Monday, December 23, 2024
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Plurals के जनरल सेक्रेटरी की कम्पनी ने बिना नोटिस दिए कर्मचारियों को निकाला, पुष्पम करती हैं लाखों जॉब्स देने के दावे

ऑपइंडिया ने 'यंग बिहार मूवमेंट (YBM)' के तीन कर्मचारियों से बातचीत की, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उनसे दो महीने काम करवाया गया और फिर अचानक से टर्मिनेशन लेटर देकर नौकरी से निकाल दिया गया। यहाँ तक कि नियमानुसार उन्हें नोटिस भी नहीं दिया गया और 2 महीने लगभग पूरे होने के बाद सैलरी दी गई। अचानक नौकरी से निकाले जाने से इन कर्मचारियों का करियर संकट में आ गया है।

बिहार की राजनीति में एक पार्टी एक नई धुरी बन कर भरने की कोशिश में है और उसका नाम है Plurals, जिसकी संस्थापक पुष्पम प्रिया चौधरी हैं। वो जदयू के विधान पार्षद रहे विनोद चौधरी की बेटी हैं। उनके दादा उमाशंकर चौधरी समता पार्टी के दिनों में नीतीश ने क़रीबी रहे हैं। बिहार में उनके प्रचार अभियान के बाद उनका नाम नया नहीं है, ख़ासकर युवाओं को उनके बारे में सब कुछ पता है। Plurals ने लाखों जॉब्स क्रिएट करने का वादा किया है। Plurals के ही एक नेता हैं अनुपम सुमन।

लेकिन, अब पार्टी के बारे में कुछ ऐसा सामने आया है जो इसके द्वारा प्रचारित की जा रही नीतियों और सिद्धांतों के एकदम विपरीत है। ये इस पार्टी के दोहरे रवैये की ओर इशारा करता है। Plurals से सम्बद्ध ‘Young Bihar Movement’ (YBM) ने कई लोगों को नौकरी पर हायर किया और बाद में अचानक से निकाल दिया। यहाँ तक कि उन्होंने नोटिस तक नहीं दिया और सैलरी भी लगभग एक महीने की देरी से दी, वो भी बार-बार तगादा करने के बाद।

YBM और Plurals का रिश्ता: क़रीबी हैं अनुपम सुमन और पुष्पम प्रिया चौधरी

YBM के प्रेसिडेंट हैं अनुपम सुमन, जैसा कि उसकी वेबसाइट पर भी दिखाया गया है। राजधानी पटना के पूर्व नगर निगम आयुक्त अनुपम सुमन Plurals के जनरल सेक्रेटरी हैं। इसीलिए, इस बात से अचम्भा नहीं होना चाहिए कि YBM के कर्मचारियों ने उनसे Plurals के लिए काम कराए जाने की बात कही है। हालाँकि, जॉइनिंग से पहले उनसे ये बात छिपाई गई थी कि YBM का Plurals से कोई रिश्ता है।

पुष्पम प्रिया चौधरी ने कभी सार्वजनिक रूप से आईआरएस अधिकारी रहे अनुपम सुमन से समर्थन माँगा था। वो अनुपम सुमन के साथ पहले भी काम कर चुकी हैं। पुष्पम ने कहा था कि वो अनुपम से निवेदन करती हैं कि हम सब साथ आकर बिहार को बदलें। जब अनुपम बिहार टूरिज्म डेवलपमेंट काॅरपोरेशन में थे, तब पुष्पम प्रिया चौधरी भी उनके ही साथ थी। बाद में उन्होंने Plurals जॉइन की और राजनीति में आ गए

यहाँ हमने अनुपम सुमन और Plurals के रिश्ते की बात इसीलिए की है क्योंकि हम जो बताने जा रहे हैं, उसके लिए ये आवश्यक है। पुष्पम प्रिया चौधरी ने दो पन्नों का पत्र लिख कर अनुपम सुमन की तारीफ की थी और साथ ही उन्हें ‘इंटेलिजेंस और अंडरस्टैंडिंग’ वाला व्यक्ति बताया था। उन्होंने कई बार लिखा था कि अनुपम सुमन को उनके साथ आना ही होगा और अंततः हुआ भी यही। अब आते हैं वापस YBM पर।

YBM की वेबसाइट पर अनुपम सुमन की बायोग्राफी दी गई है

पटना में 2019 के मानसून में आए बाढ़ को याद कीजिए, जब जलजमाव से पूरा शहर परेशान था। तब बिहार के नगर विकास मंत्री ने अक्टूबर में पटना के म्युनिसिपल कमिश्नर रहे अनुपम सुमन पर आरोप लगाया था कि उनकी वजह से नालियों और ड्रेनेज की साफ़-सफाई का काम अटका रहा। उनका कहना था कि अनुपम सुमन उनकी बात नहीं सुनते थे और सीधा CMO से बातचीत करते थे। बकौल मंत्री, सुमन ने पूरे 1 साल के कार्यकाल में जरा सा भी काम नहीं किया।

2 महीने काम करवाया, अचानक नौकरी से निकाला: क्या कहते हैं YBM के पूर्व-कर्मचारी

ऑपइंडिया ने ‘यंग बिहार मूवमेंट (YBM)’ के तीन कर्मचारियों से बातचीत की, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि उनसे दो महीने काम करवाया गया और फिर अचानक से टर्मिनेशन लेटर देकर नौकरी से निकाल दिया गया। यहाँ तक कि नियमानुसार उन्हें नोटिस भी नहीं दिया गया और 2 महीने लगभग पूरे होने के बाद सैलरी दी गई। अचानक नौकरी से निकाले जाने से इन कर्मचारियों का करियर संकट में आ गया है।

हमारी बात YBM में कार्यरत रहे राजीव (बदला हुआ नाम) से हुई। राजीव को भी अप्रैल 2020 में ज्वाइन कराया गया था। YBM की तरफ से उनका इंटरव्यू लिया गया और उसके बाद उन्हें जॉइन करने कहा गया। उनके साथ ही 4-5 लोगों को हायर किया गया था। राजीव बताते हैं कि उन्हें पोलिटिकल रिफॉर्म्स पर रिसर्च का काम दिया गया था। उन्होंने 15 अप्रैल से YBM में काम करना शुरू किया था।

Plurals के जेनरल सेक्रेटरी हैं YBM के प्रेसिडेंट अनुपम सुमन

उन्होंने बताया कि पहले उन्हें नहीं बताया गया था कि उन्हें Plurals के लिए काम करने को कहा जाएगा। वो बताते हैं कि कम्पनी ने उन्हें ज्वाइन करने के कुछ दिनों बाद बताया कि वो Plurals के लिए काम करते हैं। उनसे बार-बार कहा जाता था कि वो ऐसे काम करें कि Plurals जब सत्ता में आ जाए तो ये चीजें काम आ जाएँ। उन्होंने बताया कि उनलोगों को काम करते हुए 50 दिन हो गए थे लेकिन उन्हें एक रुपए भी सैलरी नहीं दी गई।

राजीव ने बताया कि जब सैलरी के लिए तगादा किया जाता था तो वो कभी ‘टेक्निकल ग्लिच’ की बातें करते थे तो कभी लॉकडाउन की वजह से बैंक ट्रांज़ैक्शन में समस्या होने की बात कहते थे। बार-बार ये कहा जाता था कि 2 दिन में सैलरी आ जाएगी या फिर कभी अगले हफ्ते सैलरी आने की बात कही जाती थी। राजीव बताते हैं कि अंत में जून के पहले हफ्ते में उनलोगों को 2 महीने की सैलरी देकर निकाल दिया गया।

ऑपइंडिया को पता चला है कि कुल 4 लोगों को इसी तरह से निकाल बाहर किया गया। इनमें से 3 से हमने बातचीत की, जिन्होंने इस सूचना की पुष्टि की है। राजीव ने कहा कि भिखारी की तरह बार-बार अपने हक़ के रुपए माँगने के बावजूद उन्हें सैलरी नहीं दी जाती थी और उलटा सुनने को मिल जाता था। उन्होंने कहा कि जो पार्टी लाखों जॉब्स क्रिएट करती है, उसके द्वारा इस तरह का व्यवहार किया जाता आश्चर्यजनक है।

इसके बाद हमारी बात पूजा (बदला हुआ नाम) से हुई, जिन्होंने राजीव की बातों से अपना समर्थन जताया। पूजा ने बताया कि सबके घर में रुपए की ज़रूरत थी, किसी का लोन था तो किसी को अपने बीमार माता-पिता की देखभाल करनी थी लेकिन बावजूद इसके सैलरी जॉइन करने के 2 महीने बाद दी गई और ऊपर से बिना किसी नोटिस पीरियड के निकाल बाहर किया गया। पूजा ने बताया कि उन्होंने सैलरी के लिए जब कम्पनी के व्हाट्सप्प ग्रुप में लिखा तो उलटा उन्हें ही फटकार लगाया गया।

उन्हें इकनोमिक रिफॉर्म्स पर काम दिया गया था। उन्हें रिपोर्ट्स बना कर शेयर करने को कहा जाता था। बाद में उन्होंने जब संस्थान को सैलरी के लिए लिखते हुए ‘Accountability’ और ‘Communication’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया था, जिस पर सीनियर्स ने आपत्ति जताई। कम्पनी के व्हाट्सप्प ग्रुप में सभी कर्मचारियों ने जब सैलरी के लिए लिखा, तब जाकर उन्हें सैलरी तो मिली लेकिन नौकरी से निकाल दिया गया।

कर्मचारियों को भेजे गए ‘टर्मिनेशन लेटर’ में YBM ने लिखा कि उनका प्रमुख उद्देश्य ज़मीनी स्तर पर काम करना था और कोरोना वायरस आपदा की वजह से कम्पनी अपने प्रोजेक्ट को जारी रखने में अक्षम है, इसीलिए कोई सकारात्मक विकल्प सामने न आने के कारण प्रोजेक्ट को बंद किया जा रहा है। YBM ने लिखा कि काफी विचार-विमर्श करने के बाद वो बड़े दुःख से कर्मचारियों को ये सूचना देता है कि वो उनकी सेवाएँ समाप्त करता है और भविष्य में प्रोजेक्ट फिर से शुरू होने पर उन्हें काम देने में उसे ख़ुशी होगी।

इसके बाद हमारी बात माधव (बदला हुआ नाम) से हुई, जिन्होंने कहा कि उनके साथ भी YBM ने इसी तरह का व्यवहार किया। उन्होंने तो यहाँ तक कहा कि उनलोगों से Plurals का सदस्यता फॉर्म भी भरवाने की कोशिश की गई थी लेकिन उन्होंने किसी तरह इससे इनकार कर दिया। साथ ही उनसे ये भी कहा जाता था कि वो Plurals के लिए चुनाव प्रचार हेतु वालंटियर्स जुटाएँ। एक कर्मचारी को 100 वालंटियर्स लाने कहा गया था।

ऑपइंडिया ने YBM की एचआर समीक्षा से संपर्क किया, जिन्होंने पहले तो कहा कि वो इस विषय पर बाद में बात करेंगी। बाद में कॉल करने पर उन्होंने पूछा कि आरोप किसने लगाया है। इसके बाद वो पूछने लगीं कि उनका नंबर हमारे पास कहाँ से आया। उन्होंने द्वारा सवालों का जवाब दिए बिना और अपना पक्ष रखे बिना ही कॉल कट कर दिया गया। बाद में कॉल करने पर पता चला कि उन्होंने हमारे नंबर को ब्लॉक कर दिया है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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