ्लॉयड मोमेंट’ नाम दिया है

कई अन्य संगठनों ने भी झड़प के इस वीडियो, जो कि जोधपुर में पुलिस अधिकारियों और एक गुंडे के साथ हुई, की तुलना जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या वाले वीडियो से करने की कोशिश की है। यहाँ इस घटना का पूरा वीडियो है;

क्या है जोधपुर में पुलिस से झड़प वाले वीडियो की वास्तविकता

पुलिस के साथ झड़प की घटना का यह वीडियो राजस्थान के जोधपुर से संबंधित है। पुलिस के जवानों ने सोमाकरण नाम के व्यक्ति को सार्वजनिक स्थान पर बिना मास्क के पाया था। सार्वजनिक स्थानों पर मास्क न पहनने के कारण उसे गिरफ्तार कर लिया। मास्क पहनने के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए उसका चालान करने की कोशिश की।

लेकिन, इस आदमी ने पुलिस की बात मानने से इनकार करते हुए उनसे उलझ पड़ा, जैसा कि वायरल वीडियो में देखा जा सकता है। इस उपद्रवी तत्व द्वारा हमला किए जाने के बाद, पुलिस अधिकारियों ने सोमाकरण नाम के इस शख्स को नीचे गिरा दिया और उसे नियंत्रण में लाने के लिए उसकी गर्दन पर घुटने लगा दिए।

जॉर्ज फ्लॉयड और जोधपुर, ये दोनों घटनाएँ एकदम विपरीत हैं

भारतीय मीडिया द्वारा सनसनी बनाई जा रही यह घटना संयुक्त राज्य अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के एकदम विपरीत है। फ्लॉयड ने पुलिस अधिकारियों को मारने के लिए हिंसक तरीके नहीं अपनाए। इसके बजाए, एक कानून का पालन करने वाले नागरिक की तरह ही फ्लॉयड ने पुलिस के निर्देशों का अनुपालन किया और फिर भी उनके साथ पुलिस ने दुर्व्यवहार किया, संभवतः जिस कारण उनकी मृत्यु हो गई।

अमेरिका में अश्वेतों के खिलाफ किए गए नस्लीय अपराधों का एक बड़ा इतिहास है। जॉर्ज फ्लॉयड अमेरिकी पुलिस द्वारा संस्थागत अफ्रीकी-अमेरिकी समुदाय के खिलाफ संस्थागत नस्लीय अत्याचार का शिकार था, जिसका अफ्रीकी अमेरिकी मूल के लोगों के खिलाफ बर्बरता बरतने का एक लंबा इतिहास रहा है।

इसके विपरीत, जोधपुर की घटना में पुलिस अधिकारियों द्वारा एक गलत काम करने वाले को रोकने की कोशिश करने का सन्दर्भ था, जिसने कोरोना वायरस महामारी के बीच न केवल लॉकडाउन संबंधी दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया, बल्कि मानदंडों की अवहेलना के लिए दोषी ठहराए जाने पर उनके साथ मारपीट भी की।

यहाँ पर अंतर स्पष्ट है कि पुलिस ने जानबूझकर इस उपद्रवी के खिलाफ हमला नहीं बोला। उनके साथ मारपीट करने के बाद ही उन्हें इस व्यक्ति के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर किया गया। इसके अलावा, अमेरिका में फ्लॉयड की मृत्यु ने एक बार फिर नस्लीय भेदभाव को सामने ला दिया, जो अमेरिकी समाज का कलंक रहा है।

जॉर्ज फ्लॉयड की मौत और जोधपुर की इस घटना के बीच समानता साबित करने का कुत्सित प्रयास सिर्फ और सिर्फ भारतीय मीडिया के प्रोपेगेंडा का हिस्सा है। राष्ट्र विरोधी लॉबी पीएम मोदी से गहरी नफरत के कारण निरंतर ऐसे मुद्दों को भड़काने के लिए तत्पर देखी गई है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

Jinit Jain
Jinit Jain
Writer. Learner. Cricket Enthusiast.

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -