Monday, December 23, 2024
Homeराजनीतिसपा-बसपा सीटों के बंटवारे के बाद, मीडिया की बेचैनी को महसूस कर पा...

सपा-बसपा सीटों के बंटवारे के बाद, मीडिया की बेचैनी को महसूस कर पा रहे होंगे जयंत चौधरी!

अखिलेश व मायावती 38-38 सीटों पर लड़ेंगे चुनाव। ऐसे में सिर्फ 2 सीट ही गठबंधन के दलों के लिए बचेगा। क्योंकि अमेठी व रायबरेली की सीट कॉन्ग्रेस के लिए छोड़ दी गई है

लोकसभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखते हुए बुआ और भतीजे की राजनीतिक जोड़ी ने उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे का ऐलान कर दिया है। 12 जनवरी 2019 को अपने प्रेस कॉन्फ्रेस के दौरान अखिलेश यादव व मायावती ने 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कही। इस तरह यदि दोनों ही राजनीतिक पार्टियाँ 38 सीटों पर चुनाव लड़ती हैं, तो महज 2 सीट ही गठबंधन के दलों के लिए बच जाएगा। ऐसा इसलिए क्योंकि मायावती ने अमेठी और रायबरेली की संसदीय सीट को कॉन्ग्रेस के लिए छोड़ने का ऐलान किया है।

राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) ने उत्तर प्रदेश के 5 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा पेश किया था। अब गठबंधन में अखिलेश व मायावती के इस फ़ैसले के बाद अजित सिंह की पार्टी रालोद का गठबंधन में शामिल होने की गुंजाइश लगभग खत्म हो चुकी है या उन्हें कम सीटों पर संतुष्ट करना होगा। कुछ दिनों पहले मीडिया द्वारा सीटों के बंटवारे पर पूछे गए सवाल को टालते हुए जयंत चौधरी ने कहा, “सीटों के बंटवारे की बेचैनी मीडिया को है। सारी बातें साफ़ होंगी, सस्पेंस बनाए रखें।”  

इस बयान से भले ही जयंत ने सवाल को टाल दिया हो, लेकिन इस सवाल के मायने और मीडिया की बेचैनी को जयंत सपा-बसपा द्वारा सीटों के बँटवारे की घोषणा के बाद अच्छी तरह से समझ रहे होंगे।

रालोद ने पाँच सीटों पर दावा पेश किया था

अजित सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल ने उत्तर प्रदेश के पाँच लोकसभा सीटों पर दावा पेश किया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इन पाँच लोकसभा सीट में बागपत, अमरोहा, हाथरस, मुजफ्फरनगर और मथुरा है। मायावती पहले भी रालोद को दो से ज्यादा सीट देने के मूड में नहीं थी। लेकिन अब जब सपा-बसपा ने सीटों के बंटवारा कर लिया है, तो शायद रालोद को इस गठबंधन का हिस्सा बनना मंजूर न हो।

उत्तर प्रदेश में गेस्ट हाउस कांड के बाद दोनों ही दलों (सपा-बसपा) में दूरी पैदा हो गई थी। 25 साल बाद एक बार फ़िर से यूपी में सपा-बसपा ने गठबंधन किया है।

कॉन्ग्रेस-रालोद का साथ पुराना है

कॉन्ग्रेस-रालोद उत्तर प्रदेश में पहले भी गठबंधन करके चुनाव लड़ चुके हैं। वर्तमान समय में राजस्थान की कांग्रेस सरकार का रालोद हिस्सा है। ऐसे में इन दोनों दलो को साथ आने में कोई समस्या नहीं होगी। पिछले लोकसभा चुनाव में रालोद खाता तक नहीं खोल पाई थी। हालाँकि, बाद में कैराना में हुए उपचुनाव में सपा और बसपा के समर्थन से आरएलडी उम्मीदवार की जीत हुई।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -