Sunday, September 8, 2024
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BJP का चीन से याराना बताने के चक्कर में कॉन्ग्रेस की हुई फजीहत, जापानी PM को बता दिया चीनी

इससे पहले भी कॉन्ग्रेस नेता निखिल अल्वा ने प्रधानमंत्री की ऐसी तस्वीर शेयर की थी, जिसमें पीएम मोदी किर्गिस्तान के राष्ट्रपति जेनबकोव के साथ थे। लेकिन कॉन्ग्रेस नेता ने उस तस्वीर को लेकर दावा किया कि भाजपा के सीसीपी के साथ संबंध हैं।

चीन के साथ अपने संबंधों की सच्चाई का खुलासा होता देख, कॉन्ग्रेस लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भाजपा पर चीन से जुड़े होने के आरोप लगा रही है। अपनी इन कोशिशों में उसकी लगातार फजीहत भी हो रही है। हालिया मामले में भाजपा को निशाना बनाने के लिए कॉन्ग्रेस ने एक वीडियो शेयर किया। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान के पीएम शिंजो आबे के साथ नजर आ रहे थे।

हास्यस्पद बात ये है कि अपने ट्वीट में कॉन्ग्रेस ने दावा किया कि चीन ने भारतीय सीमा पर कब्जा कर लिया है और भाजपा चीन के साथ याराना दिखा रही है। इस ट्वीट में कॉन्ग्रेस की ओर से यह भी दावा किया गया कि भारतीय माता की आजादी के हजारों-लाखों बलिदान हुए हैं। मगर आजादी के संघर्ष से दूरी बनाने वाले लोग इसकी अहमियत कैसे समझेंगें।

चीन के साथ भाजपा नेताओं के रिश्तों पर निशाना साधते हुए इस वीडियो में कॉन्ग्रेस ने जापानी प्रधानमंत्री और भारतीय पीएम की मुस्कुराती फोटो के नीचे कैप्शन लिखा कि भाजपा की चुनावी प्रचार के लिए चीनी कंपनियों को करोड़ों रुपया दिया गया।

हालाँकि, इस ट्वीट पर जैसे ही कॉन्ग्रेस की फजीहत होना शुरू हुई, उन्होंने इसे डिलीट कर दिया। लेकिन ये ध्यान रखने वाली बात है कि भाजपा पर निशाना साधने की होड़ में ऐसी जगहँसाई कॉन्ग्रेस की पहली बार नहीं हुई है। इससे पहले भी कॉन्ग्रेस नेता निखिल अल्वा ने प्रधानमंत्री की ऐसी तस्वीर शेयर की थी, जिसमें पीएम मोदी किर्गिस्तान के राष्ट्रपति जेनबकोव के साथ थे। लेकिन कॉन्ग्रेस नेता ने उस तस्वीर को लेकर दावा किया कि भाजपा के सीसीपी के साथ संबंध हैं।

यहाँ बता दें कि LAC पर भारतीय-चीन सेना के बीच तनाव बढ़ने के बाद से कॉन्ग्रेस अपने बयानों और चीन के साथ संबंधों को लेकर चर्चा में है। पहले तो उसके साल 2008 में चीन के साथ हुए गुप्त समझौते का खुलासा हुआ। फिर राजीव गाँधी फाउंडेशन के कारण उसकी भद पिटी। मालूम चला कि राजीव गाँधी फाउंडेशन को सिर्फ़ चीन के एंबेसी से पैसा नहीं मिला, बल्कि चीन की सरकार भी उसे पैसे देती थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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