राम जन्मभूमि अयोध्या में अब एक भव्य मंदिर बनने जा रहा है। इसकी नींव बुधवार (अगस्त 5, 2020) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भूमिपूजन के साथ रखी जाएगी। इसी बीच इस्लामी कट्टरपंथी आतंकियों द्वारा अयोध्या में हमले की साजिश रचने की भी ख़ुफिया सूचना आई है। इसे देखते हुए कई राज्यों को अलर्ट कर दिया गया। क्या आपको याद है कि 5 जुलाई 2005 को भगवान राम की नगरी में आतंकियों ने कत्लेआम मचाया था?
जैसा कि हमने कई बार देखा है, कपटवेश में आकर अपने खूनी इरादों को अंजाम देना आतंकियों की पुरानी चाल रही है। कभी वो सेना की वर्दी में आते हैं तो कभी आम नागरिक बन कर छलावा देते हैं। इन आतंकियों ने अयोध्या में भी उस दिन यही किया था। उन्होंने श्रद्धालुओं की वेशभूषा में वहाँ पहुँचने में कामयाबी पाई थी। वो रजिस्ट्रेशन वाली एक जीप में बैठ कर आए थे, जिसमें लगा झंडा किसी राजनीतिक दल का प्रतीत होता था।
सुरक्षा के नाम पर वहाँ लोहे की फेंसिंग भर की हुई थी। चूँकि धर्मस्थानों में पहले और जल्दी दर्शन के लिए श्रद्धालु उतावले रहते हैं, इसीलिए पहली नज़र में सभी को यही लगा कि ये श्रद्धालुओं की ही गाड़ी है जो थोड़ी जल्दी में हैं। लेकिन, इससे पहले कि महिंद्रा मार्शल जीप में बैठे आतंकियों को रोका जाता, वो उससे उतर गए। बम से लैस उस जीप को राख होने में पल भर का भी समय नहीं लगा। चारों और अफरातफरी मच गई।
पाँच आतंकियों ने इसके बाद हमले की पोजीशन बना कर सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंकना शुरू कर दिया। साथ ही वो एके-47 से लगातार फायरिंग भी कर रहे थे। लगभग डेढ़ घंटे तक फायरिंग चलते रही और उसके बाद पाँचों आतंकी मार गिराए गए। लेकिन, उससे पहले उन्होंने तबाही का मंजर दिखाते हुए वो डर पैदा किया, जिसने जनता को एहसास दिलाया कि अब भारत में शायद ही कोई जगह सुरक्षित हो।
ये जुलाई 5, 2005 की सुबह थी, जिसने पूरे भारत में भय का माहौल पैदा कर दिया था। आतंकियों ने सोच-समझ कर अयोध्या को निशाना बनाया था, क्योंकि उन्हें पता था कि ये वो जगह है, जहाँ से दुनिया भर के हिंदुओं की आस्था तो जुड़ी ही हुई है, साथ ही यहाँ एक पत्ता भी खड़के तो ये पूरे देश मे बड़ी ख़बर बनती है। शायद ये हमला एक चेतावनी था, इससे भी बड़ी आतंकी कार्रवाई का।
यही बात तब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कही थी। दूरदर्शी नेता ने कहा था कि आयोध्या हमला एक चेतावनी है, इसीलिए सरकार को सुरक्षा व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त रखनी चाहिए। तब नए प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा था कि आतंकवाद पर सरकार कोई समझौता नहीं करेगी। मनमोहन को यही राग पुणे, मुंबई, दिल्ली, हैदराबाद और गया मे होने वाले आतंकी हमलों में भी अलापना था।
तब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे 1990 में कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले मुलायम सिंह यादव, जिन्होंने तो सुरक्षा-व्यवस्था में चूक की सारी बातें ही नकार दी थी। भाजपा नेता जसवंत सिंह ने इसे स्पष्ट रूप से सुरक्षा-व्यवस्था में चूक का मामला मानते हुए उनके इस्तीफे की माँग की थी। ये हमला तब टेंट मे विराजमान रामलला के 50 मीटर की दूरी पर ही हुआ था। सारे आतंकी युवा थे। आखिर वो वहाँ घुस कैसे गए? तब रामलला की सुरक्षा-व्यवस्था की बात करें तो 1400 की संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवान गश्त लगाते रहते थे।
UP CM on ‘Court sentences 4 convicts to life imprisonment & acquits one person in 2005 Ayodhya terror attack case’: I respect the court’s verdict. After reading the court’s verdict, we will decide on the action to be taken against the one who has been acquitted in the case today. pic.twitter.com/FKSoLaQVJm
— ANI UP (@ANINewsUP) June 18, 2019
13 वाच टॉवर्स को 2 टायर सिक्योरिटी के हिसाब से बनाया गया था। ‘इंडिया टुडे’ की खबर की मानें तो अयोध्या में सुरक्षा-व्यवस्था देखने में ऐसी ही लगती थी, जैसी किसी विमान में चढ़ते समय एयरपोर्ट्स पर होती है। मुलायम सिंह के शब्दों में तो वहाँ परिंदा भी पर नहीं मार सकता था, लेकिन इतनी सुरक्षा के बावजूद RDX लदी जीप के साथ हथियारबंद आतंकी मंदिर परिसर में घुसने में कामयाब हो गए थे।
2 स्थानीय लोगों की जान चली गई थी और सीआरपीएफ के 7 जवान घायल हो गए थे। 2005 में प्रयागराज की एक स्पेशल कोर्ट ने इस मामले में 4 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही उन सभी पर 2.4 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था। दोषी आतंकियों में डॉक्टर इरफ़ान, शकील अहमद, आसिफ इकबाल और मोहम्मद नसीम शामिल थे। वहीं मोहम्मद अजीज के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला, वो बच निकला।
इस मामले में उस जीप के ड्राइवर को भी गिरफ्तार किया गया था, जिसने उन आतंकियों को मंदिर तक पहुँचाया था। ड्राइवर रेहान आलम कुछ दूर पहले ही जीप से उतर गया था। उसने पुलिस को दिए बयान में कहा था कि आतंकियों ने कहा था कि वो श्रद्धालु हैं और रामलला के दर्शन करना चाहते हैं। दरअसल, वहाँ आतंकी दो गाड़ियों से पहुँचे थे, जिनमें से एक में आत्मघाती हमलावर सवार था। उसने ही गाड़ी को ब्लास्ट किया था।
UP: Special court awards life term to four, acquits one in 2005 #Ayodhya terror attack.https://t.co/toUziRf8Fn
— All India Radio News (@airnewsalerts) June 18, 2019
इस मामले में स्पेशल कोर्ट को फैसला सुनाने में 14 साल लग गए थे। कुल 371 सुनवाइयों के दौरान 63 गवाहों के बयान दर्ज किए गए, तब जाकर इस मामले में सज़ा मिली। जहाँ इरफ़ान यूपी के ही सहारनपुर का था, बाकी आरोपित जम्मू-कश्मीर के पूँछ के रहने वाले थे। इनके तार खूँखार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े हुए थे। आज जब राम मंदिर का सपना साकार होने जा रहा है, हमें इस घटना को याद करने की ज़रूरत है।