वामपंथी शासन वाले चीन ने नेपाल की सीमा में घुस कर उसकी जमीन पर कब्जा करने का सिलसिला तेज कर दिया है। नेपाल की जमीन पर चीन द्वारा 9 इमारतें खड़ी किए जाने की बात सामने आ रही है। ताज़ा मामला हुमला जिले में स्थित नामखा-6 के लाप्चा गाँव का है। ये इलाका नेपाल के कर्णाली प्रान्त का हिस्सा है। शिकायत मिलने के बाद ‘चीफ डिस्ट्रिक्ट ऑफिसर (CDO)’ चिरंजीवी गिरी के नेतृत्व में नेपाली अधिकारियों की टीम ने घटनास्थल का दौरा किया।
उनके असिस्टेंट दत्ता राज हमल ने जानकारी दी कि सीडीओ वहाँ 2 दिन का प्रवास करेंगे और चीनी पक्ष से बातचीत करने के बाद उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट सौंपेंगे। ‘नेपाल 24 Hours’ की खबर के अनुसार, सीडीओ की टीम में नेपाल पुलिस, नेपाली सेना, जाँच एजेंसी के अधिकारी और स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। जहाँ चीन ने कब्ज़ा किया है, वो भूमि पहाड़ी क्षेत्र में पड़ती है, जहाँ न तो सड़कें हैं और न ही वहाँ से टेलीफोन से सम्पर्क साधा जा सकता है।
इस मामले में नेपाल और चीन के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा अभी सामने नहीं आया है। हालाँकि, नेपाली मीडिया के काठमांडू में स्थित सूत्रों का कहना है कि ये एक असामान्य घटना है क्योंकि चीन ने नेपाल की जमीन पर इतनी संख्या में इमारतें खड़ी कर ली हैं। अव्वल तो ये कि नेपाली अधिकारी महीनों तक इस बात से अनजान रहे। इस मामले में नेपाल के बॉर्डर पेट्रोलिंग बल पर भी संदेह जताया जा रहा है, जो इस पर काफी दिनों से चुप है।
विपक्ष सवाल पूछ रहा है कि इतने दिनों से नेपाल सरकार ने इस पर बयान क्यों नहीं दिया? नेपाल में स्थित चीन के दूतावास ने भी इस पर चुप्पी साधी हुई है। नेपाल में ये इमारतें क्यों बनाई गई हैं, इसका कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। सीडीओ गिरी भी जब वहाँ पहुँचे, तो उन्हें चीन के कब्जे वाली जमीन पर नहीं जाने दिया गया और न ही उन्हें तस्वीरें लेने की अनुमति दी गई। नेपाली टीम ने जल्दी-जल्दी में दूर से ही तस्वीरें ली और सिमिकोट लौट आए।
Another case of #China annexing #Nepal‘s territory.
— Varecious 🌤️ (@veracious111) September 20, 2020
This time in Lapcha-Limi region of Humla.
Dist Adm Ofc Humla reported the encroachment to Min of Home Affairs, case forwarded to @MofaNepal.#BackOffChina in #Nepal pic.twitter.com/Dzixijc1pq
नेपाल की उस जाँच टीम में शामिल एक अधिकारी ने नाम नहीं जाहिर करने की शर्त पर ‘नेपाली 24 Hours’ को बताया कि चीन ने नेपाल की सीमा में 2 किलोमीटर भीतर तक घुसपैठ की है, पिलर संख्या-12 से भी आगे बढ़ कर भूमि कब्जाई है। वहीं पिलर संख्या-11 का तो कोई अता-पता ही नहीं है कि वो कहाँ गायब हो गया। कहा जा रहा है कि वहाँ अवैध चीनी निर्माण 2010 में ही शुरू हो गया था।
स्थानीय लोगों का कहना है कि वो कई वर्षों से उस तरफ जाने से डरते हैं। एक स्थानीय व्यक्ति ने नेपाली जाँच टीम को बताया कि चीन के लोग अवैध रूप से कब्जाई हुई जमीन के आसपास किसी स्थानीय व्यक्ति को फटकने तक नहीं देते। इसीलिए, स्थानीय लोग अब उधर जाने की कोशिश भी नहीं करते हैं। चीन और नेपाल के विदेश मंत्रालय की चुप्पी पर वहाँ असंतोष है। कई नेपाली अधिकारी भी संदेह के घेरे में हैं।
ज्ञात हो कि हाल ही में नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी नेपाली कम्यूनिस्ट पार्टी ने यूनिफाइड नेपाल नेशनल फ्रंट के साथ हाथ मिलाकर ग्रेटर नेपाल के लिए एक नया अभियान शुरू किया है। इस अभियान में भारतीय शहरों जैसे देहरादून और नैनीताल को नेपाल का होने का दावा किया है। अपने अवैध दावे में भारतीय शहर उत्तराखंड, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, बिहार और सिक्किम को भी अपने ‘ग्रेटर नेपाल’ अभियान में नेपाल का हिस्सा बताया है।